संविधान की अहमियत: ‘कानून प्रासंगिक रखना अदालतों की ड्यूटी’; जस्टिस गवई ने चुनावी बॉन्ड के हवाले से कही यह बात

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने अदालतों के कर्तव्य पर अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि बदलते सामाजिक मानदंडों के बीच कानून को प्रासंगिक बनाए रखना अदालतों का कर्तव्य है।
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने अहम टिप्पणी में कहा, संविधान इस बात का प्रमाण है कि उपनिवेशवाद के बाद भारत में लोकतांत्रिक शासन बहाल हुआ। शासन की संरचना में बदलाव को लेकर शीर्ष अदालत के जस्टिस बीआर गवई ने निचली अदालतों को उनके कर्तव्य याद दिलाए। उन्होंने कहा, बदलते सामाजिक मानदंडों के बीच कानून को प्रासंगिक बनाए रखना अदालतों का कर्तव्य है। कोलंबिया लॉ स्कूल में एक समारोह के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि मतदाताओं को उम्मीदवारों के बारे में जानकारी रखने का अधिकार है। उन्होंने चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के हालिया फैसले का हवाला भी दिया।
जस्टिस गवई 2025 में चीफ जस्टिस बन सकते हैं
न्यायाधीशों की वरिष्ठता क्रम को देखते हुए न्यायमूर्ति गवई मई, 2025 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक इसलिए की कई क्योंकि ‘वित्तीय योगदान की सूचनात्मक गोपनीयता’ की आड़ में राजनीतिक दल आम जनता को सूचना हासिल करने से प्रतिबंधित नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि अदालतें संविधान की सर्वोच्चता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बकौल जस्टिस गवई, यह बहुत जरूरी है कि जनता लोकतंत्र को हर समय संरक्षित और बरकरार रखने की जरूरत को समझे।