देश

CJI चंद्रचूड़ ने कपिल सिब्बल से जिस ‘पोस्टमार्टम’ का मांगा था चालान, जानें उसका UP-बिहार में होता है क्या हस्र

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने CBI के स्टेटस रिपोर्ट पर पश्चिम बंगाल सरकार पर क्यों उठाए सवाल? क्या देश के अलग-अलग राज्यों में पोस्टमार्टम करने के तौर-तरीके अलग-अलग हैं? क्या सभी राज्यों की पुलिस चालान भेजने की प्रक्रिया का पालन अलग-अलग तरह से करती है? पूर्व आईपीएस, डीएसपी और फॉरेंसिक एक्सपर्ट से समझें.

 

नई दिल्ली/कोलकाता

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने सीबीआई के स्टेटस रिपोर्ट पर पश्चिम बंगाल सरकार से कई सवाल किए. जैसे, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में समय क्यों नहीं बताया गया? वीडियोग्राफी किसने की? जब शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है तो एक चालान भी भेजा जाता है, वह चालान कहां है? क्या बिना चालान भेजे पोस्टमार्टम कर दिया गया? अगर ये दस्तावेज गायब हैं तो कुछ गड़बड़ है? ये सारे सवाल सीजेआई ने सीबीआई के स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर किया. फिर कोर्ट ने पोस्टमार्टम की प्रक्रियाओं को पूरा विवरण देने को कहा, जिसे मंगलवार को जमा कर दिया गया.

लेकिन, सीजेआई के सवाल-जवाब से पता चलता है कि हत्या और रेप जैसे मामलों में एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट कितना अहम हो जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत के सभी राज्यों में पोस्टमार्टम करने का तरीका एक जैसा है? क्यों सीजेआई ने चालान को लेकर कपिल सिब्बल से सवाल पुछा? दिल्ली के पूर्व ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर एसबीएस त्यागी ने न्यूज 18 हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘देखिए, पोस्टमार्टम कोलकाता, दिल्ली, पटना या कहीं भी हो उसकी प्रक्रिया एक जैसी ही होती है. थाना प्रभारी या एसएचओ अस्पताल प्रबंधन को एक अनुरोध पत्र भेजते हैं. इस अनुरोध पत्र में मृतक व्यक्ति का पूरा विवरण होता है. बिना अनुरोध पत्र के पोस्टमार्टम नहीं हो सकता. दिल्ली में महिलाओं के अननेुचरल डेथ या संदिग्ध डेथ में पुलिस वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराती है. इस पूरी प्रक्रिया का रिकॉर्ड रखा जाता है.’

पोस्टमार्टम में चालान कितना अहम?
वहीं, फॉरेंसिक मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘जब शव को मोर्चरी में ले जाया जाता है तो पुलिस को एक फॉर्म भरकर देना होता है. इस फॉर्म में शव का पूरा विवरण रहता है. जैसे, शव किस स्थान और किस समय पर मिला, उस समय शव पर कपड़े थे या नहीं, शव किस हालत में मिला? शव पर क्या निशान थे, ये सारी बातें पुलिस लिखकर देती है. इस फॉर्म में दो रिश्तेदारों के नाम, पता, आधार डिटेल और बाकी सभी डिटेल भी होती हैं. इसके साथ ही एक डिमांड लेटर होता है जिसे आप पंचनामा भी कहते हैं. फिर पुलिस के सामने सील्ड बॉडी को पहचानने के लिए दो लोग और पुलिस वाला भी मौजूद रहता है. फिर बॉडी की सील को पुलिस के खाली पेपर वाले सील से मिलाया जाता है. फिर बॉडी का पोस्टमार्टम शुरू करते हैं.’

 

डोनेट करें - जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर क्राइम कैप न्यूज़ को डोनेट करें.
 
Show More

Related Articles

Back to top button
Close