कर्नाटक

डकैती, चोरी और धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में पुलिस कर्मियों की संलिप्तता बढ़ रही है : एमए सलीम(आईजीपी)

कर्नाटक में डकैती, चोरी और धोखाधड़ी जैसे मामलों में पुलिसकर्मियों की बढ़ती संलिप्तता को देखते हुए डीजी एवं आईजीपी एमए सलीम ने सभी पुलिस इकाइयों को नियमित पृष्ठभूमि जांच और परामर्श अनिवार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अपराध में लिप्त पाए जाने पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ सबसे सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।

 

बंगलूरू

कर्नाटक में डकैती, चोरी और धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में पुलिस कर्मियों की संलिप्तता बढ़ रही है। इसको देखते हुए राज्य के महानिदेशक (डीजी) और पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) एमए सलीम ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने सभी पुलिस इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे पुलिस कर्मियों के किसी भी प्रकार के कदाचार को रोकने के लिए उनकी नियमित पृष्ठभूमि की जांच करें और परामर्श आयोजित करें।

सलीम ने चेतावनी दी कि किसी भी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी को अगर अपराध में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ सबसे सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। पांच दिसंबर को जारी नोटिस में उन्होंने सभी पुलिस अधीक्षकों, क्षेत्र प्रमुखों और आयुक्तों को लिखा कि पुलिसकर्मियों का अपराध या अवैध गतिविधियों में शामिल होना पूरी तरह अस्वीकार्य है।

उन्होंने हाल के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि दावणगेरे में दो उप निरीक्षकों को सोने के व्यापारी से डकैती के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जबकि बंगलूरू के गोविंदपुरा में कांस्टेबल को नकदी प्रबंधन कंपनी के पूर्व कर्मचारी के साथ मिलकर उच्च मूल्य की नकद चोरी में शामिल होने के लिए पकड़ा गया।

सलीम ने कहा, ये घटनाएं पुलिस बल की गरिमा को ठेस पहुचाती हैं, जनता का भरोसा कम करती हैं और पूरे कानून-व्यवस्था तंत्र की ईमानदारी पर सवाल उठाती हैं। नोटिस के अनुसार, महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक सलीम ने सभी पुलिस इकाइयों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की नियमित पृष्ठभूमि की जांच और ईमानदारी का मूल्यांकन सुनिश्चित करें। पुलिस इकाइयों को नैतिक आचरण, कानूनी जिम्मेदारियों और भ्रष्टाचार एवं कदाचार के परिणामों पर जागरूकता सत्र और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया है।

सभी इकाइयों के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि किसी भी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी की अवैध गतिविधियों या आपराधिक व्यवहार की जानकारी तुरंत पुलिस मुख्यालय को दी जाए। इसके अलावा, कर्मचारियों के कामकाज से जुड़ी तनाव और कम मनोबल जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए मार्गदर्शन और परामर्श कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

 

 

 

 

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