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काबुल का एबी गेट कांड, वो ‘राक्षस’ और पाकिस्तान… आसिम मुनीर ट्रंप के बगल में बैठने लायक कैसे बन गए?

पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर की ट्रंप के साथ लंच की तस्वीरें सामने आईं. काबुल हमले के आतंकी को पकड़ने के बाद ट्रंप ने उन्हें व्हाइट हाउस में बुलाया.
हाइलाइट्स
- आसिम मुनीर की ट्रंप के साथ लंच की तस्वीरें वायरल
- काबुल हमले के आतंकी को पकड़ने पर ट्रंप ने मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाया
- ट्रंप ने पाकिस्तानी आर्मी चीफ को लंच पर बुलाकर नया प्रोटोकॉल बनाया
पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच करते हुए तस्वीरें सामने आईं, तो बहुत सारे लोगों के मन में सवाल उठा कि ये कैसे? क्योंकि ट्रंप उस पाकिस्तान के आर्मी चीफ के साथ बैठे थे, जिसे 7 साल पहले उन्होंने कहा था, ‘यह देश अमेरिका को सिर्फ झूठ और धोखा देता है’. जिसे अमेरिका के ही पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दुनिया का ‘सबसे खतरनाक’ देश बताया था. इसके पीछे की कहानी काबुल से शुरू होती है और अंत पाकिस्तान है.
बात अगस्त 2021 की है. काबुल एयरपोर्ट के ‘एबी गेट’ पर धमाके हुए, जिसमें दर्जनों मासूम अफगानियों की जान चली गई. उस भयावह मंजर को आज भी कोई नहीं भूला है. तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद, हजारों अफगानी वहां से भागने की कोशिश कर रहे थे, तभी यह आत्मघाती हमला हुआ. उसके आरोपी को अमेरिका तब से ढूंढ रहा था. पूरी ताकत झोंक रखी थी, लेकिन पाकिस्तान ने उस आतंकी को पकड़ा. यहीं से आसिम मुनीर ट्रंप के लाडले हो गए.
कहां से आया यूटर्न
ट्रंप ने 4 मार्च को अमेरिकी कांग्रेस के ज्वाइंट सेशन में ऐलान किया कि एबी गेट हमले के ‘राक्षस’ को पाकिस्तान ने पकड़ लिया है. इसके कुछ दिन बाद, उन्होंने खुद यह बात दोहराई कि इस गिरफ्तारी में जनरल आसिम मुनीर ने सीधा रोल निभाया. अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने भी गवाही में कहा कि मुनीर ने फोन कर ISIS-K के आतंकी की गिरफ्तारी की सूचना दी थी. यह घटना अब अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में यूटर्न की तरह थी.
और तीन महीने बाद
इसके तीन महीने बाद ट्रंप ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के किसी सेना प्रमुख को, जो देश के मुखिया भी नहीं हैं, आधिकारिक तौर पर ऐसा सम्मान दिया. मुनीर पांच दिन तक अमेरिका के दौरे पर हैं. हालांकि, एक्सपर्ट कह रहे कि आजकल अमेरिका का रिश्ता ट्रंप की मर्जी से बनता बिगड़ता है. यह उनकी व्यक्तिगत सोच है, उसी के हिसाब से वे चलते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
1. मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो मार्विन वीनबाम ने कहा, हम ऐसे प्रशासन से डील कर रहे हैं जो हर घंटे अपनी पोजिशन बदलता है. यहां कोई तय नीति नहीं है. एक पल अमेरिका की कोई रुचि नहीं होती और अगले ही पल प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. यह सब ट्रंप की मर्जी पर चलता है. ट्रेडिशनल अमेरिकी विदेश नीति से इसका कोई लेना-देना नहीं.
1. मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो मार्विन वीनबाम ने कहा, हम ऐसे प्रशासन से डील कर रहे हैं जो हर घंटे अपनी पोजिशन बदलता है. यहां कोई तय नीति नहीं है. एक पल अमेरिका की कोई रुचि नहीं होती और अगले ही पल प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. यह सब ट्रंप की मर्जी पर चलता है. ट्रेडिशनल अमेरिकी विदेश नीति से इसका कोई लेना-देना नहीं.
2. सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के लेक्चरर रजा अहमद रूमी की सोच कुछ अलग है. उन्होंने कहा, ट्रंप का पाकिस्तानी आर्मी चीफ को लंच पर बुलाना सिर्फ प्रोटोकॉल तोड़ना नहीं, बल्कि इस रिश्ते को नए सिरे से लिखना है. इससे यह साफ हो जाता है कि पाकिस्तान अब अमेरिका की नजर में सिर्फ एक सहयोगी नहीं, बल्कि ‘इनर सर्कल’ में शामिल हो चुका है.