ED यह साबित करने में नाकाम रही… अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए जज न्याय बिंदु ने क्या-क्या कहा, पढ़ें पूरा ऑर्डर

:जज न्याय बिन्दु ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाले आदेश में लिखा है कि केस से जुड़े गवाहों से सम्पर्क साधने की कोशिश नहीं करेंगे और साथ ही मामले से संबंधित सरकारी फाइलों को नहीं देखेंगे. कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) यह साबित करने में नाकाम रही है कि विजय नायर ही अरविंद केजरीवाल की ओर से यानी उनकी ओर से काम कर रहे थे.
नई दिल्ली.
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत ने जमानत पर छोड़ने का जो आदेश दिया है. वह तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि हाईकोर्ट इस मामले पर पूरी सुनवाई नहीं कर लेता है. हालांकि निचली अदालत ने किस आधार पर अरविंद केजरीवाल को जमानत दी है यह अब साफ हो गया है क्योंकि निचली अदालत के आदेश की कॉपी अब सामने आ गई है. राउज ऐवन्यू कोर्ट के जज न्याय बिंदु ने आदेश में लिखा है कि अरविंद केजरीवाल को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी जाती है. वह बिना कोर्ट की इजाजत के विदेश नहीं जा सकेंगे. इतना ही नहीं केस से जुड़े सबूतों से कोई छेड़छाड़ भी नहीं करेंगे.
जज न्याय बिन्दु ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाले आदेश में लिखा है कि केस से जुड़े गवाहों से सम्पर्क साधने की कोशिश नहीं करेंगे और साथ ही मामले से संबंधित सरकारी फाइलों को नहीं देखेंगे. कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) यह साबित करने में नाकाम रही है कि विजय नायर ही अरविंद केजरीवाल की ओर से यानी उनकी ओर से काम कर रहे थे.
राउज एवेंन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए क्या-क्या कहा?
– कोर्ट ने अपने आदेश में ED की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि ED इस मामले में पक्षपाती रवैये से काम कर रही है.
– राउस एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को ज़मानत देते हुए कहा, बेंजामिन फ्रैंकलिन ने कहा था कि ये बेहतर होगा कि 100 अपराधी छूट जाएं पर किसी निर्दोष को सजा ना हो. हजारों ऐसे मामले हैं, जिनमें आरोपियों को लंबे ट्रायल का सामना करना पड़ता है, जब तक वो निर्दोष साबित ना हो जाए. न्याय ना सिर्फ होना चाहिए, बल्कि दिखना चाहिए.
– ईडी की दलील है कि जांच लंबित है और आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है या सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है. ED अब तक 40 करोड़ रुपये को ट्रेस कर पाया है, 60 करना बाकी है. ED यह नहीं बता पा रहा कि कितना समय लगेगा. इसका मतलब जब तक ED ये पूरा ना कर ले, बिना प्रॉपर सबूतों के आरोपी को हिरासत में रखा जाए, ये स्वीकार नहीं किया जा सकता.
– ED इस बात को भी नहीं बता पा रहा कि प्रोसीड ऑफ क्राइम का गोवा विधानसभा चुनाव में कैसे इस्तेमाल किया गया. इस बात का कोई सबूत नहीं कि विजय नायर आरोपी के निर्देश पर काम कर रहा था.
– ऐसा लगता है कि ED को भी विश्वास है कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों के आधार पर आरोपी के खिलाफ केस चलाने को पर्याप्त नहीं है और वो सबूत तलाशने के लिए समय ले रही है.
शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत देने संबंधी निचली अदालत का आदेश तब तक प्रभावी नहीं होगा, जब तक कि अदालत कथित आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेती. ईडी ने न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन और न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ के समक्ष अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका रखी. पीठ ने कहा कि मामला 10 से 15 मिनट में उनके पास आ जाएगा और उसके बाद मामले पर सुनवाई होगी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि तब तक अधीनस्थ न्यायालय के आदेश की तामील नहीं होगी. ईडी ने गुरुवार शाम को निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है.
ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि एजेंसी को अपना मामला रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया. केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी से कुछ सहय पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल को जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया था.