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मोदी की गलतबयानी से देश के भीतर नफरत और हिंसा का माहौल बना है ?

किसी भी देश के लिये इससे अधिक शर्मनाक बात और कोई हो नहीं सकती कि उसका नेतृत्व करने वाले व्यक्ति पर मिथ्याभाषी होने का आरोप लगे

किसी भी देश के लिये इससे अधिक शर्मनाक बात और कोई हो नहीं सकती कि उसका नेतृत्व करने वाले व्यक्ति पर मिथ्याभाषी होने का आरोप लगे। उस व्यक्ति के लिये भी यह उतना ही शर्मनाक होगा कि उसे अपनी कोई बात इसलिये वापस लेनी पड़े क्योंकि वह गलत साबित हो जाती है- चाहे वह किसी भी स्वरूप में क्यों न हो! दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में यह भी पहली बार हो रहा है कि प्रधानमंत्री पिछले 10 वर्षों से लगातार गलतबयानी कर रहे हैं, फिर चाहे वह संसद हो या सार्वजनिक सभाएं, चुनावी घोषणापत्र हो या प्रचार रैलियां- नरेन्द्र मोदी इस मामले में अपने उदाहरण स्वयं ही हैं। वे शायद भूल रहे हैं कि एक राष्ट्राध्यक्ष केवल कार्यपालिका प्रमुख नहीं होता वरन वह देश के मूल्यों, आदर्शों एवं नैतिकता का भी संरक्षक होता है। इस मोर्चे पर श्री मोदी ने इसलिये भारत को निराश किया है क्योंकि इस महादेश ने जिन मूल्यों पर चलकर आजादी पाई, यानी सत्य और अहिंसा, वे दोनों ही मटियामेट कर दिये गए हैं।

हिंसा के प्रश्रय के बारे में अनुकूल अवसर पर चर्चा की जा सकती है लेकिन फिलहाल यह प्रसंग इसलिये उठ खड़ा हुआ है क्योंकि नरेन्द्र मोदी के एक बड़े असत्य कथन से देश शर्मसार है। उनकी भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और कार्यकर्ता-समर्थक लज्जित हैं या नहीं- यह तो वे ही जानें। मामला है मोदी द्वारा अपने ही एक ट्वीट को डिलीट करना जो उन्होंने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के एक भाषण को सन्दर्भ बनाकर पोस्ट किया था। हाल ही में खरगे ने सलाह दी थी कि सरकारों को वे ही वादे करने चाहिये जो वे पूरा कर सकें। हमले का अवसर मानकर अपने एक्स हैंडल पर तत्काल मोदी ने इस आशय का ट्वीट किया कि कांग्रेस की सरकारें झूठे वायदे करती है। उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों के हवाले से कहा कि कांग्रेस की गारंटियां झूठी हैं और इन राज्यों की हालत बहुत खराब है। यह ट्वीट कर मोदी ने मानो बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया। इसका प्रत्युत्तर कांग्रेस के नेताओं ने देकर मोदी को इतना मजबूर कर दिया कि उन्हें एक्स पर से वह ट्वीट हटाना पड़ा।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मोदी पर तंज कसा कि वे फिर से चुनावी मोड में आ गये हैं। खेड़ा ने बताया कि कर्नाटक सरकार ने पांच की पांच गारंटियां लागू कर दी हैं जबकि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किये गये 10 में से पांच वायदे पूरे हो चुके हैं। वहीं तेलंगाना सरकार अपना रिपोर्ट कार्ड स्वयं केन्द्र को भेज चुकी है। कांग्रेस नेता यहीं तक नहीं रूके। उन्होंने मोदी से पूछ लिया कि अब वे बतायें कि उनके द्वारा किये गये कितने वादे पूरे हुए हैं। खेड़ा ने व्यंग्य किया कि ‘लगता है मोदी अपने ट्रोल्स के फॉलोअर बन गये हैं परन्तु वे (ट्रोल्स) भी इतने खराब पोस्ट नहीं करते कि उन्हें अपने ट्वीट्स हटाने पड़ें।’ मोदी को मशरूम छोड़कर बादाम खाने की सलाह देते हुए खेड़ा ने कहा कि इससे उन्हें अपने वादे याद आ जायेंगे। उन्होंने मोदी को 100 स्मार्ट सिटी, नमामि गंगा, महिला सुरक्षा, रुपये व पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों को लेकर किये गये वादों की याद भी दिलाई।

कांग्रेस पर वादाखिलाफी का ट्वीट करने तथा उसे डिलीट करने को लेकर स्वयं खरगे ने मोदी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ‘झूठ, छल, जालसाजी, लूट और प्रचार’ मोदी एवं उनकी सरकार को परिभाषित करते हैं। खरगे ने कहा कि 100 दिन के भीतर वादे पूरा करना मोदी का जुमला साबित हुआ है। इसके साथ ही कांग्रेसाध्यक्ष ने कहा कि इसी वर्ष की 16 मई को मोदी ने कहा था कि 2047 के लिये रोडमैप हेतु 20 लाख लोगों से इनपुट लिये गये थे। प्रधानमंत्री कार्यालय से जब सूचना के अधिकार के तहत इस बाबत जानकारी मांगी गई तो मोदी की वह बात भी झूठ साबित हुई है।

श्री मोदी ने सत्ता में आने के लिये अनेक ऐसी मनगढ़ंत बातें गढ़ी, जिन्होंने उन्हें गद्दी तक पहुंचाया। अब वे उसे बचाये रखने तथा लम्बे समय तक शासन करने के लिये अनेकानेक तरह के असत्यों का सहारा लेते हैं। खुद की छवि गढ़ने के लिये कभी वे खुद को चाय बेचने वाले गरीब बालक के रूप में प्रस्तुत करते हैं, तो कभी वे अपने को बहादुर बतलाने के लिये गांव के उस तालाब में तैरकर मंदिर का झंडा बदलने की बात करते है जो उस समय मगरमच्छों से भरा था। सच तो यह है कि किसी ने न उन्हें चाय बेचते देखा और न ही उस कथित तालाब का कोई अता-पता है। उनका दूसरा बड़ा झूठ अपनी पार्टी के समर्थन में कहा जाता रहा है जिसमें वे बतलाते रहे हैं कि उनकी पार्टी के शासन में लोकतंत्र स्थापित हुआ है और देश खुशहाल हो गया है। जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। वे कांग्रेस को भ्रष्ट तथा देश विरोधी संगठन साबित करने के लिये बहुतेरे झूठ बोलते हैं। इसके लिये वे किसी भी हद तक जाते हैं, फिर वे चाहे पहले प्रधानमंत्री तथा राष्ट्र निर्माता जवाहरलाल नेहरू हों अथवा कोई परवर्ती प्रधानमंत्री। अपनी सत्ता तथा अपने कारोबारी मित्रों को बचाने में वे जो झूठ बोलते हैं उससे देश के भीतर नफरत और हिंसा का माहौल बना है।

कांग्रेस पर हमले के लिए किए पांच में से एक ट्वीट भले ही श्री मोदी ने डिलीट कर दिया हो. लेकिन लोकतंत्र और संविधान तभी बचेगा, जब राजनीति से अनैतिकता डिलीट यानी मिटाई जाए।

 

 

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