हेल्थ

50 फीसदी से ज्यादा लोगों को ओमिक्रॉन से संक्रमित होने का नहीं पता, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

एक ताजा रिसर्च के मुताबिक, ओमीक्रोन से संक्रमित करीब पचास फीसदी लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वह संक्रमित हैं। वह अनजाने में दूसरों को वायरस बांट रहे होते हैं। इस रिसर्च के नतीजे जामा नेटवर्क ओपन मे

नई दिल्ली

एक ताजा रिसर्च के मुताबिक, ओमीक्रोन से संक्रमित करीब पचास फीसदी लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वह संक्रमित हैं। वह अनजाने में दूसरों को वायरस बांट रहे होते हैं। इस रिसर्च के नतीजे जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के अनुसार, अधिकतर टीकाकरण वाले लोगों में अपेक्षाकृत हल्के लक्षण या बिल्कुल लक्षण नहीं दिखते।

210 लोगों पर अध्ययन
सिनाई हार्ट इंस्टीट्यूट में इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन हेल्दी एजिंग के निदेशक डॉ. सुसान चेंग ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और एबॉट लैब के अपने सहयोगियों के साथ मिल 210 रोगियों पर अध्ययन किया। इन लोगों ने एंटीबॉडी परीक्षण के लिए कम से कम दो रक्त के नमूने दिए थे। इन नमूनों से पता चला कि कई लोगों को खुद के संक्रमण होने के बारे में जानकारी नहीं थी।

रैपिड टेस्ट किट से बढ़ी जागरूकता
आंकड़ों से पता चला है कि इस साल बड़े स्तर पर घर पर रैपिड टेस्ट किट उपलब्ध होने के बाद लोगों में जागरुकता बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक, 75 फीसदी लोग जनवरी और फरवरी में खुद के संक्रमित होने से अनजान थे। वहीं मई में 56 फीसदी लोगों को नहीं पता था कि वे संक्रमित हैं। इससे यह तो साफ-साफ नजर आता है कि लोग जागरूक हो रहे हैं मगर अब भी यह तथ्य चिंताजनक है कि आधे से अधिक लोगों को यह पता नहीं होता कि वह संक्रमित हैं।

लोग कई बार हो रहे संक्रमित
अध्ययन के अनुसार, ओमिक्रॉन के सबवेरिएंट्स से लोग न केवल एक बार बल्कि कई बार संक्रमित हो रहे हैं। इसलिए सार्वजनिक स्थान पर जाने वाले लोगों को रैपिड टेस्ट करते रहना चाहिए। चेंग का कहना है कि वह वर्तमान में यह बेहतर ढंग से समझने के लिए पुन: संक्रमण का अध्ययन कर रहे हैं।

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