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माधुरी दीक्षित के लिए गॉडफादर बना सुपरफ्लॉप एक्टर, 1979 में बन बैठा डायरेक्टर, पलट गई जिंदगी

Superflop Actor Who Became Godfather For Madhuri Dixit: क्या आप जानते हैं माधुरी दीक्षित को बॉलीवुड की ‘धक-धक गर्ल’ किसने बनाया? माधुरी को बॉलीवुड की धड़कन एक ऐसे एक्टर ने बनाया, जिनका खुद का एक्टिंग करियर फ्लॉप रहा.लेकिन, बाद में उन्होंने निर्देशन में अपना हाथ आजमाया और कई एक्टर्स की किस्मत संवारी. इन्हीं कलाकारों में से एक माधुरी दीक्षित भी रहीं. चलिए बताते हैं, कौन हैं वो सुपर

हाइलाइट्स
  • इस डायरेक्टर ने माधुरी को फिर से लॉन्च किया.
  • डायरेक्टर ने कई सितारों की किस्मत संवारी.
  • इन्हें इंडस्ट्री में ‘दूसरे शोमैन’ के नाम से जाना जाता है.

नई दिल्ली. ऐसे बहुत से स्टार्स हैं जो बॉलीवुड में एक्टर बनने का ख्वाब लेकर आए थे. कुछ को मौके मिला, लेकिन वो मुकाम नहीं, जिसके सपने उन्होंने सजाए थे. ऐसे कई नाम हैं अमोल पालेकर, नंदिता दास, शेखर कपूर, टीनू आनंद, राकेश रोशन जैसे कई नाम हैं. लेकिन क्या आप उस फ्लॉप हीरो के बारे में जानते हैं, जिन्हें बॉलीवुड में बतौर एक्टर वो मुकाम नहीं मिल रहा था, जिसके वह हकदार थे. 1979 में उन्होंने एक्टर से डायरेक्टर बनने का फैसला किया और इस फैसले ने सिर्फ उन की जिंदगी को ही नहीं कई सितारों को जिंदगी को पलट कर रख दिया. माधुरी दीक्षित के लिए तो ये गॉडफादर साबित हुए.

सुपरफ्लॉप हीरो ने फिल्मों में एक्टिंग छोड़ी और जिग्गज डायरेक्टर बना. ये कोई और नहीं बल्कि सुभाष घई हैं. उन्होंने निर्देशन की राह पकड़ी और कई शानदार फिल्में बनाकर इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई. उन्हें इंडस्ट्री में ‘दूसरे शोमैन’ के नाम से भी जाना जाता है. कोरियोग्राफर सरोज खान भी सुभाष घई की ही देन थीं.उन्होंने जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, मीनाक्षी शेषाद्री, मनीषा कोइराला, महिमा चौधरी, श्रेयस तलपड़े जैसे कलाकारों की किस्मत चमका दी.

बतौर एक्टर हुए फेल
सुभाष घई, फिल्म निर्माता और निर्देशक होने के साथ-साथ एक्टर भी रहे हैं. उन्होंने कई फिल्मों में बतौर एक्टर छोटे-मोटे रोल निभाए, लेकिन एक्टर के तौर पर उन्हें कोई पहचान नहीं मिली. सुभाष घई ने 60 के दशक की शुरुआत में अपने अभिनय की शुरुआत की. वह कुछ छोटी लेकिन उल्लेखनीय भूमिकाओं में नजर आए.

काका के साथ की एक्टिंग, रहे फ्लॉप 
सुभाष घई को 1969 में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर स्टारर ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘आराधना’ में एक बड़ी भूमिका मिली. वह फिल्म में भले लीड रोल में नहीं थे, लेकिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहे. बाद में उन्होंने ‘उमंग’, ‘भारत के शहीद’, ‘शेरनी’ और ‘नाटक’ जैसी फिल्मों में एक्टिंग की. एक्टिंग में उन्हें वो मुकाम हासिल नहीं हो पा रहा था, जिसके लिए वो इंडस्ट्री में आए थे. इसे बाद उन्होंने फैसला किया कि वो अब निर्देशन की ओर रुख करेंगे.

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‘राम लखन’ एक आइकॉनिक बॉलीवुड फिल्म है.

कालीचरण से की निर्देशन की शुरुआत
सुभाष घई ने 1979 में फिल्म निर्देशन की ओर रुख कर लिया. उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘कालीचरण’ थी, जो ब्लॉकबस्टर रही. फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा और रीना रॉय मुख्य भूमिकाओं में थे. इसके बाद, उन्होंने ‘कर्ज’, ‘हीरो’, ‘सौदागर’, ‘कर्मा’, ‘परदेस’ और ‘ताल’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया और दशकों के पसंदीदा डायरेक्टर बनकर उभरे.

माधुरी दीक्षित के बने गॉडफादर
माधुरी दीक्षित ने अपने डांस और एक्टिंग से लोगों को इंप्रेस किया. डेब्यू फिल्म अबोध के बाद माधुरी दीक्षित ने कई फिल्में की लेकिन उनकी कोई फिल्म हिट नहीं हुई. इन फ्लॉप फिल्मों के बाद सुभाष घई ने माधुरी को दोबारा से लॉन्च किया. 1989 में, सुभाष घई ने एक चांस लिया और अनिल कपूर के साथ ‘राम लखन’ में माधुरी दीक्षित को फिर से पेश कियाय अपनी आकर्षक एक्टिंग और बेहतरीन डांसिंग स्किल्स से माधुरी दीक्षित रातों-रात मशहूर हो गईं. उसके बाद, ‘धक-धक’ गर्ल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और घई इंडस्ट्री में उनके गॉडफादर बन गए. इस तरह माधुरी की एक्टिंग की गाड़ी को ट्रैक मिल गया. इसके बाद वह मेकर्स की पहली पसंद बन गईं. उन्हें 2006 की फिल्म ‘इकबाल’ के लिए एक निर्माता के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला.

 

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