मूड से लेकर भूख तक, ‘हार्मोन्स’ के इशारों पर नाचते हैं आप! बिगड़ा संतुलन तो पड़ सकते हैं लेने के देने

Explainer- हमारी बॉडी केवल दिमाग या दिल की धड़कनों के हिसाब से काम नहीं करती, बल्कि शरीर को चलाने के लिए कई तरह के हार्मोन्स रिलीज होते हैं. इनमें से कुछ हार्मोन हर रोज एक ही समय पर ही रिलीज होते हैं, वहीं कुछ हार्मोन्स खास तरह के एक्शन के बाद बनते हैं. इनका बैलेंस रहना बेहद जरूरी है.
हमारा खुश होना, दुखी होना, डर जाना, खाना, सोना हर काम हार्मोन्स पर निर्भर करता है. यह एक केमिकल मैसेंजर होते हैं जो दिमाग के सिग्नल को पूरे शरीर के हिस्से में पहुंचाते हैं. हार्मोन्स से ही हमारी जिंदगी स्वस्थ तरीके से चल पाती है. यह हमारे मूड, एक्शन, रिएक्शन हर चीज से रिलीज होते हैं. लेकिन अगर यह असंतुलित हो जाएं तो कई तरह की बीमारियां घेरने लगती हैं. इन्हें बैलेंस रखने के लिए लाइफस्टाइल का अच्छा होना जरूरी है.
50 से ज्यादा तरह के हार्मोन्स
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार वैज्ञानिकों ने इंसान के शरीर में 50 तरह के हार्मोन्स का पता लगाया है. एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. विनोद बोकड़िया कहते हैं कि यह केमिकल ग्रंथियों और बॉडी टिश्यू से निकलते हैं जो खून में मिल जाते हैं. हार्मोन्स हमेशा हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी ग्लैंड, पीनल ग्लैंड, थायरॉइड, पैराथाइरॉइड ग्लैंड, एड्रेनल ग्लैंड, पैंक्रियाज, ओवरी और टेस्टिस जैसी ग्रंथियों से निकलते हैं. वहीं कुछ हार्मोन्स फैट टिश्यू, किडनी, लिवर, गट और प्लेसेंटा से भी निकलते हैं. हार्मोन्स से ही एंडोक्राइन सिस्टम बनता है. इनसे मूड, स्लीप साइकिल, सेक्शुअल फंक्शन, ग्रोथ, डिवेलपमेंट, शरीर का तापमान, मेटाबोलिज्म और मेंस्ट्रुअल साइकिल ठीक तरीके से काम कर पाते हैं. लेकिन दिक्कत तब होती है जब ये बहुत कम या बहुत ज्यादा रिलीज हों.
हैप्पी हार्मोन्स से मूड होता खुश
हाइपोथेलेमस दिमाग में एक छोटा सा हिस्सा होता है जो पिट्यूटरी ग्लैंड से जुड़ा होता है. यही हिस्सा डोपामाइन नाम का हैप्पी हार्मोन रिलीज करता है. जब शरीर में डोपामाइन रिलीज होता है तो व्यक्ति खुश रहता है. वहीं यही से लव हार्मोन ऑक्सिटॉक्सिन भी रिलीज होता है. जब व्यक्ति किसी को गले लगाए, छुए या किस करें तो तभी यह हार्मोन रिलीज होते हैं. यहीं से बच्चों में ग्रोथ हार्मोन भी रिलीज होता है जिससे उनके शरीर का विकास होता है.

