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प्रधानमंत्री के भाषण से निराशा जैसे भूसे के ढेर में सुई ढूंढना ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे, तो एक बार फिर उनके लहजे में बड़बोलेपन और अहंकार के भाव के साथ-साथ विपक्ष के लिए घृणामिश्रित उपेक्षा का भाव नजर आया। श्री मोदी के भाषण को सुनकर ऐसा लगा कि सोमवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जो भाषण दिया था, उसकी चोट से उबरने में अभी उन्हें वक्त लगेगा। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने साफ शब्दों में यह बता दिया था कि भाजपा हिंदू धर्म की शिक्षा पर नहीं चलती है और जिस हिंदुत्व को वह बढ़ावा देती है, उससे नफरत और हिंसा फैलती है। राहुल गांधी के इस वक्तव्य पर संसद में खड़े होकर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके साथियों ने आपत्ति व्यक्त की थी। इसके बाद आधी रात को श्री गांधी के भाषण से उन हिस्सों को हटा दिया गया, जिनमें भाजपा पर चोट की गई थी। राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इन हिस्सों के हटाए जाने पर अपनी असहमति दर्ज कराई है। इसके अलावा राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को भी एक पत्र लिखा, जिसमें नीट परीक्षा पर चर्चा की मांग फिर से की है।

प्रधानमंत्री मोदी राहुल गांधी के पत्र का जवाब देंगे या नहीं, इस पर अब संदेह होता है। क्योंकि मंगलवार को अपने भाषण में उन्होंने राहुल गांधी के लिए एक बार फिर अपमान भरे लहजे में बालकबुद्धि शब्द का प्रयोग किया। श्री मोदी ने कहा कि बालक बुद्धि में न बोलने का ठिकाना होता है और न ही बालक बुद्धि में व्यवहार का कोई ठिकाना होता है। जब ये बालक बुद्धि पूरी तरह सवार हो जाती है, तो सदन में भी किसी के गले पड़ जाते हैं। ये बालक बुद्धि अपनी सीमाएं खो देती है, तो सदन के अंदर बैठकर आंखें मारते हैं। इनकी सच्चाई अब पूरा देश समझ गया है। इसी तरह श्री मोदी ने एक किस्सा सुनाया कि एक बच्चा 99 अंक लाने की बात करता है, लेकिन बाद में पता चलता है कि उसने सौ में नहीं 543 में 99 अंक हासिल किए हैं।

इन दो उदाहरणों से ही साबित हो जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में भी पहले की तरह संवेदनहीनता का परिचय देते रहेंगे। श्री मोदी ने एक बार आईआईटी रुड़की के छात्रों से चर्चा के दौरान डिस्लेक्सिया बीमारी का जिक्र निकलने पर भी राहुल गांधी पर तंज कस कर बता दिया था कि उनके मन में मानसिक रोगियों के लिए किस तरह हिकारत का भाव है। जब राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए उन्होंने मंगलवार को सदन में बालकबुद्धि शब्द का इस्तेमाल किया, तब भी यही हिकारत जाहिर हुई। क्योंकि बुद्धिमत्ता के गढ़े गए पैमाने पर, यानी मानक आईक्यू स्तर पर जिन लोगों के अंक कम आते हैं, उनके लिए बालकबुद्धि जैसी बातें कही जाती हैं। संभवत: एनडीए सरकार के लिए नीट, मणिपुर, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, अग्निवीर के नाम पर देश की सुरक्षा के साथ खेला गया खेल, किसानों से छल, विकास के नाम पर आ रही तबाही, ऐसे सारे मुद्दे गौण हैं, तभी इन पर चर्चा की बात करने वाले राहुल गांधी के लिए बालकबुद्धि जैसे शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

श्री मोदी हर साल परीक्षा पर चर्चा भी करते आए हैं। एक्जाम वारियर नाम से किताब भी उन्होंने लिखी है। उन्हें शायद पता होगा कि इस देश में हर साल ऐसे हजारों बच्चे आत्महत्या करते हैं, जो युद्ध का मैदान बना दी गई परीक्षा में खुद को हारा हुआ महसूस करते हैं। जबकि असल बात यह है कि परीक्षा को युद्ध बना देना सरकार की विफलता है और उससे भी बड़ी विफलता यह है कि बच्चों के सामने अंकों का महत्व उनकी जिंदगी से ज्यादा जरूरी बना दिया गया है। अगर श्री मोदी इस विफलता को समझते तो वे कांग्रेस की 99 सीटें लाने की तुलना 543 में 99 अंकों से नहीं करते।

यह सही है कि इंडिया गठबंधन को इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन यह भी अकाट्य सत्य है कि इस बार के चुनावों में विपक्ष की सीटें बढ़ी हैं और अगर इंडिया गठबंधन खरीद-फरोख्त का खेल करता तो शायद बहुमत का आंकड़ा पार कर लेता। लेकिन उसने जनादेश को स्वीकार किया, क्योंकि वह जानता है कि जनता ने उसे इस भरोसे के साथ सदन में भेजा है कि वह लोकतंत्र और संविधान की रक्षा में अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाएगा। इसलिए राहुल गांधी ने यह कहा कि वे विपक्ष में बैठकर भी प्रसन्न हैं, क्योंकि उनके लिए सत्ता से अधिक महत्वपूर्ण जनता की आवाज है। श्री मोदी कांग्रेस की 99 सीटों को बड़ी पराजय कहते हुए यह भूल जाते हैं कि कांग्रेस की सीटें इस बार बढ़ी हैं और भाजपा की सीटें कम हुई हैं।

दो घंटे से भी लंबे समय के अपने भाषण में श्री मोदी ने 2014 और 2019 के अपने कार्यकालों का जिक्र किया। सर्जिकल स्ट्राइक और घर में घुसकर मारने की बात की। रफाएल के मुद्दे पर राहुल गांधी का मजाक उड़ाया। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर घोटालों के आरोपों का जिक्र किया। लेकिन उनके पूरे भाषण में काम की बातें तलाशना वैसा ही कठिन था जैसे भूसे के ढेर में सुई ढूंढना। नेहरूजी से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी सब पर श्री मोदी ने आरोप लगाया। इतिहास की बातों को अपने हिसाब से तोड़ा मरोड़ा, बाबा अंबेडकर का नाम लेकर यह बताने की कोशिश की कि कांग्रेस ने उनका अपमान किया है। संविधान सिर पर लेकर नाचने जैसे शब्द बोलकर श्री मोदी ने फिर साबित किया कि उनके लिए सदन और चुनावी मंच में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने कल के राहुल गांधी के बयान को हिंदू धर्म के अपमान की तरह पेश किया। अपने भाषण में कई बार कांग्रेसी शब्द बोलकर उन्होंने बता दिया कि सत्ता के 11वें साल में भी वे कांग्रेस से भयभीत ही हैं। श्री मोदी कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष पर हावी होने की कोशिश में दिखे, लेकिन जितने देर श्री मोदी बोलते रहे, विपक्ष के सांसद मणिपुर और नीट जैसे विषयों पर न्याय की आवाज बुलंद करते रहे। यानी मंगलवार के स्कोर बोर्ड में भी विपक्ष सरकार पर भारी ही नजर आया।

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