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फॉन डेय लाएन के यूरोपीय आयोग के विरुद्ध अविश्वास मत

कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर के प्रमुख और यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट के बीच पर्सनल टेक्स्ट मैसेज हुए. इसके बाद अरबों डॉलर की डील हुई. अब इसी मामले में आयोग को अविश्वास मत का सामना करना है

 

 

कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर के प्रमुख और यूरोपीय आयोग की प्रेसीडेंट के बीच पर्सनल टेक्स्ट मैसेज हुए. इसके बाद अरबों डॉलर की डील हुई. अब इसी मामले में आयोग को अविश्वास मत का सामना करना है. अविश्वास प्रस्ताव के दो पन्ने के दस्तावेज में यूरोपीय आयोग पर पारदर्शिता की कमी और बदइंतजामी के आरोप लगाए गए हैं. आरोप खास तौर पर कोविड महामारी के प्रबंधन से जुड़े हैं. बुधवार शाम यूरोपीय संसद की प्रेसीडेंट रॉबर्टा मेट्सोला ने संसदीय ग्रुप के सदस्यों को बताया कि अगले हफ्ते उर्सुला फॉन डेय लाएन की अध्यक्षता वाला यूरोपीय आयोग अविश्वास मत का सामना करेगा.

अविश्वास प्रस्ताव रोमानिया के दक्षिणपंथी यूरोपीय सांसद गेयोर्गे पिपेरिया लाए हैं. अगर 10 फीसदी ईयू सांसद किसी प्रस्ताव का समर्थन करें या कम से कम 72 उस पर दस्तखत करें तो प्रस्ताव पर बहस होती है और उसके बाद वोटिंग. यूरोपीय संसद के कार्यक्रम के मुताबिक, सोमवार (7 जुलाई) की शाम इस प्रस्ताव पर बहस होनी है और गुरुवार को उस पर मतदान होगा. यह कार्यवाही श्ट्रासबुर्ग स्थित यूरोपीय संसद में होगी. अगर अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ तो यूरोपीय आयोग की अध्यक्षा उर्सुला फॉन डेय लाएन और आयोग के सभी 26 कमिश्नरों को इस्तीफा देना पड़ेगा. लेकिन संख्या गणित के हिसाब से ऐसा मुश्किल लग रहा है. प्रस्ताव पास कराने के लिए 720 सीटों वाली यूरोपीय संसद में कम से कम 361 वोट मिलने चाहिए. जर्मन राजनेता रह चुकीं फॉन डेय लाएन 2024 में ही 370 मतों के साथ दोबारा आयोग की प्रेसीडेंट चुनी गईं.

फॉन डेय लाएन के पहले कार्यकाल में आयोग पर कैसे आरोप अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे असल कारण फॉन डेय लाएन और फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर के प्रमुख के कथित टेक्स्ट मैसेज हैं. अमेरिकी अखबार द न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फोन डेय लाएन और फाइजर के चीफ एक्जीक्यूटिव अल्बेर्ट बौर्ला के बीच हुए इस निजी संवाद ने अरबों यूरो की वैक्सीन डील में अहम भूमिका निभाई. टेक्स्ट मैसेजों के जरिए हुए इस संवाद की जब जानकारी मांगी गई तो आयोग ने यह देने से इनकार कर दिया.

 

कोविड-19 महामारी के साल भर बाद फाइजर, मॉर्डेना, जॉनसन एंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका अपनी अपनी कोविड वैक्सीनें लेकर आईं. यूरोपीय संघ के देशों में पहली डोज के लिए फाइजर की वैक्सीन चुनी गई. हाल ही में ईयू अदालत ने भी कहा कि इस जानकारी को रोककर रखने के पक्ष में आयोग ने पर्याप्त कानूनी सफाई नहीं दी है. इसी के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. अविश्वास प्रस्ताव वाले दस्तावेज में यह भी आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए अलग से रखा गया 4 अरब यूरो का फंड इस्तेमाल ही नहीं किया गया. इसे एक तरह की बदइंतजामी बताया गया है.

संदेहों से परे नहीं है यूरोपीय आयोग यूरोपीय संसद की रिसर्च सर्विस के मुताबिक, 1979 में यूरोपीय संसद के लिए हुए पहले सीधे मतदान से अब तक 9 बार आयोग के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. मौजूदा अविश्वास प्रस्ताव से पहले 2014 में आयोग के तत्कालीन प्रमुख जाँ क्लोद युंकर के खिलाफ भी ऐसा प्रस्ताव लाया गया था. तब 101 ईयू सांसदों ने उसका समर्थन किया और 461 ने उसे खारिज किया. युंकर पर आरोप लगे कि उन्होंने आयोग प्रमुख के तौर पर लक्जमबर्ग में दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टैक्स में फायदा पहुंचाया. ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय आयोग का प्रमुख बनने से पहले युंकर 19 साल तक लक्जमबर्ग के प्रधानमंत्री थे. 1999 में आयोग के तत्कालीन प्रमुख जैक सांटर को अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए इस्तीफा देना पड़ा था. सांटर पर धोखाधड़ी, बदइंतजामी और भाई-भतीजावाद के आरोप लगे थे.

 

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