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SC पर मुकदमों का बोझ होगा कम, CJI सूर्यकांत ने बताए अपने 2 अचूक हथियार, आम लोगों के लिए खुलेंगे दरवाजे

देश के 53वें सीजेआई के रूप में शपथ लेने वाले वाले जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट में अपना फ्यूचर प्लान बता दिया है. उन्होंने एक प्रोग्राम में बात करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट को आम पब्लिक फ्रेंडली बनाना है. उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान केसों के निपटारा के लिए उनके दो अचूक हथियार के भी नाम बताए हैं.
नई दिल्ली
भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने अपनी पहली प्राथमिकता बता दी है. उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स के एक कार्यक्रम में बताया कि उनकी प्राथमिकता सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या को कम करना है, जिसके लिए वह ‘मध्यस्थता और मुकदमेबाजी’ को दो प्रमुख उपकरणों के रूप में उपयोग करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे सीजेआई बनने से पहले ही इस प्रैक्टिस पर काम कर रहा हूं ताकि केसों का जल्दी से निपटारा कराया जा सके और आम लोगों की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच आसान हो जाए.
उन्होंने एचटी के समारोह में कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता (सीजेआई के रूप में) पूर्वानुमानित समयसीमा और लंबित मामलों के शीघ्र समाधान पर आधारित राष्ट्रीय न्यायिक नीति होगी. उन्होंने कहा कि दो अचूक हथियारों जैसे मध्यस्थता और मुकदमेबाजी के जरिए इस लक्ष्य को प्राप्त करना है. उन्होंने आगे कहा कि कहा, ‘पिछले छह महीनों में, मैंने एक मध्यस्थता मिशन शुरू किया है. मध्यस्थता एक ऐसा साधन है जिसे मैं चाहता हूं कि मेरे अन्य भाई-बहन न्यायाधीशों के सहयोग से हम लोकप्रिय बना सकें.
मुकदमे बाजी को प्राथमिकता क्यों देना चाहते हैं सीजेआई
सीजेआई इसी कार्यक्रम में आगे कहा, ‘दूसरी बात मुकदमेबाजी को प्राथमिकता देना है. हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय आम आदमी के लिए भी है.’ सीजेआई ने देश की न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए अपनी योजना भी साझा की और कहा कि वे समयसीमा और पूर्वानुमान में सुधार के लिए जिला न्यायपालिकाओं को संवेदनशील बनाने की दिशा में काम करेंगे. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हम ज्यूडिशियल एकेडमी और हाईकोर्ट के जरिए ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहे हैं.’
डिजीटल अरेस्ट
जस्टिस कांत ने डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर अपराध के मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि न्यायपालिका नई चुनौतियों का सामना कर रही है. किसी ने नहीं सोचा था कि डिजिटल गिरफ्तारी के मामले सामने आएंगे. हमें नियमित रूप से ट्रेनिंग आयोजित करने और अपने न्यायिक अधिकारियों को नई चुनौतियों और उनसे सही तरीके से निपटने के तरीकों से अवगत कराने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘पीड़ित भारत में हो सकता है, जबकि अपराधी देश से बाहर किसी द्वीप पर हो सकता है.’
सुप्रीम कोर्ट कैसे जा सकते हैं?
दरअसल, बहुत ही कम लोगों को पता है कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकते हैं- रिट पिटिशन के जरिए केस दर्ज करा सकते हैं. यानी कि अनुच्छेद 32 के तहत आप सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. अगर आपके मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) का उल्लंघन हुआ है, तो आप सीधे सुप्रीम कोर्ट में रिट (हैबियस कॉर्पस, मंडामस, प्रोहिबिशन, क्वो वारंटो, सर्टियोरारी) दायर कर सकते हैं. यह सबसे बड़ा अधिकार है जो संविधान आपको देता है. यह आपका संवैधानिक हक है. कोई रोक नहीं सकता.
सुप्रीम कोर्ट जानें के अन्य तरीके
- SLP (Special Leave Petition- Article 136)- अगर निचली कोर्ट या हाईकोर्ट ने आपके मामले में गलत फैसला दिया है. आप उससे सहमत नहीं हैं, तो आप SLP दाखिल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट SLP स्वीकार करे या नहीं, यह उसका विशेष अधिकार है. ज्यादातर मामले इसी रास्ते आते हैं.
- PIL (Public Interest Litigation)- अगर मामला सार्वजनिक हित का है (पर्यावरण, भ्रष्टाचार, मानवाधिकार आदि), तो कोई भी व्यक्ति PIL दाखिल कर सकता है.
कैसे जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट?
- खुद या वकील के माध्यम से ई-फाइलिंग (supremecourt.gov.in) पर करें.
- फीस बहुत कम है (PIL का फीस नाममात्र का होता है).
- लेकिन 90% SLP खारिज हो जाती हैं, इसलिए मजबूत आधार होना चाहिए.
न्यायपालिका की आजादी पर उन्होंने कहा, ‘संविधान में शक्तियों का बंटवारा किया गया है। संविधान में न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका की अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं और कोई भी शक्ति दूसरी शक्ति के अधिकारक्षेत्र में दखल नहीं देती। साथ ही संविधान की खूबसूरती ये भी है कि ये तीनों शक्तियां एक दूसरे के साथ मिलकर काम करती हैं और तीन की एक दूसरे पर निर्भरता भी है।’




