हेल्थ

कई औषधीय गुणों का भंडार है यह दुर्लभ फल, सिर्फ 3 माह मिलता है बाजार में, 5 फायदे जान लेंगे तो ढूंढ़ने को हो जाएंगे मजबूर

घिंघारू एक औषधीय और बहुउद्देश्यीय पौधा है. इसकी जड़ से लेकर फल, फूल, पत्तियां और टहनियां सभी हमारे लिए अतिलाभदायक हैं. यह फल सिर्फ 3 माह जून, जुलाई और अगस्त के आसपास ही मिलता है. यह खूनी दस्त रोकने और दांत दर्द से निजात दिलाने में मदद करता है. आइए जानते हैं घिंघारू के कई और स्वास्थ लाभ के बारे में-

आयुर्वेद की सूची में कई ऐसे पेड़-पौधों का जिक्र है, जिनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर औषधि बनाने में किया जाता है. ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है, जिसके फल को घिंघारू के नाम से जाना जाता है. यह पहाड़ी फल कुमाऊनी में घिंगारु (Ghingaru), घिंघारू और गढ़वाली में घिंघरु ( Ghinghru ) और नेपाली में घंगारू के नाम से विख्यात है. छोटे-छोटे लाल सेव जैसे दिखने वाले घिंघरु के फलों को हिमालयन रेड बेरी (Himalayan Redberry), फायर थोर्न एप्पल ( firethorn apple) या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं. जबकि इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा ( pyracantha crenulata ) है.

दरअसल, घिंघारू एक औषधीय और बहुउद्देश्यीय पौधा है. इसकी जड़ से लेकर फल, फूल, पत्तियां और टहनियां सभी हमारे लिए अतिलाभदायक हैं. यह फल सिर्फ 3 माह जून, जुलाई और अगस्त के आसपास ही मिलता है. स्कूली बच्चे और गांव में जंगल जाने वाली महिलाएं इसे बड़े चाव से खाती हैं. घिंघारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है. इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शर्करा भी पाई जाती है, जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा इसकी टहनी का प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है, जिससे दांत दर्द से निजात मिल सकती है. आइए बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ के आयुर्वेदाचार्य डॉ. जितेंद्र शर्मा से जानते हैं घिंघारू के कई और स्वास्थ लाभ के बारे में-

घिंघारू प्रोटीन से होते हैं भरपूर

घिंघारू के छोटे-छोटे फल गुच्छों में लगे होते हैं. हालांकि अगस्त या सितंबर में पकने पर नारंगी या फिर गहरे लाल रंग के हो जाते हैं. ये फल हल्के खट्टे, कसैले और स्वाद में मीठे होते हैं. घिंघारू में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होती है. इसका पौधा मध्यम आकार का होता है और इसकी शाखाएं कांटेदार तथा पत्ते गहरे रंग के होते हैं. यह पौधा 500 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

घिंघारू के 5 चमत्कारी स्वास्थ्य लाभ

डायबिटीज में फायदेमंद: पहाड़ी सेव के नाम से जाना जाने वाला फल घिंघारू सेहत के लिए बेहद चमत्कारी माना जाता है. इसका फल तो चमत्कारी होता ही है, साथ ही उसकी भी लाभकारी मानी जाती हैं. बता दें कि, घिंघारू के फल और पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फलामेट्री गुण होने के कारण यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह रोगों को ठीक करने में मदद कर सकता है.

खूनी दस्त से राहत: कई औषधियों के भरपूर घिंघारू खूनी दस्त रोकने में बेहद असरदार माना जाता है. यदि आप खूनी दस्त से परेशान हैं तो इसके फलों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है. इसके लिए घिंघारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ सेवन किया जा सकता है. ऐसा करने से आपको खूनी दस्त जल्द आराम मिल जाएगा.

दांत दर्द में लाभकारी: घिंघारू के पेड़ की टहनी का सबसे अधिक दातून के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस दातून को नियमित करन से दांतों में चमक आने के साथ ही दांत दर्द से भी निजात मिलती है. पहाड़ी क्षेत्र के ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.

कोलेस्ट्रॉल कम करे: पहाड़ों पर मिलने वाला औषधीय फल घिंघारू प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है. ऐसे में सेहत को हेल्दी रखने के लिए इस फल का सेवन जरूर करना चाहिए. दरअसल, घिंघारू के औषधीय गुण रक्त से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं.

हार्ट में रक्त संचार सुधारे: घिंगारू के फल में मौजूद बायोफ्लोनोइड्स हृदय में रक्त संचार को सुचारू करने में असरदार माना जाता है. साथ ही यह रक्त वाहिकाओं को नष्ट होने से भी बचाता है. इसके अलावा यह मस्तिष्क में भी रक्त के प्रवाह को सुचारू करने में सक्षम है, जिसके स्मरण शक्ति को बढ़ावा मिलता है.

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