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कच्चातिवु द्वीप पर बयानबाजी को लेकर चिदंबरम ने सरकार को चेताया, बोले- इससे संघर्ष हो सकता है

चिदंबरम ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री और अन्य नेताओं के बयान भारत और श्रीलंका के संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि श्रीलंका में 25 लाख श्रीलंकाई तमिल और 10 लाख भारतीय तमिल नागरिक रहते हैं।

नई दिल्ली

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार को चेताया है कि कच्चातिवु द्वीप पर भ्रामक और आक्रामक बयानबाजी श्रीलंका सरकार और तमिलों में संघर्ष का कारण बन सकती है। सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में चिदंबरम ने यह बात कही। चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार को चीन को आक्रामकता दिखानी चाहिए, जिसने हमारी दो हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है।

चिदंबरम बोले- बयानबाजी से संघर्ष हो सकता है
चिदंबरम ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री और अन्य नेताओं के बयान भारत और श्रीलंका के संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि श्रीलंका में 25 लाख श्रीलंकाई तमिल और 10 लाख भारतीय तमिल नागरिक रहते हैं। ऐसे में 50 वर्षों के बाद कच्चातिवु द्वीप को लेकर कोई भी भ्रामक और आक्रामक बयानबाजी श्रीलंकाई सरकार और 35 लाख तमिलों के बीच संघर्ष का कारण बन सकती है। चिंदबरम ने कहा कि चीन द्वारा लगातार गांवों के नाम बदले जा रहे हैं। ऐसे में विदेश मंत्री इस मुद्दे पर क्यों नहीं बोल रहे हैं। पी चिदंबरम का यह बयान ऐसे वक्त सामने आया है, जब विदेश मंत्री जयशंकर ने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस के पूर्व पीएम ने भारतीय मछुआरों के अधिकारों की अनदेखी करते हुए कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया था। इससे पहले पीएम मोदी ने भी कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को देने के लिए कांग्रेस की पूर्व की सरकार की आलोचना की थी।

कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका के नेदुनथीवु और भारत के रामेश्वरम के बीच स्थित द्वीप है। 285 एकड़ में फैले इस द्वीप की भारतीय तट से दूरी लगभग 33 किलोमीटर दूर स्थित है। श्रीलंका के तमिल बहुल जाफना से इस द्वीप की दूरी करीब 62 किलोमीटर है। इस द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के चलते तमिलनाडु में कई आंदोलन हुए हैं। साल 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था।

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