अगर हार्मोन्स असंतुलित हों तो व्यक्ति ओवर इटिंग करने लगता है और मोटापे का शिकार हो जाता है (Image-Canva)
डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं
हार्मोन्स डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं. जब वर्क लोड बढ़े या व्यक्ति को पैसे की कमी या प्यार में असफलता मिले तो यह स्थितियां बॉडी पर स्ट्रेस बढ़ाती हैं. स्ट्रेस बढ़ते ही कॉर्टिसोल हार्मोन रिलीज होता है जो बॉडी के फंक्शन को गड़बड़ कर देता है. यह ज्यादा रिलीज हों तो व्यक्ति की मेंटल हेल्थ खराब हो जाती है, बाल झड़ने लगते हैं, पाचन क्रिया ठीक नहीं रहती और स्किन से जुड़े रोग होने लगते हैं.
ब्लड शुगर रहती कंट्रोल
पेट से ऊपर की तरफ पैंक्रियाज होते हैं. यह अंग पाचन तंत्र का हिस्सा है. यहीं से इंसुलिन और ग्लूकागन नाम के हार्मोन रिलीज होते हैं जो खून में ग्लूकोज यानी शुगर के लेवल को नियंत्रित रखते हैं. लेकिन अगर यह हार्मोन ठीक से काम ना करें तो व्यक्ति डायबिटीज का शिकार होने लगता है.
भूख लगने का घ्रेलिन देता इशारा
जब इंसान को भूख लगती है तो घ्रेलिन नाम का हार्मोन दिमाग को संकेत देता है कि पेट खाली है और खाने की जरूरत है. इसी हार्मोन से पेट में आवाजें आने लगती हैं और जब खाना खा लिया जाता है तो लेप्टिन हार्मोन बनता है जो पेट भरने का सिग्नल देता है. इससे भूख और वजन दोनों नियंत्रित रहते हैं. इस हार्मोन्स से फैट एनर्जी में बदलते हैं और शरीर को ताकत मिलती है.

चेहरे पर अनचाहे बाल हार्मोन्स की गड़बड़ी की वजह से उगते हैं (Image-Canva)
असंतुलित हार्मोन्स से इनफर्टिलिटी
महिलाओं की जिंदगी हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव पर ही चलती है. जब प्यूबर्टी शुरू होती है तो शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नाम के हार्मोन्स रिलीज होते हैं जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल चलती है. प्रेग्नेंसी में भी हार्मोन्स बदल जाते हैं और एचसीजी हार्मोन बनता है. जब मेनोपॉज की स्टेज आती है तो ओवरी काम करना बंद कर देती हैं और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन बनने बंद हो जाते हैं. अगर महिलाओं के शरीर में मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन ज्यादा बनने लगें तो वह पीसीओडी का शिकार हो जाती हैं, मोटापा परेशान कर सकता है और सिस्ट भी हो सकता है. कई लड़कियों के इस वजह से चेहरे पर अनचाहे बाल उगने लगते हैं. अगर समय रहते हार्मोन्स का इलाज का ना हो तो इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है. वहीं अगर पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाए तो वह भी इस समस्या को झेलते हैं.
सोसायटी फॉर एंडोक्राइनोलॉजी के अनुसार हर इंसान के शरीर में एक जैविक घड़ी होती है जो सूरज के उगने और ढलने के हिसाब से काम करती है. इसी साइकिल में हर रोज कुछ हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो बॉडी के मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखते हैं. इसके लिए सुबह जल्दी उठना और धूप में बैठना बेहद जरूरी है. सुबह 2 से 4 बजे तक ग्रोथ हार्मोन रिलीज होते हैं. 4 से 6 बजे तक शरीर का तापमान सबसे ठंडा होता है. इस समय इंसुलिन का स्तर भी कम हो जाता है. सुबह 6 बजे शरीर का ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और सुबह 10 बजे तक टेस्टोस्टेरोन हाई रहते हैं. सुबह 8 बजे बाउल मूवमेंट अच्छी होती हैं जिससे पेट दुरुस्त रहता है. पूरा दिन डोपामाइन और एड्रिलीन एक्टिव रहते हैं. शाम 5 बजे कार्डियोवेस्कुलर एफिशिएंसी बढ़ जाती है. इस समय कार्डियो एक्सरसाइज करना फायदेमंद होता है. रात 8 बजे स्लीप हार्मोन मेलेनिन रिलीज होने लगते हैं जो सुबह 7 बजे तक एक्टिव होते हैं. इस समय सो जाना चाहिए. गहरी नींद में लेपटिन हार्मोन रिलीज होता है.