कब है जून महीने का अंतिम प्रदोष व्रत? उज्जैन के आचार्य से जानें सोम प्रदोष का महत्व, तिथि, मुहूर्त

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. जानें…..
- जून का अंतिम प्रदोष व्रत 23 जून को है
- सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है
- व्रत रखने से सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है
June Pradosh Vrat Date:
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस खास दिन पूजा करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. दरअसल, एक महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है. भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की आराधना की जाती है. साथ ही, विधि-विधान से पूजा करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि जून महीने का अंतिम प्रदोष व्रत सोम प्रदोष है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, 23 जून सोमवार के दिन 1 बजकर 21 मिनट पर आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ होगा. यह तिथि 23 जून को ही रात 10 बजकर 9 मिनट पर खत्म हो जाएगी. ऐसे में उदयातिथि और प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार सोम प्रदोष व्रत 23 जून को रखा जाएगा.
सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहा जाता है. यह व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ फल दे रहा हो, उसे सोम प्रदोष जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए. अक्सर लोग संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं.
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.
- इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें.
- फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें.
- पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का CRIMECAP NEWS व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.