हेल्थ

महिलाओं के ब्लैडर में आखिर क्यों होती है इतनी दिक्कतें, डॉक्टर से ही समझें बारीक कारण, ये हैं बचने के उपाय

महिलाओं में पेशाब से संबंधित कई तरह की जटिलताओं के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्हें बार-बार पेशाब जाने की समस्याओं सहित यूटीआई का भी हमेशा खतरा रहता है. इन समस्याओं से निजात पाने के लिए  नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रीत बंसल से बात की.

महिलाओं में पेशाब से संबंधित कई तरह की दिक्कतों का सामना अक्सर करना पड़ता है. यहां तक कि 20 से 25 साल की उम्र से ही यह परेशानी शुरू होने लगती है. अक्सर महिलाओं को अपने ब्लैडर को कंट्रोल करने में परेशानी होती है. इसके कारण उन्हें बार-बार पेशाब के लिए भी जाना पड़ता है. इसके साथ ही महिलाओं को अक्सर यूरेनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन भी हो जाता है. इससे कई अन्य तरह की जटिलताएं भी पैदा हो जाती है. कई बार छींकने और खांसने पर भी महिलाओं को पेशाब निकल आता है. आखिर महिलाओं के साथ ये सब होता क्यों है. इन सवालों का जवाब तलाशने  किडनी स्पेशलिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. प्रीत बंसल से बात की.

डॉ. प्रीति बंसल ने बताया कि महिलाओं में यूरनेरी ब्लैडर बहुत संकीर्ण जगहों में और बहुत छोटा होता है. पेशाब से संबंधित दिक्कतों का सबसे बड़ा कारण यही है कि इन जगहों की जटिलताएं अक्सर परिस्थितियों को उल्टा कर देती है.

क्यों होता है ब्लैडर में दिक्कत

डॉ. प्रीति बंसल ने बताया कि महिलाओं में पेशाब का रास्ता, बच्चेदानी यानी यूटेरस और मलद्वार बिल्कुल सटा हुआ होता है. तीनों आस-पास ही होते हैं. इसके साथ ही महिलाओं में हर महीने होने वाले पीरियड्स के कारण जबर्दस्त हार्मोनल बदलाव होता है. इस कारण इस जगह का पीएच या एसिडिक लेवल में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है. इससे एक तो इंफेक्शन का भी खतरा बढ़ जाता है और दूसरा कुदरती जटिलताओं के कारण अन्य समस्याओं का भी जोखिम रहता है. डॉ. प्रीति बंसल ने बताया कि कुछ महिलाओं में डिलीवरी के समय जटिलताओं के कारण यूरेनरी ब्लैडर के मसल्स में स्ट्रेन पड़ जाता है. इस कारण यूरेनरी ट्रैक्ट कमजोर होने लगता है. इस स्थिति में उम्र बढ़ने के साथ ही इन्हें यूरीन रोकने में दिक्कत होता है या कभी-कभी लीक भी होने लगता है.

यूटीआई का भी खतरा ज्यादा
डॉ. प्रीति बंसल कहती हैं कि फिजिकल रिलेशन में सक्रिय महिलाओं में यूरेनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी पेशाब के रास्ते में संक्रमण की दर सबसे अधिक रहती है. उन्होंने कहा कि एक तो ब्लैडर और मलद्वार के एक साथ होने के कारण वहां पहले से ही बैक्टीरिया के भरमार होते हैं. दूसरा मेल ऑर्गेन टच और हार्मोनल बदलाव के कारण इस एरिया में पीएच के स्तर में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव होता है. इन सब कारणों से जैसे ही इस एरिया एसिडिक लेवल कम होता है बैक्टीरिया हमला कर देते हैं और इससे यूरीनरी ट्रैक्ट के बाहर वाले वॉल्व में सूजन होने लगती है. इसे सिस्टाइटिस कहते हैं. यही से इंफेक्शन की शुरुआत होने लगती है. इस स्थिति में जब पेशाब आता है तो उसे रोकने में दिक्कत होती है. हालांकि सामाजिक कारणों की वजह से महिलाएं इसे रोक लेती है लेकिन इससे समस्या और बढ़ जाती है.

 

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