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1987 से पहले पैदा हुए तो क्‍या करेंगे? बिहार के ल‍िए आए EC के डॉक्‍यूमेंट पर ममता की गुगली, आख‍िर बवाल क‍िस बात का

1987 से पहले अगर आप पैदा हुए तो क्‍या अपने माता-पिता के जन्‍म का प्रमाण देना होगा? यह सवाल इसल‍िए क्‍योंक‍ि ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग का एक डॉक्‍यूमेंट द‍िखाकर दावा क‍िया क‍ि ऐसा पूछा जा रहा है. आख‍िर बवाल है क्‍या?

 

हाइलाइट्स
  • बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने दिखाया बिहार चुनाव वाला एक डिक्‍लेरेशन.
  • इसमें एक जुलाई 1987 से पहले पैदा हुए लोगों को दिखाना होगा बर्थ सर्टिफ‍िकेट.
  • ममता का दावा- इससे तो बहुत सारे लोग वोटर बनने से बाहर रह जाएंगे.
बिहार चुनाव के लिए इलेक्‍शन कमीशन का एक डॉक्‍यूमेंट आया है, जिसे देखकर पश्च‍िम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी भड़क गईं. इसमें 1987 से पहले पैदा हुए लोगों से सर्टिफ‍िकेट देने को कहा गया है. अब ममता पूछ रहीं क‍ि क्‍या अब हमें अपने माता-पिता के जन्‍म का प्रमाणपत्र देना होगा? आख‍िर ये हो क्‍या रहा है? ममता ने कहा, वोटर बनने के ल‍िए चुनाव आयोग की ओर से दो पत्र दिए गए हैं. वैसे तो ये बिहार के लिए हैं, हालांकि इसका असर पूरे देश में होने वाला है. क्या यह 1987 से नहीं गिना जाएगा? मैं इसे समझ नहीं पा रही हूं. अपने भतीजे का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने पूछा क‍ि अभिषेक का जन्म नवंबर 1987 में हुआ था. मजा देखिए. माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र देना होगा. ये क्या हो रहा है? ममता ने कहा, यह आयोग का घोषणा पत्र है. इसमें कई खामियां हैं. यह भी एक घोटाला है.
न्‍यूज18 बंगाली की खबर के मुताबिक, चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर ल‍िस्‍ट को ठीक करने जा रहा है. इसके बाद एक नई मतदाता सूची तैयार की जाएगी. बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि पश्च‍िम बंगाल में भी चुनाव आयोग कुछ ऐसा कर सकता है. उससे पहले, ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग को घेर ल‍िया है. ममता ने कहा, बिहार में चुनाव होने में तीन महीने बचे हैं. उनका न‍िशाना ब‍िहार नहीं, बल्‍क‍ि बंगाल है. वे बंगाल के लोगों, बाहर से आए मजदूरों को निशाना बना रहे हैं. उन्हें लगता है कि हम डर जाएंगे. आयोग यह नहीं कह सकता कि यह पूरी तरह से नई मतदाता सूची है. पहले उन्‍होंने हर‍ियाणा के लोगों को वोटर बना द‍िया. अब और खेल करने की कोश‍िश हो रही है. ममता ने इसके पीछे भाजपा का हाथ बताया.
आख‍िर ये है क्‍या?
ममता ने जो शीट जारी की, वो वोटर बनने के इच्‍छुक लोगों से भरवाई जानी है. इसमें उस शख्‍स का एक-एक ब्‍योरा दर्ज क‍िया जाएगा, ताकि उसे वोटर के रूप में रज‍िस्‍टर क‍िया जा सके. इसी में नाम, पिता का नाम, फोटो, कहां का रहने वाला है, कहां पैदा हुआ, सबकुछ भरा जाना है. लेकिन ममता को दि‍क्‍कत, इस फार्म के निचले ह‍िस्‍से पर है. इसमें आपको बताना है क‍ि क्‍या आप 18 साल से ऊपर हैं? भारत के नागर‍िक हैं? जहां रहत हैं वहीं मुख्‍य पता है? यहां तक तो ठीक है. लेकिन इसके बाद आपको तीन विकल्‍प दिए जा रहे हैं, जिनमें से एक को चुनना होगा. 

1. अगर आपका जन्म 01.07.1987 से पहले हुआ हो.
अगर आप ये विकल्‍प चुनते हैं तो आपको खुद के जन्‍म या जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज देना होगा.
2. अगर आपका जन्म 01.07.1987 और 02.12.2004 के बीच हुआ हो.
ये विकल्‍प चुनने पर आपको खुद का जन्म प्रमाण और माता-पिता का भी जन्म प्रमाण देना होगा.
3. अगर जन्म 02.12.2004 के बाद हुआ हो.
ये विकल्‍प चुना तो अलग तरह से प्रमाण‍ित क‍िया जाएगा. कहा जा रहा क‍ि यह विकल्‍प पहली बार आया है
आपत्‍त‍ि इन्‍हीं विकल्‍पों पर
ममता बनर्जी को आपत्‍ति‍ इन्‍हीं तीन विकल्‍पों पर है. वो पूछ रहीं क‍ि वोटर बनने वाला कोई भी शख्‍स 1987 से पहले अपने माता पिता के जन्‍म स्‍थान को प्रमाण‍ित करने वाला डॉक्‍यूमेंट कहां से लाएगा. ममता ने पूछा, जो लोग हाशिए पर हैं, वे अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त कर सकते हैं? जो फेरीवाले हैं या मामूली काम करते हैं, वे उन्हें कैसे प्राप्त कर सकते हैं? यह सभी के लिए संभव नहीं है. ममता ने कहा, मैं चुनाव आयोग से उचित दिशा-निर्देश देने का अनुरोध करूंगी. ताकि लोगों के नाम अनावश्यक रूप से छूट न जाएं. वास्तव में, क्या बाहरी लोगों के साथ ऑनलाइन राज्य में नाम बढ़ाने की कोई योजना है? यह एनआरसी से भी ज्यादा खतरनाक है. हम आख‍िर तक इसे देखने वाले हैं.

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