जुकाम-खांसी होने पर एलर्जी है या कोई वायरस, कैसे करें पता?

बार-बार मौसम बदलने के कारण लोगों को खांसी, जुकाम या छींकें आना सामान्य सी बात हैं. लेकिन, कोरोना वायरस महामारी के बाद लोगों में डर बैठ गया है और एलर्जी की वजह से होने वाली खांसी-जुकाम से भी लोग घबरा जाते हैं. बड़ी समस्या ये है कि दोनों के लक्षण भी एक जैसे ही होते हैं. ऐसे में कैसे पता करें कि हमें जुकाम एलर्जी की वजह से हुआ है या किसी वायरस के कारण?
एलर्जी और वायरस के लक्षण कुछ हद तक एक समान होते हैं. ऐसे में दोनों में अंतर कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है.
देश के ज्यादातर हिस्सों में बार-बार हो रही बारिश के कारण मौसम कभी ठंडा तो कभी गर्म हो जा रहा है. ऐसे में एलर्जी हो जाना आम बात है. एलर्जी होने पर सबसे पहले लोगों को जुकाम-खांसी, छींके और गले में घरघराहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं. लेकिन, कोरोना वायरस महामारी के बाद से लोग ज्यादा सचेत हो गए हैं. मौसम में बदलाव के कारण होने वाले खांसी-जुकाम से भी लोग परेशान होने लगे हैं. दरअसल, उन्हें ये समझ नहीं आ पाता कि उन्हें हुआ खांसी-जुकाम एलर्जी के कारण है या किसी वायरस के कारण, क्योंकि दोनों के लक्षण भी एक जैसे ही होते हैं. आज हम बता रहे हैं कि दोनों में क्या फर्क है और अपनी खांसी-जुकाम की असल वजह कैसे पता करें?
वैसे तो ये बताना काफी मुश्किल है कि किसी को हुआ जुकाम-खांसी एलर्जी के कारण है या वायरस की वजह से. फिर भी एलर्जी और वायरस के बीच कुछ अहम अंतर होते हैं. मौसमी एलर्जी आम तौर पर उन लोगों को परेशान करती है, जो इससे लंबे समय से पीड़ित होते हैं. इसमें कंजेशन, छींकना, नाक बहना, खुजली होना और आंखों से पानी बहने जैसी शिकायतें होती हैं. वहीं, अगर इन सबके साथ तेज बुखार, ठंड और शरीर में दर्द हो रहा है तो ये कोविड या फ्लू वायरस के लक्षण होते हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड इम्यूनोलॉजी और अस्थमा एंड एलर्जी फाउंडेशन ऑफ अमेरिका ने लोगों को दोनों के लक्षणों का आकलन करने में मदद करने के लिए एक चार्ट बनाया है.
चुनौतीभरा क्यों होता है अंतर बता पाना
वायरस के साथ सबसे बड़ी चुनौती ये है कि इसमें सीजनल कोरोनावायरस, एडेनोवायरस, राइनोवायरस, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस, रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस और आरएसवी शामिल होते हैं, जिनमें सभी के लक्षण कोविड व फ्लू जैसे ही होते हैं. इन सभी की चपेट में आने वाले व्यक्ति को तेज बुखार, ठंड, खांसी-जुकाम और शरीर में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं. ऐसे में इन सभी वायरस के बीच अंतर करना करीब-करीब नामुमकिन हो जाता है. संक्रामक रोगों के लिए नेशनल फाउंडेशन के चिकित्सा निदेशक विलियम शेफनर के मुताबिक, किसी एक रोगी में यह बता पाना काफी मुश्किल होता है कि उसके लक्षण फ्लू, आरएसवी या किसी दूसरे वायरस के हैं. जब बड़ा प्रकोप होता है तो अंतर करना आसान रहता है.

ज्यादातर वायरस की चपेट में आने पर तेज बुखार, ठंड, खांसी-जुकाम और शरीर में दर्द जैसे लक्षण
क्या एक टेस्ट से पता चल जाएगी वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक, ज्यादातर रेस्पिरेटरी वायरस की चपेट में आने के बाद बुखार, ठंड लगना, शरीर में दर्द, खांसी, छींक, कंजेशन, गले में खराश, आवाज बैठना, सिरदर्द और कभी-कभी कान में संक्रमण जैसी दिक्कतें होती हैं. हालांकि, कुछ लोगों को तत्काल ये पता करना जरूरी होता है कि उन्हें कोविड या फ्लू में से क्या है. दरअसल, ये वो लोग है, जिनमें संक्रमण का जोखिम बहुत ज्यादा होता है. द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, समय पर पता चलने से इन दोनों वायरस का एंटीवायरल दवाओं से इलाज किया जा सकता है. नाक के स्वाब के एक टेस्ट के जरिये कोविड और फ्लू का पता लगाया जा सकता है. हालांकि, गांधी कहती हैं कि आम तौर पर एक ही टेस्ट के जरिये कई वायरस में अंतर हो जाए, ये जरूरी नहीं है.
क्या एलर्जी बढ़ाती है वायरस का खतरा
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनो वायरस संक्रमण दर में वृद्धि हवा के जरिये फैलने से जुड़ी हुई थी. इसमें कहा गया था कि अगर आपको पुरानी एलर्जी है तो आपके वायरस के चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि इनके बीच संबंध होना कोरोना वायरस के फैलने का अनिवार्य कारण नहीं था. उन्होंने लोगों से अपील की थी कि ऐसे निष्कर्षों के आधार पर अपने जोखिम के स्तर को लेकर किसी नतीजे पर ना पहुंचें. टावर्सकी ने कहा कि एलर्जी वाले लोगों के लिए वायरस फेलने के समय मास्क पहनना अनिवार्य होता है. इससे उनके वायरस के चपेट में आने के जोखिम की दर कम हो जाती है.

अगर आपको खांसी या छींकें आ रही हैं तो मुड़ी हुई कोहनी या रूमाल में करें. मास्क लगाना सबसे बड़ी सावधानी है.
कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए
वायरस सबसे ज्यादा तब फैलते हैं, जब संक्रमित लोग खांसते या छींकते हैं. गांधी ने कहा कि वायरस के लक्षण वाले लोगों से दूर रहना ही समझदारी है. अगर आपको खांसी है या छींकें आ रही हैं तो रूमाल या आस्तीन में खांसें या छींकें. साथ ही बार-बार हाथ धोएं. मास्क लगाना सबसे बेहतर रहेगा. इन सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप लक्षण होने पर घर में ही रुकें. गांधी ने कहा कि महामारी से पहले बहुत से लोग सर्दी और फ्लू होने पर भी ऑफिस चले जाते थे. लोगों ने कोविड से यही महत्वपूर्ण सबक सीखा है कि संक्रमित होने पर खुल को बाकी लोगों से अलग कर लें. लिहाजा, सामान्य खांसी-जुकाम होने या छींकें आने पर भी खुद को दूसरों से अलग-थलग कर लेना सबसे बड़ी सावधानी है. इसके बाद जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लेकर उपचार कराना चाहिए.