कौन हैं विक्टोरिया गौरी, SC कॉलेजियम ने की है जज बनाने की सिफारिश, हो रहा है भारी विरोध

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की सदस्यता वाले इस कॉलेजियम ने विक्टोरिया गौरी एवं चार अन्य वकीलों को मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त करने का 17 जनवरी को प्रस्ताव किया था.
चेन्नई
. मद्रास उच्च न्यायालय विधिज्ञ संघ (बार) के एक तबके ने वकील लक्ष्मणा चंद्र विक्टोरिया गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त करने की उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश का विरोध किया है और उनका नाम वापस लेने की मांग की है. मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच में भारत की एक सहायक सॉलिसिटर जनरल गौरी पर ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ ‘घृणित भाषण और आक्रामक विचारों’ का आरोप लगाते हुए, वकीलों ने कॉलेजियम की सिफारिश पर ‘चिंता और निराशा की भावना’ जाहिर की है
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम को भेजे अलग -अलग पत्रों में वकीलों के इस समूह ने यह कहते हुए कॉलेजियम की संस्तुति पर ऐतराज किया है कि उनकी नियुक्ति से न्यायपालिका की स्वतंत्रता कमजोर पड़ जाएगी. गौरी द्वारा आरएसएस से जुड़े एक चैनल को कथित रूप से दिए गए दो साक्षात्कारों और कथित तौर पर ‘ऑर्गनाइज़र’ के लिए लिखे गए एक लेख का हवाला देते हुए, पत्र में कहा गया है कि गौरी ने ‘ईसाइयों के खिलाफ एक चौंकाने वाला गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाया. राष्ट्रपति और कॉलेजियम को भेजे गए पत्रों में कहा गया है, ‘इन साक्षात्कारों में उनके बयानों में नफरत फैलाने वाले भाषणों से सांप्रदायिक कलह या हिंसा फैलने की संभावना है.’
पत्र में आगे कहा गया कहा कि गौरी ने लव-जिहाद और धर्मांतरण के बारे में टिप्पणी की थी और रोमन कैथोलिकों पर नापाक गतिविधियों का आरोप लगाया था. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से यहां तक कहा था कि ईसाई गीतों के दौरान भरतनाट्यम नहीं बजाना चाहिए. अधिवक्ताओं ने कहा कि विक्टोरिया गौरी अपने प्रतिगामी विचारों के कारण उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने के योग्य नहीं थीं, जो मूलभूत संवैधानिक मूल्यों के लिए पूरी तरह से विरोधी थे। अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि उनके विचार उनकी गहरी धार्मिक कट्टरता को दर्शातें हैं.
अधिवक्ताओं ने यह भी पूछा कि अगर विक्टोरिया गौरी को न्यायाधीश बनाया जाता है तो क्या ईसाई या मुस्लिम समुदाय के किसी भी अल्पसंख्यक को उनकी पीठ में न्याय मिलेगा. वरिष्ठ वकील एन जी आर प्रसाद, आर वैगाई, अन्ना मैथ्यू, डी नागसैला और सुधा रामलिंगम समेत 22 वकीलों के हस्ताक्षर वाले ज्ञापन में कहा गया है कि गौरी ने खुद ही स्वीकार किया है कि वह भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की महासचिव हैं.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की सदस्यता वाले इस कॉलेजियम ने गौरी एवं चार अन्य वकीलों को मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त करने का 17 जनवरी को प्रस्ताव किया था. वेंकटचारी लक्ष्मीनारायणन, पिल्लईपक्कम बहुकुटुम्बी बालाजी, रामास्वामी नीलकंदन और कंधासामी कुलंदिवलु रामकृष्णन सहित चार नामों को सरकार ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है.
1973 में तमिलनाडु के कन्याकुमारी में जन्मीं विक्टोरिया गौरी को वकालत में 21 साल से ज्यादा का अनुभव है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उनके नाम की सिफारिश किए जाने के पांच दिन बाद 22 जनवरी को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गौरी ने कहा था कि उन्होंने बीजेपी के सभी पदों सहित जून 2020 में पार्टी सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा, ‘सितंबर 2020 में सहायक सॉलिसिटर जनरल का पद संभालने से पहले मुझे पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से मुक्त कर दिया गया था.’
(इनपुट एजेंसी से भी)