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पाक‍िस्‍तान ने वो कर द‍िया, ज‍िसकी चाह में वर्षों से था भारत, खुद ही खोल द‍िया खंड-खंड होने का रास्‍ता

पाकिस्तान ने चीन को अरुणाचल प्रदेश के मामले में जिस तरह का सपोर्ट दिया है, उसके एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उसका सुसाइडल एक्ट है. अगर पाकिस्तान इस तरह के आधिकारिक बयान लिखित तौर पर दे रहा है, तो भारत भी उसके अंदरूनी मसलों में सीधे तौर पर दखल दे सकता है और ये स्थिति पाक के लिए भयावह होगी.

 

 पाकिस्तान के अपने घर में अंदरूनी कलह बार-बार दुनिया के सामने आ रही है. आए दिन यहां के अशांत इलाकों में फौज पर हमले हो रहे हैं, बमबाजी चल रही है, बावजूद इसके उसे अपने इलाकों की सुरक्षा की चिंता कम और भारत को बांटने की जल्दी ज्यादा है. तभी तो पाकिस्तान ने एक बार फिर से चीन के उस नक्शे का जिक्र करते हुए बाकायदा आधिकारिक बयान जारी कर दिया है कि वो अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा मानता है. उसका ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन के दौरे के बाद चीन ने भारत-रूस की दोस्ती को पश्चिम के लिए खतरा बताया.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी किया कि वह चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से जुड़े मामलों में लगातार उसका समर्थन करता है. आपको बता दें कि चीन, भारत के अरुणाचल प्रदेश को झांगनान कहता है और पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी के समर्थन ने साबित कर दिया है कि एक बार फिर पाकिस्तान, भारत के आंतरिक मामले में दखल देने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में भारत को वो खुद ही इस बात के लिए उकसा रहा है कि वो पाकिस्तान-अफगानिस्तान से जुड़े मसलों में दखल दे.

क्यों न भारत डूरंड लाइन पर दे अफगानिस्तान का साथ?

भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके कंवल सिब्बल ने पाकिस्तान की इस मूर्खता पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिये टिप्पणी की है. उन्होंने एक्स पर लिखा है – ‘अरुणाचल प्रदेश पर चान को समर्थन देने के साथ ही पाकिस्तान हमारे लिए ये जमीन तैयार कर रहा है कि हम डूरंड रेखा के मामले में अफगानिस्तान की स्थिति का समर्थन करें’. कंवल सिब्बल का ये बयान काफी हद तक सही भी है क्योंकि पाकिस्तान-अफगानिस्तान के मसले पर भारत कभी इस तरह के ऑफिशियल स्टेटमेंट न तो दिए हैं और न ही लिखित तौर पर रिलीज किए हैं. पाकिस्तान का इस तरह से आधिकारिक बयान देना, अब भारत को अधिकार देता है कि वो डूरंड रेखा के मामले में अफगानिस्तान का खुलकर समर्थन करे. इतना ही नहीं बलोचिस्तान को लेकर भी भारत अपना स्टैंड साफ कर सकता है, जो उसने अब तक नहीं किया था.

क्या है अरुणाचल

चीन अक्सर अरुणाचल प्रदेश को झांगनान बताकर अपनी आधिकारिक भाषा में दिखाता है. वह नक्शे बदलता है, भारतीय गांवों के नाम बदलता है और लगातार ऐसे कदम उठाता है ताकि अपने दावे को मजबूत दिखा सके. भारत इसे हमेशा खारिज करता रहा है. पाकिस्तान का बार-बार चीन का पक्ष लेना उसकी गिरती हुई कूटनीतिक विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है. भारत ने कई बार साफ कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है. बावजूद इसके हाल ही में जब चीन ने शंघाई एयरपोर्ट पर अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय महिला को रोका था, तब भारत ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा था कि किसी भी विदेशी देश को भारत के नागरिकों पर कोई अधिकार नहीं है. पाकिस्तान मई, 2025 में भी चीन के अरुणाचल प्रदेश वाले दावे पर समर्थन दे चुका था. पाकिस्तान खुद अपने आंतरिक हालात, सीमा विवादों और अलगाववादी आंदोलनों को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना झेल रहा है.

क्या है डूरंड रेखा का मुद्दा?

दरअसल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा को कहा जाता है. अफगान की पहले की सरकार भी इसका विरोध करती रही थी और तालिबान सरकार भी. तालिबान की सरकार बनते ही उसके प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान में एक पश्तो चैनल से कहा था कि अफगान डूरंड रेखा पर पाकिस्तान की बनाई गई बाड़ का विरोध करते हैं. तब से ही ये मुद्दा दोनों देशों के बीच कभी सुलझा नहीं. तालिबान सरकार का कहना है कि पाकिस्तान की बनाई बाड़ ने लोगों को अलग कर दिया है और परिवारों को विभाजित कर दिया है. हम सीमा पर एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल बनाना चाहते हैं, इसलिए पाकिस्तान को इस तरह का अवरोध पैदा ही नहीं करना चाहिए.

 

 

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