ऐसे ही नहीं ‘अमृत’ के नाम से मशहूर है यह गिलोय औषधीय पौधा, बदलते मौसम में सेवन के हैं अनगिनत फायदे

अधिकांश लोगों को गिलोय के फायदे तो पता है, लेकिन उन्हें गिलोय के सेवन विधि का बिलकुल भी अंदाजा नहीं है. एक स्वस्थ्य इंसान हर दिन इसके तने से निकले रस में जरूरत के अनुसार काली मिर्च मिलाकर उसका कावा पी सकता है
पश्चिम चम्पारण.
प्राचीन काल से ही गिलोय को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. अमृत जैसे गुण होने के बावजूद भी अधिकांश लोग गिलोय की पहचान ठीक से नहीं कर पाते हैं. दरअसल, इसकी पत्तियों का आकार पान के पत्तों के जैसा होता है, जो गहरे हरे रंग के होते हैं. खास बात यह है कि औषधीय होने के साथ-साथ इनके पत्ते डेकोरेटिव भी होते हैं.
इस वजह से इसका इस्तेमाल सजावटी पौधे के रूप में भी किया जाता है. विशेषज्ञ इस पौधे को अमृत के नाम से संबोधित करते हैं. इसके अलावा इसे गुडूची, अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है. आज हम आपको इस खास पौधे की कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जिसे जानने के बाद गिलोय आपके जीवन का अहम हिस्सा बन जाएगा.
बुखार के साथ कई बीमारियों में इस्तेमाल
मेडिकल प्लांट एक्सपर्ट शुभम श्रीवास्तव बताते हैं कि पश्चिम चम्पारण जिले में गिलोय की भरमार है. ऐसे में बहुत सारे लोग इसका इस्तेमाल बखूबी करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसके औषधीय गुणों से बिल्कुल अनभिज्ञ हैं. दरअसल, गिलोय का इस्तेमाल बुखार के साथ हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कब्ज, खांसी, चर्म रोग और शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है.
खास बात यह है कि यह बेल जिस भी पेड़ अथवा पौधों पर चढ़ता है, उसका औषधीय गुण खुद में समाहित कर लेता है. ऐसे में नीम के पेड़ पर चढ़े गिलोय की विशेषता काफी बढ़ जाती है. इस वजह से इसकी डिमांड बाजार में कई गुणा ज्यादा होती है.
तने की है खास विशेषता
बकौल शुभम, गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है. इसके अलावा गिलोय में कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं. चनपटिया प्रखंड के चूहड़ी के रहने वाले वैद्य वीरेंद्र कुमार गिलोय की विशेषता बताते हुए कहते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की पत्तियां, जड़ें और तना तीनों ही भाग सेहत के लिए बहुत गुणकारी हैं. लेकिन बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा इस्तेमाल गिलोय के तने या डंठल का होता है.
गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटररी जैसे गुण भी होते हैं. इस वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोग आदि के लिए अचूक उपाय है. हालांकि किसी भी नई चीज के इस्तेमाल के पहले आपको डॉक्टर की राय जरूर लेनी चाहिए.
1. गिलोय पाचन में मदद करता है. खासकर कब्ज की समस्या में यह काफी फायदेमंद है.
2. यह अस्थमा के मरीजों के लिए भी गुणकारी है, क्योंकि यह अस्थमा के लक्षणों को कम करता है.
3. गिलोय लिवर रोग को दूर करने में भी काफी सहायक है.
4. साथ ही यह यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) से भी राहत दिलाता है.
5. डायबिटीज के शिकार लोगों के लिए गिलोय काफी कारगर है.
6. गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक है. साथ ही यह खून को साफ करता है.
7. अगर आप गठिया के शिकार हैं, तो गिलोय इससे निजात दिलानें कारगर है.
8. यह दाग-धब्बों, फाइन लाइन्स, पिंपल्स और झुर्रियों को कम करके त्वचा की सुंदरता बनाए रखने में मदद करता है.
(नोट- गिलोय का सेवन डाक्टर के परामर्श के अनुसार ही करें)
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