किस दिन है सोमवती अमावस्या? पंचक में होगा स्नान और दान, शिव पूजा से पूरी होंगी मनोकामनाएं

इस साल की पहली सोमवती अमावस्या चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ने वाली है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि सोमवती अमावस्या किस दिन है? सोमवती अमावस्या का स्नान और दान कब है? सोमवती अमावस्या की पूजा का मुहूर्त क्या है?
इस साल की पहली सोमवती अमावस्या चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पड़ने वाली है. सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान के अलावा भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करने का भी बड़ा महत्व है. इस दिन सुहागन महिलाएं सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर शिव और गौरी की पूजा करती हैं. शिव और शक्ति की कृपा से उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जिनके विवाह में देर हो रही है या फिर दांपत्य जीवन में कोई समस्या है, तो उनको सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर शिव आराधना करनी चाहिए. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि सोमवती अमावस्या किस दिन है? सोमवती अमावस्या का स्नान और दान कब है? सोमवती अमावस्या की पूजा का मुहूर्त क्या है?
किस दिन है सोमवती अमावस्या 2024?
इस बार की चैत्र अमावस्या सोमवार के दिन है, इसलिए उस दिन सोमवती अमावस्या है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल को तड़के 03 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि उस दिन ही रात 11 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को है.
इंद्र योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में है सोमवती अमावस्या
सोमवती अमावस्या वाले दिन इंद्र योग और उत्तरभाद्रपद नक्षत्र है. इंद्र योग 8 अप्रैल को प्रात:काल से लेकर शाम 06 बजकर 14 मिनट तक है. वहीं उत्तर भाद्रपद नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक है, उसके बाद से रेवती नक्षत्र है. इंद्र योग को शुभ और सुख-सुविधाओं में वृद्धि वाला माना जाता है.
सोमवती अमावस्या 2024 पंचक
सोमवती अमावस्या को पूरे दिन पंचक है. सोमवती अमावस्या का स्नान और दान भी पंचक में ही करना होगा. पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित होती है.
सोमवती अमावस्या 2024 स्नान दान समय
सोमवती अमावस्या वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:32 एएम से 05:18 एएम तक है. ब्रह्म मुहूर्त से आप सोमवती अमावस्या का स्नान और दान कर सकते हैं. उस दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 06:03 बजे से सुबह 07:38 बजे तक है.
सोमवती अमावस्या क्यों महत्वपूर्ण है?
मौनी अमावस्या की तरह ही सोमवती अमावस्या का भी विशेष महत्व है और इसका लोगों को इंतजार रहता है. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. शिव जी की कृपा से व्यक्ति के दुखों का अंत होता है और उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन नाराज पितरों को प्रसन्न करने के उपाय किए जाते हैं.