‘भगवान का शुक्र है!’ जब CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने भरी कोर्ट में कहा- यह तो घोटाला है…, कहा- हाईकोर्ट का फैसला..

CJI Chandrachud News: सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भगवान का शुक्र है! हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप! यह एक घोटाला है… सरकार (अधिकारी) इसमें इच्छुक भागीदार हो सकती है.
नई दिल्ली.
‘भगवान का शुक्र है! गुजरात हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप किया. यह एक घोटाला है,’ सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सूरत की कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें एक बाजार यार्ड के लिए बनी जमीन पर बने पांच सितारा होटल की नीलामी के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की गई थी. पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के 27 मार्च के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसमें उसने राज्य सरकार से पांच सितारा होटल का कब्जा लेने को कहा था.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि कृषि उपज बाजार समिति कृषि उत्पादों के लिए बाजार यार्ड के निर्माण के लिए बनी भूमि पर पांच सितारा होटल का निर्माण कैसे कर सकती है? एपीएमसी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने उसे अपनी ही जमीन और संपत्तियों से वंचित कर दिया है.
पीठ ने कहा कि (एपीएमसी पर) अधिनियम से हमें बताएं कि आपको जमीन पर शॉपिंग मॉल और पांच सितारा होटल बनाने का अधिकार है. आपको जमीन वापस राज्य को लौटा देनी चाहिए थी. हाईकोर्ट ने संपत्ति की सार्वजनिक नीलामी का भी आदेश दिया था और अधिकारियों को राज्य के एपीएमसी कोष में राशि जमा करने का निर्देश दिया था. सीजेआई ने कहा कि भगवान का शुक्र है! हाईकोर्ट ने किया हस्तक्षेप! यह एक घोटाला है… सरकार (अधिकारी) इसमें इच्छुक भागीदार हो सकती है.
हालांकि, पीठ ने होटल शिल्पिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को होटल परियोजना में निवेश किए गए पैसे की वापसी के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी. हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘मार्केट कमेटी फंड’ से 98 करोड़ रुपये की लागत से एक फाइव स्टार होटल का निर्माण, वह भी तब इसे किसी निजी व्यक्ति को पट्टे पर देना, किसी भी तरह से इससे संबंधित या सहायक नहीं कहा जा सकता है या बाजार अधिनियम 1963 की धारा 11 के तहत बाजार समिति की स्थापना के मुख्य उद्देश्य और उद्देश्य से जुड़ा हुआ है.
हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य का रुख है कि जिस निजी पार्टी को पांच सितारा होटल के रूप में निर्मित इमारत को पट्टे पर दिया गया है, उसे पट्टे के किराये की आय मार्केट कमेटी फंड में जमा की जाएगी और इसका उपयोग केवल उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. कानून के तहत निर्दिष्ट और इस प्रकार, इसे सार्वजनिक उद्देश्य की आड़ देना केवल एक दिखावा है, बाजार समिति के अवैध कार्य को वैध बनाने का एक प्रयास है.
इसने मॉल में उन सभी गतिविधियों को बंद करने का आदेश दिया था जो किसानों के कल्याण के लिए नहीं थीं. यह मामला 2014 में एक जनहित याचिका के जरिए हाई कोर्ट पहुंचा था. यह आरोप लगाया गया था कि सूरत एपीएमसी 20,000 वर्ग मीटर भूमि पर एक मॉल और एक पांच सितारा होटल का निर्माण कर रहा था और मार्केट यार्ड को दूसरी जगह स्थानांतरित कर रहा था.