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पथरी को जड़ से समाप्त कर सकते हैं पहाड़ों में मिलने वाले 2 चमत्कारी पौधे! ज्यादा सेवन हो सकता है खतरनाक

एक रिसर्च के अनुसार हर 5 में से 1 इंसान को पथरी की समस्या हो रही है. हालांकि पथरी का इलाज संभव है और कई बार ऑपरेशन भी इसके लिए किया जाता है लेकिन पहाड़ों में दो पौधे ऐसे भी हैं, जो प्राकृतिक रूप से पथरी के इलाज के लिए ही बने हैं.

पिथौरागढ़.

आयुर्वेद दुनिया की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है और इसका जन्म भारत में ही हुआ था. आज से लगभग दो हजार वर्ष पहले लिखी गई चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदयम नामक तीन प्राचीन ग्रंथों को आयुर्वेद का प्रमुख ग्रंथ माना जाता है. यह चिकित्सा पद्धति औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों और अन्य प्राकृतिक तत्वों पर आधारित है. इसलिए इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है. यह बीमारी की जड़ पर वार करती है.

लोगों की आम धारणा हैं कि पहाड़ों में रहने वाले लोग आयुर्वेद चिकित्सा मिलने से पहले ही प्रकृति में पाए जाने वाली जड़ी बूटियां और पेड़-पौधों का इस्तेमाल करके निरोग रहते चले आए हैं. आज भी पहाड़ों में कई ऐसे पौधे हैं, जिनका उपयोग कई बीमारियों के इलाज होता हैं. कुछ ऐसे ही पौधों के बारे में हम आज बात कर रहे हैं.

5 में से 1 इंसान हैं पथरी की समस्या से पीड़ित
उचित खानपान न होना और मिलावटी सामान के इस्तेमाल के कारण आजकल लोगों में पथरी जैसी बीमारी आम हो गयी है. एक रिसर्च के अनुसार हर 5 में से 1 इंसान को पथरी की समस्या हो रही है. हालांकि पथरी का इलाज संभव है और कई बार ऑपरेशन भी इसके लिए किया जाता है लेकिन पहाड़ों में दो पौधे ऐसे भी हैं, जो प्राकृतिक रूप से पथरी के इलाज के लिए ही बने हैं. इनका स्थानीय नाम सिलफोड़ा और पत्थरचट्टा है. इन पौधों के उपयोग से शरीर से पथरी को निकालने में मदद मिलती है.

पत्थरचट्टा का ऐसे करें इस्तेमाल
सिलफोड़ा और पत्थरचट्टा पौधों के सही इस्तेमाल और इससे होने वाले फायदों की जानकारी आयुर्वेद चिकित्सा के जानकार विजय प्रकाश जोशी ने बताया कि पत्थरचट्टा के पत्तियों का पानी, काढ़ा और चटनी बनाकर इस्तेमाल किया जाता है, जिसका पथरी के रोगी एक हफ्ते तक लगातार सेवन कर सकते हैं. इस पौधे का रस पथरी को तोड़ने में सहायक होता है और यूरिन के जरिए पथरी बाहर निकालता है.

ज्यादा सेवन हो सकता है खतरनाक
विजय प्रकाश जोशी ने बताया कि सिलफोड़ा की जड़ के टुकड़ों को सुखाकर सुपारी की तरह हफ्ते में दो बार सेवन करना होता है. इसका ज्यादा सेवन शरीर के लिए हानिकारक भी है. हफ्ते में दो बार इसके सेवन से भी पथरी शरीर से बाहर निकल जाती है. विजय जोशी खुद का एक आयुर्वेदिक अस्पताल भी चलाते हैं, जहां पंचकर्म और जड़ी बूटी से लोगों का इलाज किया जाता है. किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए आप विजय जोशी से इस नंबर 9917712188 पर संपर्क कर सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और हेल्थ बेनिफिट रेसिपी की सलाह, हमारे एक्सपर्ट्स से की गई चर्चा के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, न कि व्यक्तिगत सलाह. हर व्यक्ति की आवश्यकताएं अलग हैं, इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही, कोई चीज उपयोग करें. कृपया ध्यान दें, CRIME CAP NEWS की टीम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगी.

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