नकवी का पलटवार, कहा- हिंदुस्तान में नहीं चलेगी तालिबानी सोच

नई दिल्ली,
हाल ही में मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर दी। जिसकी महिलाएं सराहना कर रही हैं। हालांकि बहुत से नेताओं ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया और इस मामले पर विवादित बयान भी दिए। जिस पर अब केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पलटवार किया। साथ ही नए बदलाव का विरोध कर रहे लोगों की सोच को तालिबानी बताया।
अल्पसंख्यक दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए नकवी ने कहा कि महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तीकरण और संवैधानिक समानता के खिलाफ तालिबानी सोच भारत में नहीं चलेगी। कभी तीन तलाक का विरोध किया जाता है, तो कभी मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के साथ हज करने पर सवाल उठाए जाते हैं। अब जब कुछ नहीं मिला तो बहुत से लोग महिलाओं की शादी की उम्र 18 से 21 करने पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे लोग संविधान की मूल भावना के पेशेवर विरोधी हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने किसी पार्टी या उसके नेता का नाम नहीं लिया।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि एक तरफ जहां दुनिया के लगभग सभी धर्मों को मानने वाले भारत में रहते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में नास्तिक भी गरिमा और समान संवैधानिक अधिकारों के साथ मौजूद हैं। पीएम मोदी के नेतृ्त्व में सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की प्रतिबद्धता के साथ काम किया है। जिससे समाज के सभी वर्गों का समावेशी विकास हुआ। नकवी के मुताबिक मोदी सरकार ने ही ‘हुनर हाट’ के माध्यम से देश के कोने-कोने के स्वदेशी कारीगरों और शिल्पकारों को विश्वसनीय मंच प्रदान किया।
उन्होंने बताया कि 2014 से पहले मुस्लिम लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर 70 प्रतिशत से अधिक थी, जो अब घटकर लगभग 30 प्रतिशत के आसपास रह गई है। सरकार का लक्ष्य आने वाले वक्त में इसे शून्य करना है।
सपा सांसद ने दिया था विवादित बयान
हाल ही में जब मोदी सरकार ने उम्रसीमा में बदलाव किया, तो मीडियाकर्मी समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का रुख इस मामले पर जानने पहुंचे। जिस पर उन्होंने कहा कि सरकार का ये कदम सही नहीं है। लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ाने से वो और ज्यादा आवारगी करेंगी।