बेटे को खिलाया इंसान का मांस! फ्राई की दोस्त की जांघ, परोस दिया एक्सॉटिक कहकर…

रूस के शहर में एक व्यक्ति कंगारू का मांस बताकर इंसानी मांस बेचता और खाता था. पुलिस को जब इस बारे में पता चला तो सबके होश उड़ गए. चलिए आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है.
- हत्या कर खाता था इंसानों का मांस
- कंगारू मीट के नाम पर बेचता था इंसानों का मांस
सोचिए, कि आप किसी बाजार से मीट खरीदते हैं दुकानदार बताता है कि यह ‘कंगारू का मांस’ है. आप घर जाते हैं, उस मांस से बढ़िया डिश बनाते हैं, और पूरा परिवार उसे चाव से खा जाता है. लेकिन कुछ दिनों बाद आपको पता चले कि वो मीट कंगारू का नहीं इंसान का था तो? जी हां, आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी ही कहानी जिससे आपकी रूह कांप जाएगी.
ये किसी हॉरर फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है, रूस के नोवोचेबोक्सार्स्क शहर की एक खौफनाक हकीकत, जिसने दुनियाभर में सनसनी मचा दी. इस नरभक्षी का नाम है व्लादिमीर निकोलायेव, जिसे लोग ‘ओगर’ और ‘नोवोचेबोक्सार्स्क कैनिबल’ के नाम से जानते हैं. यह शख्स था व्लादिमीर निकोलायेव, जिसे बाद में नवोचेबोक्सार्स्क नरभक्षी’ और “ओगर” के नाम से जाना गया. उस पर न केवल हत्या का आरोप था, बल्कि उसने इंसानी मांस को जानवरों के मांस के नाम पर बेचा और खुद भी खाया. इस खौफनाक अपराध की परतें तब खुली जब कुछ ग्राहकों ने मांस का स्वाद अजीब लगा. इसके बाद लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी.
जब ग्राहकों को आया शक
व्लादिमीर बाजार में खुद को एक्सॉटिक मीट विक्रेता बताता था. उसने दावा किया कि वह कंगारू, हिरन जैसे दुर्लभ जानवरों का मांस बेचता है. ग्राहक उसके पास आकर्षण से खिंचे चले आते. लेकिन धीरे-धीरे कुछ खरीदारों को शक होने लगा मांस का स्वाद अजीब था, रंग कुछ अलग, और गंध कुछ और ही बता रही थी. कुछ कस्टमर ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. जांच के लिए मांस का सैंपल एक डॉक्टर को भेजा गया, और जो रिपोर्ट आई, उसने जांच अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए. असल में ये मांस था इंसानों का.
गिरफ्तारी और चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस ने तुरंत निकोलायेव को गिरफ्तार किया. पूछताछ में उसने दो हत्याओं की बात कबूल की और बताया कि वो अपने पीड़ितों का मांस खाता था, और बाकी मीट को बाजार में बेच देता था. उसकी गिरफ्तारी के बाद उसके फ्लैट की तलाशी ली गई, जहां बाथटब में खून के धब्बे, मानव अवशेष, और कई कटे-फटे अंग बरामद हुए. निकोलायेव ने स्वीकार किया कि उसका पहला शिकार उसका ही दोस्त था. दोनों ने शराब पी थी, और आपसी झगड़े में उसने अपने दोस्त को मार डाला. जब होश आया, तो वो लाश को छुपाने के बजाय उसे काटने लगा. उसने सबसे पहले जांघ से मांस निकाला और उसे फ्राई कर खाया.
हॉरर से भरी ‘किचन’ और लोगों को परोसा इंसानी मांस
निकोलायेव ने अपने शिकारों को काटकर उनका मांस न सिर्फ खुद खाया, बल्कि उन्हें बाजार में भी बेचा. उसने करीब 11 पाउंड (5 किलो) इंसानी मांस को ‘कंगारू मीट’ बताकर खुले बाजार में बेचा. हैरानी की बात तो ये है कि एक बार उसने यह मांस अपने दोस्त को भी दिया, जिसकी पत्नी ने इससे डम्पलिंग्स बनाई और खुद खाई, साथ ही अपने बच्चों को भी खिला दी. एक इंटरव्यू में जब निकोलायेव से इस बारे में पूछा गया तो वो हंसते हुए बोला, ‘मैंने कहा कि ये कंगारू है. लेकिन हमारे यहां कंगारू कहां मिलते हैं.’ उसकी यह हंसी इंसानियत के नाम पर एक तमाचा थी.
अंधेरे में डूबी जिंदगी और ‘ब्लैक डॉल्फिन’ की कोठरी
व्लादिमीर निकोलायेव का आपराधिक इतिहास कोई नया नहीं था. 1980 में भी वह चोरी और डकैती के मामलों में जेल जा चुका था. लेकिन 1997 में जब उसने ये नरभक्षी अपराध किए, तब पुलिस और समाज दोनों चौंक गए. उसे फांसी की सजा सुनाई गई, लेकिन 1999 में रूस में फांसी पर रोक लगने के चलते उसकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई. 2001 में उसे रूस की सबसे सख्त जेल IK-6 ब्लैक डॉल्फिन में शिफ्ट कर दिया गया, जहां कैदियों को 24 घंटे खड़े रहने की सजा दी जाती है, और सोते समय भी हाथ पीठ के पीछे बंधे रहते हैं. निकोलायेव ने एक बार कहा था, ‘मौत की सजा इससे बेहतर होती…’