यह पौधा नहीं, शुद्ध संजीवनी बूटी है, जड़-तना-फूल हर चीज अमृत समान, 10 से ज्यादा बीमारियों में रामबाण

Incredible Medicinal Plant Clerodendrum Treates 10 Disease: यह एक तरह की झाड़ी है. इसका इंग्लिश नाम क्लेरोडेंड्रम Clerodendrum है. इसमें सफेद रंग के आकर्ष फूल के कारण इसे व्हाइट बटरफ्लाई (White Butterfly) भी कहा जाता है. अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. आमतौर पर इसे भटवास, भट, भाट या भांत कहा जाता है. भांत का पौधा बेहद खूबसूरत होता है और इसमें लगे फूल बेहद आकर्षक होते हैं. पहले यह सफेद होता है जो बाद में लाल रंग का बन जाता है. भाट जितना देखने में सुंदर होता है उतना ही यह औषधीय गुणों से भरपूर है. भाट डायबिटीज, डायरिया, पायरिया सहित कई तरह की बीमारियों को ठीक करता है, इसलिए यह पौधा संजीवनी बूटी की तरह काम करता है. सबसे अच्छी बात यह है कि इस पौधा की जड़ से लेकर पत्तियां तक काम में आ जाती है. यह भारत, बांग्लादेश और म्यांमार में पाया जाता है.
इतनी बीमारियों का इलाज
भाट का इस्तेमाल दवाइयों के रूप में आयुर्वेद और सिद्धा में सदियों से किया जाता है. विकिपीडिया के मुताबिक भाट की पत्तियों से डायरिया, लिवर डिजीज और सिर दर्द का इलाज किया जाता है. वहीं इसकी जड़ से डैंड्रफ, पायरिया, मलेरिया, स्कैबिज, स्किन डिजीज, घाव, सूजन, सांप के काटने, ट्यूमर, बिच्छू के काटने का इलाज किया जाता है. इसके साथ ही भाट एंटी-डायबेटिक और एंटीकॉन्वुलसेंट गुण से भरपूर होता है. इससे मिर्गी का भी इलाज किया जाता है. अगर पेट में कीड़े-मकोड़े ज्यादा हो गए हैं तो इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर सेवन करने से कीड़े-मकौड़े पेट में ही मर जाते हैं. भाट पाचन तंत्र के लिए भी बहुत बेहतरीन है.
साइंटिफिक रिसर्च में भी प्रूव
साइंस डायरेक्ट के मुताबिक वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि भाट के पौधे में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी डायबेटिक, एंटी-हाइपरटेंसिव, हाइपोग्लासेमिक और हाइपोलिपिडमिक गुण होता है. यानी यह डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और अर्थराइटिस बीमारी में भी बहुत काम की चीज है. साइंटिफिक रिसर्च के मुताबिक भाट में जहर के असर को कम करने की क्षमता है. इसलिए भारत में इसका इस्तेमाल सांप और बिच्छू काटने के इलाज में बी किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक यह लिवर को तंदुरुस्त रखने में भी बहुत फायदेमंद है. भाट शरीर से फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है जिससे सेल्स से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का खात्मा होता है. इस प्रकार यह कई क्रोनिक बीमारियों से रक्षा करता है.
कैसे करें इस्तेमाल
इन सभी बातों के बावजूद भाट के पौधे का किस तरह इस्तेमाल की जाए, यह आयुर्वेदिक या सिद्धा के डॉक्टर ही तय कर सकते हैं. इसलिए यदि आप भाट के पौधे का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर यही रहेगा कि आयुर्वेद के डॉक्टरों से परामर्श कर लें. आमतौर पर इससे कोई नुकसान नहीं होता लेकिन डोज कितनी होनी चाहिए, इसके बारे में विशेषज्ञों की राय लेनी जरूरी है.