76 सालों पहले आई ‘डिस्प्रिन’ में ऐसा क्या कि चुटकियों में देती है दर्द से राहत, इसके खतरे भी

बाजार में सबसे सस्ती अगर कोई दवा बिकती है तो ये डिस्प्रिन है. लेकिन उतनी ही अचूक और असरदार. देश में हर घर में इस दवा का पत्ता मिल जाएगा. आखिर साधारण सी दिखने वाली ये टैबलेट कैसे शरीर में असर करके दर्द को दूर भगा देती है.
वैसे तो डिस्प्रिन टेबलेट एस्परिन से ही बनी होती है लेकिन इसे इस नाम विश्व स्तर पर 1948 में और भारत में 1958 में लांच किया गया. ये दुनिया के सबसे लोकप्रिय दर्दनिवारक टेबलेट में एक है. जिसको लेने के बाद ये मिनटों में कई तरह के दर्द को उड़नछू कर देती है. वैसे हम आपको बता दें कि एस्परिन की कहानी भी 120 साल पुरानी ही है.
डिस्प्रिन ने इतने सालों में दुनियाभर के करोड़ों लोगों के दर्द को कम करके राहत दे चुकी है. ये ऐसी दवा है जो हर घर में रहती है और इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है. एस्पिरिन के आने से पहले पौधों के औषधीय उपयोग से दर्द को खत्म करने की कोशिश की जाती थी.
साधारण हो या तेज दर्द, आम जिंदगी में हम जाने कितनी ही बार डिस्प्रिन या एस्पिरिन गोली का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन सवाल है कि ये साधारण सी दिखने वाली गोली कैसे आपके शरीर में असर कर दर्द दूर भगाती है. इसके ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले नकारात्मक असर और इसको लेकर फैली भ्रांतियों पर भी एक नजर डालेंगे.
दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट ‘डॉ श्रीकांत शर्मा’ के अनुसार डिस्प्रिन और एस्प्रिन में खास अंतर नहीं. दोनों ही में एसिटाइल सैलिसिलिक एसिड यानी एएसए होता है. डिस्प्रिन में सॉल्ट यानी मुख्य तत्व एस्प्रिन ही होता है और ये कोटेड दवा होती है. वहीं एस्प्रिन पर कोई कोटिंग नहीं होती और ये कम से लेकर ज्यादा पावर की दवा हो सकती है. दूसरी ओर डिस्प्रिन ज्यादा तेज दवा मानी जाती है और दर्द में तुरंत राहत के लिए इसे प्रेफर किया जाता है. हालांकि किसी भी तरह के दर्द में डॉक्टर की सलाह के बिना इसे लेना सेहत पर बुरा असर डालता है. ये खून को पतला कर देता है और पाचन तंत्र पर भी बुरा असर डालता है.
कब-कब करते हैं इस्तेमाल
– हल्के और तेज सिरदर्द, माइग्रेन, तंत्रिका दर्द, दांतों के दर्द, गले के दर्द आदि में
– सर्दी, जुखाम और बुखार से जुड़े दर्द में मददगार
– गठिया के दर्द, साइटिका, मांसपेशियों का दर्द, जोड़ों में सूजन आदि
कैसे काम करती है
इस टैबलेट में सिटिसालिसिलिक एसिड मौजूद होता है. ये शरीर में पहुंचकर एंजाइम की क्रिया जिसे साइक्लो-ऑक्सीजिनेज (COX) कहा जाता है, उस अवरुद्ध कर देता है.
दरअसल साइक्लो-ऑक्सीजिनेज के चलते प्रोस्टाग्लैंडीन पैदा होता है, जो दर्द, सूजन, थ्राम्बाक्सेन आदि होने का कारण है. इसके कारण प्लेटलेट्स एक साथ जुड़कर ब्लड क्लॉट में बदल जाते हैं. डिस्प्रिन COX के जरिए पैदा होने वाले केमिकल को रोक देती है.
