दीपावली मेँ निराशा की कालिमा बढती बेरोजगारी, महंगाई, देश की डांवाडोल अर्थव्यवस्था ?

सबको न्याय मिलना चाहिए, सबको रोजगार मिलना चाहिए और हिंदुस्तान में भाईचारा होना चाहिए
सबको न्याय मिलना चाहिए, सबको रोजगार मिलना चाहिए और हिंदुस्तान में भाईचारा होना चाहिए, इन शब्दों के साथ राहुल गांधी ने दीपावली की शुभकामनाएं भारत जोड़ो यात्रा के मंच से दी। इस यात्रा ने अब तक 12 सौ किमी से अधिक का सफर तय कर लिया है और अब यह यात्रा पांचवें राज्य तेलंगाना में प्रवेश कर चुकी है।
तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बाद तेलंगाना में भी भारत जोड़ो यात्रा का जोरदार स्वागत आम जनता ने किया। लोगों का इस यात्रा से जुड़ाव और दिलचस्पी यह जाहिर करती है कि सभी को न्याय, रोजगार और भाईचारे की दरकार है। वाकई अगर राहुल गांधी की शुभकामनाएं सच हो जाएं, तो फिर भारत जोड़ो यात्रा जैसे किसी आयोजन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। फिर हर दिन होली के समान रंगों से भरा हुआ और रात दीपावली की रौशनी से जगमगाती नजर आएगी। लेकिन देश की मौजूदा तस्वीर बता रही है कि इन ख्वाबों को सच होने में वक्त लगेगा, क्योंकि अभी अन्याय और नफरत की कालिमा अमावस्या की रात से भी अधिक डरा रही है।
एक तस्वीर उत्तरप्रदेश से सामने आई है, जिसमें कुछ लोग ट्रेन में नमाज पढ़ रहे हैं। चूंकि वे कोच के भीतर नमाज पढ़ रहे हैं, तो वहां से निकलने वालों को कुछ तकलीफ हो रही है। इस बात की शिकायत की जा सकती है कि कोई आने-जाने के रास्ते को बाधित करे तो दूसरों को तकलीफ होती है। लेकिन चूंकि यहां मामला सार्वजनिक स्थल पर नमाज से जुड़ा है, तो इसे जबरन धार्मिक रंग दिया जा रहा है। कुछ लोग ट्विटर पर पूछ रहे हैं कि क्या ट्रेन में नमाज पढ़ने की अनुमति है, किसी ने इसकी शिकायत रेल मंत्रालय से की है, तो कोई आदित्यनाथ योगी का ध्यान इस ओर आकर्षित करवा रहा है। ऐसा ही एक विवाद अस्पताल में नमाज पढ़ती महिला को लेकर खड़ा किया गया था। ट्रेन या अस्पताल में नमाज पर आपत्ति जताने वालों को क्या कानफोड़ू डीजे के साथ निकलती धार्मिक शोभायात्राओं से कोई तकलीफ नहीं होती, क्या उन्होंने रास्ता घेरकर चलते कांवड़ियों पर भी ऐसे ही सवाल प्रशासन से किए हैं, क्या देवी-देवताओं के पूजा समारोहों में नृत्यांगनाओं के अश्लील नृत्य होते देख उनकी आस्था को चोट नहीं पहुंचती या ये सब वे इसलिए होने देते हैं कि क्योंकि इस देश में हिंदू बहुसंख्यक हैं।
भाईचारे को चोट पहुंचाने वाला एक दूसरा उदाहरण सोशल मीडिया से सामने आ रहा है, जहां दीपावली के मौके पर हलाल मीट के बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है। एक वीडियो के जरिए मैकडोनल्ड्स, केएफ़सी, डोमिनोज़ और पिज़्ज़ा हट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का बहिष्कार करने की अपील की गई है। वीडियो में दावा किया गया कि ये कंपनियां ‘हिंदुओं को हलाल भोजन खाने के लिए मजबूर करती हैं। कर्नाटक में एक हिंदूवादी समूह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हलाल मांस को प्रतिबंधित करने की मांग भी की है। अगर इस तरह के प्रतिबंध लगे तो व्यापारियों को लाखों का नुकसान होगा और मीट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी इससे सीधे प्रभावित होंगे।
यह आर्थिक घाटा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को होगा, क्योंकि मीट कारोबार में मुसलमान और हिंदू दोनों संलग्न हैं। लेकिन इसे केवल मुसलमानों से जोड़कर अनावश्यक बखेड़ा किया जा रहा है। और यह तब हो रहा है, जब देश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है। भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह हजारों नौजवान राहुल गांधी की तरफ उम्मीदों से देख रहे हैं, उससे पता चलता है कि उनके लिए बेरोजगारी कितना बड़ा संकट बन चुकी है। सरकार से अब उनकी नाराजगी देश के कई शहरों में सड़कों पर नजर आने लगी है। ऐसे में एक तीसरी तस्वीर आई है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से पहले 75 हजार नियुक्ति पत्र शनिवार को रोजगार मेले के जरिए बांटे। हालांकि इस मेले के समय और इसकी सार्थकता पर सवाल उठ रहे हैं।
2014 में नरेन्द्र मोदी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा देश के नौजवानों से किया था। लेकिन आठ साल 16 करोड़ नौकरियों की जगह चंद हजार नियुक्ति पत्रों से युवा खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। बेरोजगारी, महंगाई, देश की डांवाडोल अर्थव्यवस्था और रुपए की गिरती कीमत इन वजहों से आम भारतीय घरों में निराशा का माहौल है। लेकिन कुछ लोगों की संपन्नता और समृद्धि की चकाचौंध से इस निराशा को दबाने की कोशिश की जा रही है, जो गलत है। सच का सामना यदि नहीं किया जाएगा, तो बाद में इसका बड़ा नुकसान देश को भुगतना पड़ेगा। मगर फिलहाल सारी समस्याओं की उपेक्षा करते हुए भव्य दीपोत्सव मनाया जा रहा है।
नरक चौदस यानी छोटी दीपावली के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या पहुंचे। जहां दीपोत्सव के लिए इस बार 17 लाख 50 हजार दीए योगी सरकार ने खरीदे। इन दीयों को जलाने के लिए करीब 35 सौ लीटर सरसों तेल की खपत होने की बात सामने आई है और इस पूरे आयोजन में जो करोड़ों का खर्च हुआ, वो अलग। अयोध्या में हर साल भाजपा सरकार दीए जलाने के अपने रिकार्ड को तोड़ रही है, लेकिन इतने भारी-भरकम खर्च के कारण जो जरूरी कामों के खर्च में कटौती होती होगी, उसके कारण आम जनता के कई सपने टूटेंगे। इस अंधेरे को दूर कैसे किया जाए, इस सवाल पर दीपावली पर मंथन होना चाहिए।