रायटर्स एकाउंट ब्लाक को लेकर मोदी पर मस्क का बड़ा हमला, एक्स ने सरकार के खिलाफ कोर्ट जाने का दिया सुझाव

दुनिया के दिग्गज कारोबारी एलन मस्क का अब मोदी सरकार से झगड़ा शुरु हो गया है। मस्क के मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स की ग्लोबल अफेयर्स टीम ने आधिकारिक बयान जारी कर दावा किया कि 3 जुलाई 2025 को भारत सरकार ने एक्स को 2,355 अकाउंट्स को भारत में ब्लॉक करने का आदेश दिया था
नई दिल्ली
देश में अघोषित मीडिया सेंसरशिप पर पहले ही मोदी सरकार पर बड़े आरोप लग चुके हैं। अब इसमें विदेशी मीडिया संस्थानों पर की जा रही कार्रवाई से वैश्विक स्तर पर सरकार के लिए शर्मिंदगी बन रही है। ताजा मामला रायटर्स समाचार एजेंसी के अकाउंट को ब्लॉक फिर अनब्लॉक करने का है, जिस पर एलन मस्क की टीम ने मोदी सरकार के खिलाफ बयान दिया है। दुनिया के दिग्गज कारोबारी एलन मस्क अब तक डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ खड़े थे, अब मोदी सरकार से भी उनका झगड़ा शुरु हो गया है। मस्क के मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स की ग्लोबल अफेयर्स टीम ने आधिकारिक बयान जारी कर दावा किया कि 3 जुलाई 2025 को भारत सरकार ने एक्स को 2,355 अकाउंट्स को भारत में ब्लॉक करने का आदेश दिया था। इनमें अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दो एक्स अकाउंट @Reuters और @ReutersWorld शामिल थे।
एक्स की ग्लोबल अफेयर्स टीम के मुताबिक भारत सरकार ने रॉयटर्स के अकाउंट को ब्लॉक करने का आदेश भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A के तहत जारी किया था और इसका पालन न करने पर सजा का खतरा था। एक्स के मुताबिक भारत सरकार के आईटी मंत्रालय ने एक घंटे के भीतर इन अकाउंट्स को ब्लॉक करने की मांग की थी और वो भी बिना किसी ठोस कारण या औपचारिक स्पष्टीकरण के ऐसा करने के लिए कहा गया. ग्लोबल अफेयर्स टीम ने यह भी कहा कि जनता के विरोध के बाद भारत सरकार ने एक्स से वैश्विक न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के दोनों अकाउंट @Reuters और @ReutersWorld को अनब्लॉक करने का अनुरोध किया जिसके बाद एक्स ने इन्हें फिर से भारत में अनब्लॉक कर दिया।
एक्स की ग्लोबल अफेयर्स टीम ने लिखा कि वह भारत में प्रेस की आजादी को प्रभावित कर रहे इस तरह के ब्लॉकिंग आदेशों से चिंतित है और सभी कानूनी विकल्पों की पड़ताल कर रहा है। एक्स ने भारत में भी रहने वाले यूजर्स जिसके खिलाफ ब्लॉकिंग के आदेश दिए गए हैं उनसे अपील की है कि वे इन ब्लॉकिंग आदेशों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई करें और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएं।