रणदीप सुरजेवाला ने चुनाव आयोग को ‘सरकारी पिट्ठू’ कहा, विदेश नीति पर किए तीखे हमले

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने रविवार को केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और आरएसएस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब निष्पक्ष संस्थान न रहकर सरकार का पिट्ठू” बन गया है
बहादुरगढ़ (हरियाणा)
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने रविवार को केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और आरएसएस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब निष्पक्ष संस्थान न रहकर “सरकार का पिट्ठू” बन गया है, जो लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।
एक निजी अस्पताल के उद्घाटन के लिए यहां पहुंचे सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र की वोटर लिस्ट का सिर्फ डेटा मांगा था। वहां विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बीच महज 60-70 दिनों में 50 लाख नए वोटरों का जुड़ना संदेह पैदा करता है। उन्होंने बताया कि इस मामले में दिल्ली में केस दर्ज कराया गया और कोर्ट के आदेश के बावजूद महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) ने वोटर लिस्ट मुहैया नहीं करवाई।
उन्होंने कहा, “रोज एक लाख वोटर बनना, ये आंकड़े खुद शक पैदा करते हैं। चुनाव आयोग की चुप्पी और निष्क्रियता लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।”
आरएसएस पर निशाना साधते हुए सुरजेवाला ने कहा कि आरएसएस ने देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, बल्कि वे अंग्रेजों के साथ खड़े थे। उन्होंने कहा कि देश को महात्मा गांधी बनाम नाथूराम गोडसे की विचारधारा में बांटने का कार्य आरएसएस कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह विचारधारा न केवल विभाजनकारी है, बल्कि देश की आत्मा के खिलाफ भी है।”
रणदीप सुरजेवाला ने भारत की विदेश नीति को ‘निकम्मी’ करार देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने पाकिस्तान को एंटी-टेररिज्म कमेटी का वाइस चेयरमैन बना दिया है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का पालक देश है, जहां आतंकियों को मुआवजा तक दिया जाता है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब आंखें और कान खोलने चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस फैसले का विरोध करना चाहिए।”
बहादुरगढ़ में सुरजेवाला का यह दौरा भले एक निजी अस्पताल के उद्घाटन के लिए था, लेकिन उनका रुख साफ तौर पर सियासी गर्मी बढ़ाने वाला रहा। उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हुए, आरएसएस और भाजपा की विचारधारा को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।