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प्रकृति का वरदान है ये दुर्लभ पौधा, पत्तियों में एंटी-डायबेटिक गुण, 5 बड़ी बीमारियों के लिए रामबाण

 

 

धार्मिक दृष्टि से इस पौधे का विशेष महत्व है. इसे कई नामों से जाना जाता है. परिजात, हरशिंगार, हरसिंगार, हरश्रृंगार, श्रृंगार आदि नामों से जाना जाता है. अंग्रेजी में इसे नाइज जैस्मिन कहा जाता है. धार्मिकता के अलावा यह पौधा औषधीय गुणों से भी भरपूर है. हरसिंगार से जोड़ों का दर्द और साइटिका से तत्काल राहत मिल सकती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस पौधे को स्वर्ग से धरती पर लाया था. शास्त्रों में पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा गया है. एक अन्य मान्यता है कि पारिजात समुद्र मंथन से निकला है. माना जाता है कि जिस घर में हरसिंगार का पौधा लगा होता है उस घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है. वैज्ञानिक दृष्टि से हरसिंगार एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से संपन्न है.

हरसिंगार में गुण

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. दीक्षा भवसार ने इंस्टाग्राम पर लिखा है कि हरसिंगार को रात की रानी भी कहा जाता है क्योंकि यह सिर्फ रात को ही खिलता है और सुबह हरसिंगार के फूलों की नीचे चादर बिछी रहती है. हरसिंगार में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद रहता है. इस लिहाज से कई बीमारियों में हरसिंगार की पत्तियां देवदूत की तरह है. यह क्रोनिक बुखार, रूमेटिज्म, अर्थराइटिस, ज्वांइट पेन, साइटिका और डायबिटीज में बेहद औषधि वर्धक है.

हरसिंगार के 5 फायदे

  • जोड़ों के दर्द में-डॉ. दीक्षा भवसार कहती हैं कि यदि आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो हरसिंगार की छाल, फूल और पत्तियां को ले लें. इसकी मात्रा करीब 5 ग्राम होनी चाहिए. इसे 200 ग्राम पानी में उबाल दें. जब एक चौथाई पानी उबल कर खत्म हो जाए तो इसे छान लें और ठंडा कर पीएं. जोड़ों के दर्द से तत्काल राहत मिलेगी.
  • क्रोनिक बुखार-अगर किसी को क्रोनिक बुखार है. यानी बुखार लगातार महीनों सालों से हो रहा है तो 3 ग्राम परिजात की छाल और 2 ग्राम इसकी पत्तियों को पानी में उबालें. इसमें 2-3 तुलसी के पत्ते भी दे दें. अब इसे ठंडा कर पीएं. दिन में दो बार कुछ दिनों तक पीएंगे तो पुराना से पुराना बुखार खत्म हो जाएगा.
  • डायबिटीज-इसकी पत्तियों में एंटी-डायबेटिक गुण है. इसके लिए पत्तियों को पीस लें और इसे पानी में हल्का गर्म कर सुबह-सुबह पी लें. ब्लड शुगर को बहुत हद तक कंट्रोल करेगा.
  • साइटिका में-3-4 पत्तियों को गाइंड कर इसे पानी के साथ उबालें और बाद में ठंडा कर खाली पेट पी लें. पुराना से पुराना साइटिका की बीमारी से निजात मिल जाएगी.
  • सर्दी-खांसी में-इस मौसम के लिए परिजात बेहद उपयोगी है. सर्दी के दिनों में परिजात की पत्तियों को चाय बनाकर भी पी सकते हैं. यदि सर्दी-जुकाम ज्यादा है तो परिजात की पत्तियों को पीस लें और इसे पानी के साथ गर्म करें. इसमें थोड़ा अदरक भी पीसकर डाल दें. इसे शहद के साथ खाएं. सदी-जुकाम को नामोनिशान मिट जाएगा.

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