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PFI के साथ-साथ आरएसएस पर भी लगे बैन : लालू यादव

पीएफआई की गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हुए आईयूएमएल (मुस्लिम लीग) के वरिष्ठ नेता एमके मुनीर ने कहा कि कट्टरपंथी संगठन ने कुरान की गलत व्याख्या की और समुदाय के सदस्यों को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए उकसाया.

आरजेडी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन भरने के बाद लालू यादव ने कहा कि पीएफआई के साथ-साथ आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए. मुस्लिमों के साथ गलत हो रहा है. इस बार बीजेपी का पताका नहीं फहराया जाएगा. वहीं केरल में कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग या आईयूएमएल ने कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि आरएसएस पर भी बैन लगना चाहिए.

RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर लिखा, “PFI की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं सभी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिसमें RSS भी शामिल है. सबसे पहले RSS को बैन करिए, ये उससे भी बदतर संगठन है. आरएसएस पर दो बार पहले भी बैन लग चुका है. सनद रहे, सबसे पहले RSS पर प्रतिबंध लौह पुरुष सरदार पटेल ने लगाया था.

पीएफआई की गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हुए आईयूएमएल (मुस्लिम लीग) के वरिष्ठ नेता एमके मुनीर ने कहा कि कट्टरपंथी संगठन ने कुरान की गलत व्याख्या की और समुदाय के सदस्यों को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए उकसाया. कोझीकोड में उन्होंने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई ने न केवल युवा पीढ़ी को गुमराह करने की कोशिश की, बल्कि समाज में विभाजन और नफरत पैदा करने की भी कोशिश की. यह कहते हुए कि IUML ने हमेशा RSS और PFI-SDPI दोनों के कार्यों का विरोध किया है.  मुनीर ने कहा कि संबंधित समुदायों को ऐसे संगठनों की सांप्रदायिक विचारधाराओं को अस्वीकार करना चाहिए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व गृह मंत्री रमेश चेन्नीथला ने कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का केंद्र का फैसला एक “अच्छी बात” है. उन्होंने कहा कि आरएसएस को भी इसी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. केरल में बहुसंख्यक सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता दोनों का समान रूप से विरोध किया जाना चाहिए. दोनों संगठनों ने सांप्रदायिक नफरत को भड़काया है और इस तरह समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की है.

बता दें कि दो दौर की देशव्यापी छापेमारी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 240 से अधिक नेताओं और पदाधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद, केंद्र ने कल शाम संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत तत्काल प्रभाव से “गैरकानूनी संघ” घोषित किया गया है.

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