300mg एस्पिरिन वाली ये गोली प्रोस्टाग्लैंडीन के उत्पादन को रोककर दर्द में आराम देती है. इससे बुखार कम करने में भी आराम मिलता है. नेट डॉक्टर यूके वेबसाइट के मुताबिक 300mg पावर वाली एस्पिरिन दिल के दौरे में बचाने में मदद करती है. ये टैबलेट ब्लड क्लॉट बनने से रोकती है, जो खून की सप्लाई में अवरुद्ध पैदा करता है.
किन लोगों के लिए खतरनाक
– नवजात और 16 साल से कम उम्र वालों को बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं देनी चाहिए. क्योंकि बच्चे रेयस सिंड्रोम नामक दुर्लभ स्थिति से जुड़े होते हैं. इस स्थिति में इसका बुरा असर ब्रेन और लिवर पड़ता है.
– पेट में अल्सर के रोगियों को इस टैबलेट से बचना चाहिए
– रक्तस्राव विकार जैसे हीमोफीलिया से पीड़ितों को दवाई लेने से बचना चाहिए
– एलर्जी रिएक्शन से पीड़ित लोगों को डिस्प्रिन लेने से बचना चाहिए.
– खराब किडनी और लिवर से परेशान लोगों को इससे दूर रहना चाहिए
– प्रेंगनेंट महिलाएं ऐसी दवाइयों के सेवन से बचें
– बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाएं भी डिस्प्रिन न लें
डिस्प्रिन के साइड इफेक्ट्स
दवाइयां और उनके साइड इफेक्ट्स अलग-अलग तरीकों से लोगों को प्रभावित करते हैं. ऐसे ही कुछ साइड इफेक्ट्स डिस्प्रिन या एस्पिरिन दवाई से भी जुड़े हैं. ऐसा सभी दवाई लेने वालों लोगों के साथ नहीं होता बल्कि कुछ विशेष परिस्थितियों में होता है.
– अपच
– बीमार महसूस और उलटी आना
– पेट में जलन आदि
– पेट या आंतों में घाव और रक्त स्त्राव
– कानों में आवाज सुनाई देना
– त्वचा पर एलर्जी के रिएक्शन
– होठ, जीभ और गले का सूजना
– खून का ज्यादा देर तक बहना
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर पीटर वीजबर्ग के अनुसार रोजाना डिस्प्रिन लेने के कई नुकसान हैं. इसमें पेट की खराबी, उल्टियां और अपच सबसे पहले साइड इफेक्ट हैं. ये सीधे पाचन तंत्र पर असर डालता है इसलिए दवा हल्के गुनगुने पानी या दूध के साथ ली जानी चाहिए ताकि साइड इफेक्ट कम हो.
ये नॉन-इन्फ्लेमेटरी ड्रग (NSAIDs)के तहत आती है यानी वो दवा जिससे दर्द और सूजन कम होती है. यही वजह है कि इसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक से गुजर चुके लोगों को नियमित खाने की सलाह दी जाती रही, हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन मेडिकल स्कूल में इंटरनल मेडिसिन के प्रोफेसर मार्क फेंड्रिक इससे होने वाले खतरों से भी आगाह करते हैं.

प्रोफेसर फेंड्रिक के अनुसार जब भी आप डिस्प्रिन लेते हैं, आपके पेट की अंदरुनी सतह कमजोर होती जाती है और रक्तस्त्राव की आशंका बढ़ जाती है. यही वजह है कि रोजाना ये दवा लेने वालों को पेट के अल्सर और अंदरुनी ब्लीडिंग का खतरा दोगुना से भी ज्यादा रहता है.
प्राचीन समय में क्या करते थे
ग्रीक चिकित्सा के जनक हिप्पोक्रेट्स (460-370 ईसा पूर्व) के ग्रंथों में पहली बार एक प्रकार के विलो, सैलिक्स लैटिनम की छाल और पत्तियों से प्राप्त मिश्रण के उपयोग का उल्लेख है, जिसे डॉक्टर अपने रोगियों को राहत देने के लिए देते थे.
सैलिक्स लैटिनम एक प्रकार का लकड़ी या छाल है, जिसका उपयोग प्राचीन काल से दर्द, बुखार और सूजन के इलाज के लिए औषधीय रूप से किया जाता रहा है.