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सुप्रीम कोर्ट की मनाही के बाद भी ईडी डायरेक्‍टर को तीसरा एक्‍सटेंशन, Amicus Curiae ने पुराने केस गिना बताया अवैध, सरकार बोली- करप्ट नेताओं को द‍िक्‍कत

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि हमें ये मतलब नहीं है कि याचिका किसने दायर की है। हमें ये देखना है कि सरकार का फैसला सही है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को की जाएगी।

नई दिल्ली

टेस्टिंग के तौर पर पहली बार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की कार्यवाही आज से ट्रांसक्रिप्ट की जाएगी।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर संजय मिश्रा को तीसरा एक्सटेंशन देने का मसला उलझता दिखाई दे रहा है। एमीकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देकर कहा है कि ये सैद्धांतिक रूप से गैर कानूनी है। उनका कहना है कि सरकार का फैसला सरासर गलत है। ध्यान रहे कि किसी भी मामले में एमीकस क्यूरी की नियुक्ति ही अहम होती है, क्योंकि उसका मनोनयन कोर्ट खुद ही करती है। उसे तमाम कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखकर अपनी रिपोर्ट देनी होती है। एमीकस क्यूरी की रिपोर्ट का असर कोर्ट के फैसले में भी दिखाई देता है।

संजय मिश्रा को तीसरा एक्सटेंशन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ही सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन को एमीकस क्यूरी अपाइंट किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के दौरान सीवीसी अमेंडमेंट एक्ट के अलावा तमाम दूसरे फैसलों का अध्ययन किया। उन्होंने विनीत नारायण बनाम केंद्र जैसे कुछ फैसलों का हवाला देकर कहा कि ये एक्सटेंशन सैद्धांतिक रूप से गैर कानूनी है। उनका कहना था कि मसला ईडी के एक डायरेक्टर को दिए एक्सटेंशन का नहीं है। बल्कि इसमें सबसे बड़ी चीज सिद्धांतों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। उनका ये भी दावा है कि सीवीसी एक्ट में संशोधन किया जा चुका है। लेकिन संजय मिश्रा को एक्सटेंशन देने का फैसला 17 नवंबर 2021 को ही किया जा चुका था।

SG बोले- करप्ट नेताओं को दिक्कत, कोर्ट ने कहा- हमें इससे कोई मतलब नहीं

हालांकि केंद्र की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संजय मिश्रा को एक्सटेंशन देने का विपक्षी दलों के वो नेता विरोध कर रहे हैं जो करप्शन के मामलों में फंसे हुए हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि हमें ये मतलब नहीं है कि याचिका किसने दायर की है। हमें ये देखना है कि सरकार का फैसला सही है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को की जाएगी। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अपील की थी कि इस मसले को तत्काल प्रभाव से देखा जाए। सरकार अपनी मनमानी कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने बताया गलत तो सरकार ने CVC एक्ट में कर डाला संशोधन

नवंबर 2018 में संजय मिश्रा को ईडी का डायरेक्टर 2 साल के लिए बनाया गया था। नवंबर 2020 में उनका टर्म पूरा हो गया। उम्र भी 60 हो चुकी थी। 13 नवंबर 2020 को केंद्र ने कहा कि 2018 वाले आदेश को राष्ट्रपति ने मॉडीफाई कर तीन साल का कार्यकाल कर दिया था। एनजीओ कॉमन काज ने सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मॉडीफिकेशन रूल्ज को तो मान लिया लेकिन संजय मिश्रा को तीसरा एक्सटेंशन देने के फैसले को गलत बताया था। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सरकार ने सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) एक्ट में संशोधन कर दिया। इसके तहत सरकार को अधिकार मिल गया था कि वो किसी भी ऐसे अफसर को पांच साल का एक्सटेंशन दे सकती है।

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