हेल्थ

सालभर में सिर्फ 60 दिन मिलता है यह जंगली फल, 100 साल की उम्र में भर देगा जवानी, कैंसर से लड़ने में भी सक्षम

लसोड़ा फ्रूट को बेहद शक्तिशाली फल माना जाता है. यह सिर्फ मई से जुलाई के बीच मिलता है. इसमें एंटीकैंसर और एंटीएलर्जिक गुण होते हैं, जो कई बीमारियों से बचा सकते हैं. यह फल शरीर में नई जान फूंक सकता है.

हाइलाइट्स
  • लसोड़ा फल केवल मई से जुलाई के बीच मिलता है.
  • लसोड़ा में एंटी-कैंसर और एंटी-एलर्जिक गुण होते हैं.
  • लसोड़ा डायबिटीज और हाई बीपी को कंट्रोल करता है.

Lasoda Fal Ke Fayde: हमारे देश में सैकड़ों किस्म की फल और सब्जियां पैदा होती हैं. इनमें अलग-अलग पोषक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए लाभकारी माने जाते हैं. कुछ फल 12 महीनों पैदा होते हैं, तो कुछ फल सिर्फ 2-3 महीनों के लिए बाजार में आते हैं. ऐसा ही एक जंगली फल लसोड़ा (Lasoda) है. इसे भारतीय चेरी और ग्लूबेरी के नाम से भी जाना जाता है. यह फल भारत में पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर लगभग हर जगह पाया जाता है, लेकिन साल में सिर्फ दो महीने मिलता है. लसोड़ा मई से जुलाई के बीच पैदा होता है. इसका स्वाद मीठा होता है और यह दिखने में छोटा लेकिन गुणों में बड़ा होता है. लसोड़ा न सिर्फ अपने फल, बल्कि पत्तों और लकड़ी के लिए भी प्रसिद्ध है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर बेंगलुरु की एक रिसर्च में पता चला है कि लसोड़ा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यह जंगली फल कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, आयरन और पेक्टिन का भी अच्छा सोर्स माना जाता है. लसोड़ा फेनोलिक यौगिकों से भरपूर होता है, जो इसे औषधीय दृष्टिकोण से ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है. कच्चे लसोड़े की सब्जी और अचार भी बनाया जाता है. लसोड़ा में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. नियमित रूप से इसका सेवन करने से डायबिटीज के खतरे को भी कम किया जा सकता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व हाई ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में सहायक होते हैं. लसोड़ा में एंटी-कैंसर और एंटी-एलर्जिक गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर को गंभीर बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं.

कई पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में लसोड़ा को त्वचा और घावों के लिए रामबाण माना गया है. लसोड़ा स्किन डिजीज के लिए भी बेहद असरदार होता है. दाद, खाज, खुजली जैसी समस्याओं में इसका सेवन या बाहरी उपयोग काफी राहत देता है. इसकी पत्तियों को पीसकर घाव या अल्सर पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है. इस कारण पारंपरिक चिकित्सा में इसकी पत्तियों का उपयोग औषधीय रूप से किया जाता है. लसोड़ा सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि एक संपूर्ण औषधीय पौधा है. इसकी लकड़ी का इस्तेमाल निर्माण कार्यों और कृषि उपकरणों के निर्माण में किया जाता है. इसके पत्ते न केवल औषधीय रूप में प्रयोग किए जाते हैं, बल्कि पशुओं के लिए पौष्टिक चारा भी माने जाते हैं.

मैदानी इलाकों में लसोड़ा खूब पैदा होता है और इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं होती है. इस वक्त लसोड़ा का सीजन चल रहा है और अगर आप खुद को फिट और हेल्दी रखना चाहते हैं, तो लसोड़ा का सेवन शुरू कर सकते हैं. जुलाई के बाद आपको लसोड़ा मार्केट में नहीं मिलेगा. कई लोग इस सीजन में लसोड़ा का अचार बनाकर रख लेते हैं और सालभर इसका स्वाद लेते हैं. लसोड़ा का सदियों से सेवन होता आ रहा है और आयुर्वेद में भी इसे औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है. वैसे तो सभी लोगों के लिए यह सुरक्षित माना जाता है, लेकिन अगर आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, तो लसोड़ा का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

 

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