भाजपा की हठधर्मिता एवं अहंकार संसद में हुई धक्का मुक्की संसद के लिए काला दिवस ?

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर पर की गयी टिप्पणी से संसद से लेकर सड़क तक बवाल मचा हुआ है
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर पर की गयी टिप्पणी से संसद से लेकर सड़क तक बवाल मचा हुआ है। इस पर खेद जताना तो दूर, भारतीय जनता पार्टी विपक्ष पर ही आरोप लगा रही है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को राज्यसभा में शाह ने यह कहकर कांग्रेस और विपक्ष पर अशालीन टिप्पणी की थी कि ‘आजकल अंबेडकर का नाम लेना एक फैशन हो गया है। अंबेडकर… अंबेडकर… अंबेडकर… अंबेडकर! इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’ नाराज़ विपक्ष ने बुधवार को संसद के दोनों सदनों में इस मामले को पुरज़ोर तरीके से उठाया और शाह से न केवल माफ़ी बल्कि इस्तीफे की भी मांग की थी। पूरे देश में इसे लेकर उनके प्रति नाराज़गी देखी गई परन्तु धृष्टता का परिचय देते हुए शाह ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ‘अगले 15 वर्षों तक मल्लिकार्जुन खरगे उसी जगह पर बैठेंगे जहां अभी हैं।’ यानी विपक्ष में रहेंगे। खरगे का उन्होंने इसलिये उल्लेख किया क्योंकि उन्होंने शाह से माफी की मांग की थी।
भाजपा की हठधर्मिता एवं अहंकार का मिला-जुला रूप गुरुवार को देखने को मिला जब विपक्षी सदस्य नीले कपड़े पहनकर और हाथों में बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीरें लिये हुए मकर द्वार से संसद के भीतर जा रहे थे। अनेक भाजपा सदस्यों ने उनका रास्ता रोक लिया। इस धक्का-मुक्की में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे नीचे गिर गये जिन्हें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस सासंद वर्षा गायकवाड़ आदि ने सम्हालने की कोशिश की। इसे लेकर खरगे ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। अभी तीन दिन पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने निर्देश दिये थे कि किसी भी सदस्य को कोई भी संसद प्रवेश करने से नहीं रोकेगा। गुरुवार को विपक्षी सांसदों को रोकने की कोशिश जिन सदस्यों ने की, वे भाजपायी थे। गुरुवार का वाकया बतलाता है कि भाजपा के सांसद उनके कितने कहने में हैं।
भाजपा का आरोप है कि कांग्रेसियों द्वारा की गयी धक्का-मुक्की से भाजपा के दो सांसद घायल हो गये हैं। इनमें से एक प्रताप सारंगी ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया जो उन पर आकर गिरा। इसके कारण उनके सर पर चोट आई है। ऐसे ही, मुकेश राजपूत भी घायल हुए हैं। बताया गया है कि उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज़ख्मी सांसदों का हाल-चाल जाना। वैसे राहुल ने कहा कि खरगे को धक्का दिया जा रहा था। उन्होंने बताया कि भाजपा के सांसद उन्हें भी धमका रहे थे और प्रियंका को भी रोकने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष को बचाया। अब भाजपायी सांसद राहुल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर दबाव डालना चाहते हैं। उनके विरूद्ध भी भाजपा विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है।
इस मामले को लेकर सदन के भीतर भी जमकर विवाद हुआ। जहां एक ओर विपक्ष शाह के माफ़ी व इस्तीफे की मांग पर अड़ा रहा वहीं भाजपा प्रतिपक्ष पर ही झूठ का सहारा लेने का आरोप लगाती रही। इसके कारण जमकर हुए हंगामे के बाद सदनों की कार्यवाही चलनी मुश्किल हो गयी। दोनों सदनों को शुक्रवार तक के लिये स्थगित कर दिया गया। इस सारे मामले को सम्भवत: मोदी, ओम बिड़ला एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ बढ़ते हुए देखना चाहते हैं। इसलिये उन तीनों की ओर से कोई गम्भीर पहल नहीं की गयी कि उभय पक्षों को बिठाकर सुलह करायी जाये। बाद में अवश्य बिड़ला ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने सभी सदस्यों से परम्पराओं के पालन एवं संयम बरतने की अपील की।
वहीं मोदी ने तो एक्स पर पोस्ट किया कि कांग्रेस मुद्दे को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। उन्होंने शाह का वीडियो यह कहकर पोस्ट किया कि इसे अवश्य देखा जाना चाहिये। इस तरह वे आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। भाजपा का यह रुख इसलिये दोहरा कहा जा सकता है कि एक्स ने खुलासा किया है कि सरकार की ओर से कहा गया था कि राज्यसभा में शाह के बयान वाले वीडियो को हटा दिया जाये। एक्स ने साफ किया कि वह अभिव्यक्ति की आजादी की पक्षधर है इसलिये वह ऐसा नहीं करेगा। शाह के वीडियो को हटाने के लिये कहना यही बतलाता है कि भाजपा अब इस मामले में खुद को घिरा हुआ मान रही है। अपनी गलती स्वीकार कर क्षमा मांगने की बजाये वह और भी अधिक धृष्टता पर उतर आई है।
इस मामले को लेकर भाजपा पर चौतरफ़ा हमले हो रहे हैं। बाबा साहेब अंबेडकर के नाती प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि ‘इस बयान से भाजपा की पुरानी मानसिकता सामने आ गयी है।’ समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने भी चेतावनी दी है कि ‘अंबेडकर का अपमान किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जायेगा।’ देश भर में कई संगठनों एवं नेताओं ने शाह के प्रति रोष जाहिर किया है। कांग्रेस ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ कहा है तो वहीं भाजपा अपने किये पर यह कहकर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है कि ‘यह राहुल की अराजकता’ है। जो भी हो, इस घटना ने भाजपा का फासीवादी चेहरा साफ उजागर कर दिया है। विपक्षी सांसदों को रोकना भाजपा सदस्यों का काम नहीं है और न उन्हें रोका जा सकता है। यह विपक्ष की आवाज़ को दबाने की उसकी चिर-परिचित शैली है जो देश कई बार देख चुका है। लेकिन गुरुवार को संसद में हुई धक्का मुक्की साफ तौर पर काले अध्याय की तरह दज़र् होगी।