देश

‘न उगली जाए, न निगली जाए’ की स्थिति में विपक्ष! ज्ञानवापी विवाद में सपा, बसपा और कांग्रेस ने क्यों साधी चुप्पी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2014 में सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को ‘हिंदू वोट’ की ताकत का पता चल गया है। इसी व्यापक वोट बैंक के कारण ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के मामले में विपक्षी दलों के सामने ‘न उगली जाए, न निगली जाए’ की स्थिति बन गई है। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) की कूटनीतिक चुप्पी इस तथ्य को स्वीकार करती दिखती हैं कि अगर उन्होंने मुस्लिम पक्ष का समर्थन किया तो उन्हें हिंदू विरोधी कहा जाएगा और अगर उन्होंने हिंदू पक्ष का समर्थन किया तो मुस्लिम वोट बैंक हाथ से खिसक जाएगा।

SP ने ज्ञानवापी मामले में स्पष्ट नहीं किया अपना रुख 

उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने इस मसले पर अपना स्पष्ट रुख सामने नहीं रखा है। हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव यह जरूर कह रहे हैं कि भाजपा वोटबैंक के लिए सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का रही है। अखिलेश यादव ने ज्ञानवापी मस्जिद पर जारी बहस के बीच हिंदुओं की पूजा के प्रति आस्था का मजाक उड़ाते हुए जब कहा कि हिंदू कहीं भी पत्थर रखकर उसकी पूजा करने लगते हैं, तब भाजपा ने उन्हें हिंदू धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया।

हिंदू धर्म का अपमान करने और हिंदू विरोधी कहलाने के भय के कारण अखिलेश यादव ने इस विवाद से तेजी से अपने पैर पीछे खींच लिए। सपा प्रमुख को यह आभास हो गया कि अगर उन्हें अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखना है तो मुस्लिम वोट के साथ हिंदू वोट को भी अपने पक्ष में रखना होगा। अखिलेश ने थोड़ी देर से ही सही, लेकिन यह समझ लिया कि ज्ञानवापी मस्जिद में कोई पक्ष लेना उन्हें दूसरे पक्ष का विरोधी बना देगा।

कांग्रेस ने भी सोच-समझकर साधी है चुप्पी 

सपा के मुस्लिम नेताओं सांसद शफीकुर रहमान बर्क और एस.टी. हसन के अलावा किसी भी अन्य पार्टी नेता ने इस विवाद के बारे में अपने विचार व्यक्त नहीं किए हैं। बसपा ने इस मामले में एक विज्ञप्ति जरूर जारी की है और भाजपा की निंदा करते हुए कहा कि वह देश में सांप्रदायिक सौहाद्र्र के माहौल को बिगाड़ रही है। कांग्रेस ने भी बहुत सोच-समझकर चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी है। कांग्रेस आमतौर पर ऐसे मुद्दों पर बढ़-चढ़कर बोलती रही है, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव और अपनी मौजूदा स्थिति को देखते हुए उसने भी कुछ न बोलना ही बेहतर समझा है।

कांग्रेस की ज्ञानवापी पर यह रही प्रतिक्रिया 

कांग्रेस के प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णम जब इस मुद्दे पर यह कहते दिखे कि मुस्लिमों को ताजमहल और कुतुब मीनार भी हिंदुओं को सौंप देने चाहिए तो उन्हें पार्टी के व्हाट्स ग्रुप में कड़ी चेतावनी दी गई और आगे से इस मामले में चुप रहने के लिए कहा गया। इस पूरे प्रकरण में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि भाजपा के गठबंधन सहयोगी दल भी खुद को इस विवाद में घसीटना नहीं चाहते हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल ने ज्ञानवापी मामले में कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की है। इससे पता चलता है कि ये दल इस मुद्दे पर खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं और साथ ही अल्पसंख्यकों के साथ अपने जातीय समीकरण को बिगाड़ना नहीं चाहते।

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button