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‘अमूर्त विरासत दुनिया की सांस्कृतिक धड़कन, इसे बचाना मानवता का फर्ज’,: पीएम मोदी

केंद्रीय संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण समिति के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़ा है। यह समारोह लाल किले में आयोजित किया गया है।

 

नई दिल्ली

 

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत दुनिया की सांस्कृतिक धड़कन है, जो समाजों की नैतिक और भावनात्मक स्मृतियों को संजोकर रखती है। इसे संरक्षित करना केवल देशों का ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता का दायित्व है। प्रधानमंत्री का यह संदेश लाल किले में आयोजित यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण समिति (आईसीएच) के 20वें अंतर-सरकारी सत्र के उद्घाटन समारोह में रविवार को पढ़ा गया।

 

भारत पहली बार कर रहा वैश्विक सत्र की मेजबानी
यह पहली बार है जब भारत 8 से 13 दिसंबर तक चलने वाले इस महत्वपूर्ण वैश्विक सत्र की मेजबानी कर रहा है। संदेश को केंद्रीय संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने पढ़ा। इस समारोह में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और यूनेस्को महानिदेशक खालिद एल-एनानी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

हमारी सभ्यता इस विचार पर आधारित है- प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में विरासत सिर्फ अतीत की स्मृति भर नहीं, बल्कि एक जीवंत और निरंतर बहने वाली सांस्कृतिक धारा है। हमारी सभ्यता इस विचार पर आधारित है कि संस्कृति स्मारकों या ग्रंथों में ही नहीं बसती, बल्कि लोगों के त्योहारों, अनुष्ठानों, कला और शिल्प में सांस लेती है।

 

‘अमूर्त विरासत सामाजिक एकता को मजबूत करती है’
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमूर्त विरासत पहचान बनाती है, सामाजिक एकता को मजबूत करती है और ऐसा पारंपरिक ज्ञान आगे बढ़ाती है जो पुस्तकों में हमेशा दर्ज नहीं होता। यह पीढ़ियों को जोड़ती है और तेजी से बदलती दुनिया में निरंतरता का एहसास कराती है। उन्होंने चेतावनी दी कि आधुनिकता, नगरीकरण और संघर्ष के बीच कई परंपराएं खो जाने के खतरे में हैं। अमूर्त विरासत को बचाना मतलब दुनिया की सांस्कृतिक विविधता को बचाना है। प्रधानमंत्री ने यूनेस्को की भूमिका को ‘परिवर्तनकारी’ बताते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर अमूर्त विरासत की सुरक्षा के लिए साझा ढांचा तैयार करने में इस संस्था का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अमूर्त विरासत संस्कृति की सबसे लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति : जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि परंपराएं, भाषाएं, संगीत, शिल्पकला और अन्य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरें अनेक तरीकों से संस्कृति की सबसे लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति हैं, जिन्हें सभी लोग साझा करते हैं और मिलकर सुरक्षित रखते हैं। वह लाल किले में रविवार को आयोजित यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) संरक्षण संबंधी प्रमुख बैठक के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

जयशंकर ने कहा कि शांति और समृद्धि की साझा यात्रा में सांस्कृतिक विरासत को संजोकर आगे बढ़ाना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यूनेस्को की भूमिका वैश्विक और स्थानीय दोनों स्तरों पर विरासत संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण और मान्य है। उन्होंने जोर दिया कि भारत अपनी परंपराओं, भाषाओं, अनुष्ठानों, संगीत और शिल्पकला को सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा मानता है। ये धरोहरें समाज की सामूहिक पहचान को गढ़ती हैं और इन्हें सबसे लोकतांत्रिक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति बनाती हैं।

दिल्ली पांडवों व आधुनिक लोकतंत्र की राजधानी : रेखा गुप्ता
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, दिल्ली भारत का दिल है। यह सिर्फ एक शहर नहीं इसकी एक लंबी जीवंत सभ्यता रही है। यह पांडवों की राजधानी के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े प्राचीन लोकतंत्र की राजधानी भी है। इस अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर आयोजित कार्यक्रम के लिए दिल्ली और लाल किला बेहतरीन आयोजन स्थल है। दिल्ली में खानपान, कला, आर्किटेक्चर, संस्कृति, सभ्यता सबका मिश्रण है। हाल के वर्षों में भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने पर काम किया।

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