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पुलिस हिरासत में व्यापारी की मौत: मां बोली- थाने में रची गई हत्या की साजिश, पास से नहीं देखने दी बेटे की लाश

पुलिस हिरासत में व्यापारी की मौत के मामले मां ने कहा कि हत्या की साजिश थाने में रची गई। बेटे की लाश पास से नहीं देखने दी। मेरा बेटा रातभर थाने में तड़पता रहा। दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाए।

 

लखनऊ

राजधानी लखनऊ में पुलिस अभिरक्षा में नई बस्ती जैनाबाद निवासी व्यापारी मोहित कुमार पांडेय की मौत के मामले ने देर रात फिर तूल पकड़ा। नाराज परिजन शनिवार को दोपहर के बाद लोहिया संस्थान के बाहर सड़क जामकर प्रदर्शन किया। धक्का-मुक्की के बाद पुलिस ने परिजनों को अस्पताल परिसर के भीतर किया।

इस दौरान महिला पुलिसकर्मियों से बहस हो गई। परिजन इंस्पेक्टर चिनहट को बुलाने की मांग पर अड़े रहे। हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए इंस्पेक्टर को परिजन के सामने नहीं लाया गया। पुलिस ने किसी तरह शांत कराया। देर रात मां की तहरीर पर इंस्पेक्टर सहित कई के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया।

 

हालांकि, देर रात फिर परिजनों ने संस्थान के बाहर जाम लगा दिया। वह लोग दोनों तरफ मार्गों पर धरने पर बैठ गए। 25 लाख रुपये मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आरोपी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की मांग पर पीड़ित परिवार अड़ा रहा। वाहनों की लंबी कतार लगने पर पुलिस को डायवर्जन करना पड़ा।

पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

पीड़ित परिवार ने चिनहट इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद देर रात करीब साढ़े बजे परिजनों ने रास्ता खाली कर दिया। वहीं, डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह का कहना है कि इंस्पेक्टर चिनहट अश्वनी चतुर्वेदी ने मोहित की तबीयत खराब होने की बात बताई है। तबीयत बिगड़ने पर मोहित को अस्पताल ले जाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है।

इससे पहले मोहित की मां तपेश्वरी ने बताया कि शुक्रवार देर रात बेटे शोभाराम को पुलिस ने यह कहते हुए लॉकअप में डाल दिया कि तुम नेता बन रहे हो। इसके बाद शोभाराम को भी शांति भंग की धारा में हिरासत में ले लिया। शोभाराम का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें व मोहित को लॉकअप में डालकर पिटाई की।

रातभर तड़पता रहा बेटा

बताया कि मोहित रातभर तड़पता रहा। उसने कई बार पानी मांगा। उन्होंने भी पानी देने की गुहार लगाई, पर पुलिसकर्मी नहीं पसीजे। यही नहीं, रात में नित्यक्रिया जाने के लिए मोहित ने कई बार आवाज लगाई। उन्होंने भी लॉकअप का दरवाजा खोलने के लिए कहा। इस पर पुलिसकर्मियों ने गालियां दीं। इसके बाद मोहित की तबीयत और बिगड़ गई।

इस बीच दोनों भाइयों को छुड़ाने के लिए शनिवार दोपहर तक परिवारीजन थाने के चक्कर लगाते रहे। तपेश्वरी का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने परिवारीजनों को थाने से कई बार भगाया। दोनों बेटों से किसी को भी मिलने नहीं दिया गया। दोपहर करीब 2:30 बजे अचानक पुलिसकर्मियों ने मोहित को गाड़ी में बैठाया और शोभाराम को भी साथ में ले लिया।

लोहिया संस्थान लेकर पहुंचे पुलिसवाले

पुलिसकर्मी मोहित को पहले सीएचसी चिनहट लेकर गए। इसके बाद लोहिया संस्थान पहुंचे। हालांकि, लोहिया संस्थान पहुंचने से पहले ही मोहित की मौत हो चुकी थी। संस्थान के डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि भी की है। भाई की मौत की जानकारी पर शोभाराम ने मोहित की पत्नी सुषमा को फोन कर सूचना दी। इसके बाद परिवारवाले लोहिया संस्थान पहुंचे।

परिजन का कहना है कि शोभाराम को पुलिसकर्मियों ने धमकाया है और कुछ भी बोलने से मना किया है। आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने जमानत से पहले शोभाराम से सादे कागज पर हस्ताक्षर भी करवाया था। साथ ही सवाल भी पूछा है कि आखिर पुलिस ने किस मामले में शोभाराम पर शांतिभंग की कार्रवाई की। हादसे के बाद से मोहित की पत्नी सोनी बेसुध हैं। परिजनों ने बताया कि मोहित के पिता का कई साल पहले देहांत हो गया था।

थाने में ही हत्या कराने की रची गई साजिश

तपेश्वरी देवी ने एडीसीपी पूर्वी को तहरीर दी है। इसमें लिखा है कि उनके बेटे का शव भी पुलिसकर्मियों ने पास से देखने नहीं दिया। आनन-फानन पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। बेटे को पास से देखते तो उसके जख्म नजर आते।

मोहित की मां का आरोप है कि आदेश और उसके चाचा ने पूरी साजिश रची है। आदेश के चाचा ने कहा था कि इन लोगों को थाने ले जाओ, वहीं पर इनका काम खत्म करवा देंगे। पुलिस में हमारी अच्छी पकड़ है। थाने के भीतर ही बेटे की हत्या की साजिश रची गई थी। पुलिस ने दबाव में आकर आदेश के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। तपेश्वरी देवी ने पुलिसकर्मियों से कहा कि अगर न्याय नहीं दे सकते तो हमको भी मार डालो।

लेनदेन का विवाद, दोनों पक्षों पर हुई कार्रवाई

शोभाराम ने बताया कि चिनहट के लौलाई निवासी आदेश चार साल से उनके भाई के यहां काम करता था। आरोप है कि आदेश के चाचा नेता हैं, जिन्होंने पुलिसकर्मियों पर मोहित की पिटाई करने का दबाव बनाया था। वहीं, डीसीपी पूर्वी का कहना है कि मोहित और आदेश के बीच लेनदेन का विवाद था। सूचना पर पुलिस दोनों पक्षों को थाने लेकर गई थी। मोहित, शोभाराम और आदेश का शांति भंग की धारा में चालान किया गया था। दोपहर बाद आदेश को जमानत मिल गई थी। मोहित के तीन दो बेटे शिवांश, छोटू और एक बिटिया बिट्टू है।

पहले भी पुलिस अभिरक्षा में हुई है मौत

राजधानी में पुलिस अभिरक्षा में पहले भी लोगों की जान गई है। हाल में विकासनगर पुलिस की हिरासत में अमन गौतम की मौत हो गई थी। इस मामले में भी काफी हंगामा हुआ था। वहीं, तीन जुलाई 2020 को गोमतीनगर विस्तार थाने में सीतापुर निवासी उमेश की मौत हो गई थी। इससे पहले वर्ष 2013 में हसनगंज पुलिस की हिरासत में वीरेंद्र मिश्र की जान चली गई थी। बार-बार हो रही घटनाओं से भी पुलिसकर्मी सबक नहीं ले रहे हैं।

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