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‘देश का भविष्य खतरे में’,हमें नहीं पता हमारा वोट कहा जा रहा…: आदित्य ठाकरे

महाराष्ट्र चुनाव के बाद अब दिल्ली में भी कांग्रेस और ‘आप’ की हार हुई। इस बात पर विपक्ष में नाराजगी का माहौल है। इसी बीच आदित्य ठाकरे ने चुनाव प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो रहे हैं? हमें लगता है कि हम लोकतंत्र में रह रहे हैं, लेकिन यह अब लोकतंत्र नहीं रहा।

नई दिल्ली

लोकसभा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में आप कांग्रेस की हार के बाद इंडिया गठबधंन में हलचल तेज है। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी जारी है। इसी बीच गुरुवार को शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार और मतदान की प्रक्रिया के साथ-साथ लोकतंत्र को लेकर भी कई सारे सवाल किए।

हमारे देश का भविष्य संदेह में- आदित्य
आदित्य ठाकरे ने पत्रकारों से कहा कि कल रात मैं राहुल गांधी से मिला था, और आज अरविंद केजरीवाल से मिलूंगा। आदित्य ने आगे कहा कि आज हमारे देश का भविष्य खतरे में है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि देश में जारी मतदाता धोखाधड़ी और ईवीएम धोखाधड़ी के बीच हमारे कहां जा रहे हैं?

चुनाव की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
आदित्य ने आगे कहा कि क्या आज हमारे देश में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो रहे हैं? हमें लगता है कि हम लोकतंत्र में रह रहे हैं, लेकिन यह अब लोकतंत्र नहीं रहा। हमारे और केजरीवाल जी और कांग्रेस के साथ जो हुआ, वह भविष्य में नीतीश जी, आरजेडी और चंद्रबाबू जी नायडू के साथ भी हो सकता है। साथ ही आदित्य ठाकरे ने कहा कि भारत गठबंधन का नेतृत्व संयुक्त है। कोई एक नेता नहीं है। यह अहंकार या किसी के लाभ की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश के भविष्य की लड़ाई है।

शरद पवार को लेकर भी बोले आदित्य
इसके साथ ही आदित्य ठाकरे ने शरद पवार द्वारा महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को सम्मानित किए जाने पर प्रतिक्रिया दी है। आदित्य ठाकरे ने कहा कि मैं शरद पवार की उम्र, वरिष्ठता और सिद्धांतों पर कुछ नहीं कहूंगा। लेकिन हमारा यह सिद्धांत है कि हम कभी भी एक ऐसे व्यक्ति (एकनाथ शिंदे) का सम्मान नहीं करेंगे, जिन्होंने हमारी पार्टी और परिवार को न केवल विभाजित किया, बल्कि महाराष्ट्र की रीढ़, यानी राज्य के औद्योगिकीकरण को भी विभाजित किया है। जो महाराष्ट्र का द्रोही है, वह देश का द्रोही भी होता है।

क्यों है विपक्ष में नाराजगी, समझिए
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में हुए महाराष्ट्र चुनाव में एमवीए की जोरदार हार हुई और महायुति गठबंधन दलों ने प्रचंड बहुमत के साथ महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी की। दिल्ली चुनाव में भी हाल कुछ ऐसा ही रहा और भाजपा ने अकेले ही कांग्रेस-आप के ‘चारों खाने चित्त’ कर दिए और 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की। इस बात से अब इंडिया गठबंधन चुनावी प्रक्रिया और ईवीएम को लेकर लगातार सवाल खड़े कर रही है। साथ ही अपने हार का जिम्मेदार ईवीएम धोखाधड़ी को बता रही है।

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