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Maa Movie Review: काजोल का दमदार अवतार, डर के साथ कहानी में ट्विस्ट और इमोशन भी

Maa Movie Review: जियो स्टूडियोज, देवगन देवगन और ज्योति देशपांडे द्वारा निर्मित फिल्म ‘मां’ आज (27 जून 2025) सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. वैसे तो यह एक हॉरर फिल्म है, लेकिन यह मां और बेटी के रिश्ते पर आधारित एक इमोशनल ट्विस्ट भी है. फिल्म में काजोल का दमदार अभिनय देखने को मिला.

 

आजकल हॉरर फिल्में बनाने के पीछे मेकर्स का मकसद सिर्फ दर्शकों को डराना नहीं, बल्कि कुछ संदेश देने की कोशिश भी है. अब जिस तरह की हॉरर फिल्में बन रही हैं, उन्हें किसी मुद्दे से जोड़कर बनाया जा रहा है. साल 2024 में देवगन देवगन और ज्योति देशपांडे ने जियो स्टूडियोज के साथ मिलकर एक ऐसी फिल्म बनाई जो रिलीज होते ही दर्शकों के दिलों में उतर गई. उस फिल्म का नाम था ‘शैतान’, जो एक हॉरर फिल्म थी और काले जादू जैसे विषय पर आधारित थी. इस फिल्म में अजय देवगन खुद फिल्म का नेतृत्व करते नजर आए थे, जबकि उनके साथ आर माधवन और ज्योतिका भी अहम भूमिका में थे. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुई थी.
अब एक बार फिर देवगन देवगन और ज्योति देशपांडे ने जियो स्टूडियोज के साथ मिलकर हॉरर फिल्म ‘मां’ बनाई है, इसमें कोई शक नहीं है कि फिल्म में काजोल का अवतार बेहद दमदार है. तो आइए, आपको बताते हैं कि फिल्म ‘मां’ कैसी है. 

फिल्म की शुरुआत पश्चिम बंगाल के चंद्रपुर से होती है. जहां एक महिला के दो बच्चे हैं. एक लड़का और एक लड़की. लड़की की बलि दी जाती है, जिसके पीछे एक वजह होती है. अब कहानी 40 साल आगे बढ़ती है और मेट्रो सिटी पहुंचती है. अंबिका (काजोल) अपनी बेटी और पति के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही होती है. अंबिका का पति चंद्रपुर का रहने वाला होता है, जहां उसकी मौत हो जाती है. इसके बाद अंबिका को अपनी बेटी के साथ वहां जाना पड़ता है.
ऐसे में अब एक राक्षस की नजर श्वेता (अंबिका की बेटी) पर पड़ती है और मां की राक्षस से लड़ाई शुरू होती है. लेकिन ये राक्षस कौन है? वो बेटियों को किडनैप क्यों करता है और एक मां अपनी बेटी के लिए उस राक्षस से कैसे लड़ती है? इन सवालों के जवाब के लिए आपको सिनेमाघर जाकर पूरी फिल्म देखनी होगी.
एक्टिंग की बात करें तो काजोल ने फिल्म में अपना बेस्ट दिया है. काजोल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आखिर क्यों उनकी गिनती दमदार अभिनेत्रियों में होती है. फिल्म में उनके शारीरिक हाव-भाव काफी सटीक हैं. रोनित रॉय का काम भी काफी अच्छा है, जिस तरह से उन्होंने अपनी आवाज से अभिनय किया है, वह काबिले तारीफ है. इन दोनों के अलावा इंद्रनील सेनगुप्ता, खेरिन शर्मा, जितिन गुलाटी और दिव्येंदु भट्टाचार्य ने भी अपने-अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है.
इस फिल्म के कैमरा शॉट्स काफी अच्छे हैं. फिल्म में कई सीन ऐसे हैं जो काफी इनोवेटिव हैं और बतौर दर्शक आपको कुछ नया देते हैं. इसके साथ ही बैकग्राउंड स्कोर का भी सही इस्तेमाल किया गया है. स्क्रीनप्ले फिल्म की जान है और कहानी को खूबसूरती से आगे ले जाती है. एडिटिंग थोड़ी और अच्छी हो सकती थी. कुल मिलाकर विशाल फुरिया का निर्देशन अच्छा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो आप इस फिल्म को अपने पूरे परिवार के साथ सिनेनाघर जाकर देख सकते हैं. मेरी ओर से फिल्म को 5 में 3.5 स्टार.

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