हेल्थ
अपच से बार-बार जाना पड़ रहा वॉशरूम, इस बार आयुर्वेदिक तरीके अपनाएं, परमानेंट इलाज हो जाएगा

अपच का इलाज यदि करा-करा के थक गए हैं तो इस बार आयुर्वेदिक इलाज कीजिए. अपच और पेट संबंधी परेशानियों का परमानेंट इलाज हो जाएगा.
आज बदलती लाइफस्टाइल के कारण हमेशा लोगों में पाचन से संबंधित समस्याएं रहती है. अपच होने से पेट भारी रहता है और गैस, एसिडिटी आदि की दिक्कतें होने लगती है. इससे हमेशा मन बेचैन रहता है. आयुर्वेद में इसे ग्रहणी दोष माना गया है. यह पाचन का गंभीर विकार माना गया है. यह मुख्य रूप से अग्नि (पाचन शक्ति) की कमजोरी और आंतों के कार्य में गड़बड़ी के कारण होता है. आधुनिक भाषा में इसे इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) कहा जाता है. आयुर्वेद में ग्रहणी का काम खाए गए खाने को ठीक से पचाना और शरीर को ऊर्जा देना है. जब यह अंग ठीक से कार्य नहीं करता, तो भोजन अपचित रह जाता है और व्यक्ति को बार-बार दस्त, अपच, और कमजोरी जैसी समस्याएं होने लगती हैं. यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो शरीर में पोषण की भारी कमी हो सकती है.
ग्रहणी दोष के क्या हैं लक्षण
ग्रहणी दोष का मुख्य कारण पाचन अग्नि (शक्ति) का कम होना है. इसे आयुर्वेद में अग्निमांद्य कहा गया है. जब व्यक्ति अनियमित भोजन करता है, बहुत अधिक तला-भुना या बासी खाना खाता है, अत्यधिक चिंता या तनाव में रहता है तो अग्नि कमजोर हो जाती है. इससे भोजन का पाचन अच्छे से नहीं हो पाता और अधपचा भोजन आंतों में सड़ने लगता है. इस कारण गैस, बदबूदार दस्त और बार-बार मल त्याग की इच्छा जैसी परेशानियां शुरू होती हैं. ग्रहणी दोष के लक्षणों में बार-बार दस्त लगना, मल में अधपचा भोजन आना, पेट में भारीपन, भूख कम लगना, गैस बनना, कमजोरी और थकान प्रमुख हैं. कुछ रोगियों में खाना खाते ही शौच जाने की तीव्र इच्छा होती है. यह रोग वात, पित्त और कफ, तीनों दोषों के असंतुलन से उत्पन्न हो सकता है, इसलिए आयुर्वेद में इसके चार भिन्न प्रकार बताए गए हैं, वातज, पित्तज, कफज और सन्निपातज ग्रहणी.
क्या है इसका इलाज
आयुर्वेद में ग्रहणी दोष के उपचार के लिए विशेष आहार, औषधियां और जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जाती है. हल्का भोजन जैसे मूंग की खिचड़ी, बेल का शरबत, छाछ और जीरा पानी बहुत लाभकारी माना जाता है. वहीं, रोगी को गरिष्ठ, मसालेदार, तला-भुना और बासी भोजन से बचना चाहिए. योग और प्राणायाम भी ग्रहणी दोष को कम करने में लाभकारी माना जाता है. पवनमुक्तासन, वज्रासन, अग्निसार क्रिया और अनुलोम-विलोम प्राणायाम से पाचन तंत्र को बल मिलता है और मानसिक शांति भी मिलती है, जिससे पाचन विकार कम होते हैं. इसके अलावा सौंफ और अजवाइन की चाय, अदरक का रस और शहद, छाछ में पुदीना, इसबगोल और गुनगुना दूध और हींग का पानी पीना भी काफी फायदेमंद होता है.
क्या करें कि अपच हो ही नहीं
एक्सपर्ट के मुताबिक अपच हो ही नहीं, इसके लिए लाइफस्टाइल सही करें. ज्यादा बाहर की चीजें, पैकेटबंद चीजें, प्रोसेस्ड फूड, पिज्जा-बर्गर, मोमोज, ज्यादा तली-भुनी चीजें आदि से दूर रहें. शराब, सिगरेट भी अपच को बढ़ाता है. दूसरा तनाव भी अपच को बहुत बढ़ाता है. तनाव दूर करने के लिए योग, मेडिटेशन आदि करें. तीसरा हेल्दी भोजन करें. इसके लिए रेशदार सब्जियां, साबुत अनाज से बनी चीजें, फल, ड्राई फ्रूट्स, सीड्स आदि का नियमित सेवन करें. पर्याप्त पानी पिएं और अच्छी नींद लें. इन सबके अलावा रोज एक्सरसाइज करें. कम से कम हर दिन आधा घंटे शरीर में कई तरह की गतिविधियां कर पसीना लाएं. इससे कभी अपच का सामना नहीं करना पड़ेगा. इनपुट-आईएएनएस