काजू-बादाम से ज्यादा ताकतवर है यह हरा पत्ता ! शरीर में फूंक देता है पहलवान सी ताकत, यकीन न हो तो कर लें ट्राई

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लोग खूब काजू-बादाम खाते हैं. माना जाता है कि इन ड्राई फ्रूट्स को खाने से बीमारियों से बचा जा सकता है. हालांकि हमारे आसपास कई नेचुरल चीजें होती हैं, जिनमें औषधीय गुण होते हैं. अक्सर नदी-तालाब के किनारे आपने एक हरी बेल देखी होगी, जिसमें सफेद या गुलाबी फूल आता है. इसे जलकुंभी कहा जाता है. कई जगहों पर जलकुंभी का सेवन सब्जी बनाकर किया जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जलकुंभी के पत्ते आपकी सेहत को चमत्कारी फायदे दिला सकते हैं. जलकुंभी के पत्तों में सेहत का राज़ छिपा होता है.
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट के अनुसार जलकुंभी के पत्तों में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. इसकी वजह से जलकुंभी को सेहत के लिए वरदान माना जा सकता है. कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जलकुंभी का इस्तेमाल हैजा, गले में खराश और सांप के काटने के इलाज में किया जा सकता है. कई देशों में जलकुंभी को दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जलकुंभी के पत्ते, जड़ और फूलों का वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया, जिसमें पता चला कि इन सभी में कई रासायनिक घटक होते हैं, जो बीमारियों से बचाने में कारगर हो सकते हैं.
जलकुंभी में एंटी एजिंग तत्व पाए जाते हैं, जो लोगों लंबी उम्र तक जवां बनाए रख सकते हैं. जलकुंभी में एंटी कैंसर भी प्रॉपर्टी होती हैं.जलकुंभी के पत्तों में अनगनित पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर में एनर्जी भर सकते हैं और ताकत प्रदान कर सकते हैं. शरीर को चट्टान सा मजबूत और निरोगी बनाने के लिए जलकुंभी का सेवन किया जा सकता है. जलकुंभी स्किन हेल्थ के लिए बेहद लाभकारी है. एक्जिमा समेत कई त्वचा रोगों से राहत दिलाने में जलकुंभी के पत्तों का अर्क चमत्कारी साबित हो सकता है. कई स्किन केयर प्रोडक्ट में जलकुंभी का इस्तेमाल किया जाता है.
जलकुंभी को पेट की समस्याओं से निजात दिलाने में अशरदार माना जा सकता है. जलकुंभी की फलियां खाने से दस्त, मतली और पेट फूलने से आराम मिलता है. जलकुंभी शरीर में जमे बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल कर सकती है. जलकुंभी में हाइपो कोलेस्ट्रोलेमिक गुण होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल की समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं. गले में खराश, सूजन और किसी तरह के इंफेक्शन से राहत पाने के लिए जलकुंभी के पत्तों का अर्क इस्तेमाल किया जा सकता है. सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के इलाज में भी जलकुंभी का इस्तेमाल किया जा सकता है.