जेब ही नहीं, मेंटल हेल्थ के लिए भी खतरनाक है महंगाई, इस बीमारी का बना सकती है मरीज, सर्वे में हुआ खुलासा

Inflation May Cause Anxiety: महंगाई अक्सर लोगों का बजट बिगाड़ देती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बढ़ती महंगाई आपको एंजाइटी का मरीज बना सकती है. जी हां, यह खुलासा एक अमेरिकी सर्वे में हुआ है. इसमें पता चला है कि चीजों की बढ़ती कीमतें एंजाइटी और डिप्रेशन की वजह बन सकती हैं. आइए जानते हैं कि कैसे महंगाई लोगों की मेंटल हेल्थ बिगाड़ रही है.
Inflation And Anxiety: अक्सर आपने महसूस किया होगा कि जब आपके पास पैसों की कमी होती है, तब आप स्ट्रेस यानी तनाव महसूस करने लगते हैं. ऐसा अधिकतर लोगों के साथ होता है. आज के जमाने में महंगाई लगातार बढ़ रही है और इसका असर लोगों की हेल्थ पर भी दिखने लगा है. साल 2022 के एक सर्वे में खुलासा हुआ था कि अमेरिका में 90 प्रतिशत लोग महंगाई की वजह से एंजाइटी का शिकार हो रहे हैं. हैरानी की बात तो यह है कि कोविड की वजह से लोगों को जितना तनाव नहीं हुआ, उससे कहीं ज्यादा महंगाई बढ़ने से हुआ. जानकारों की मानें तो यह महंगाई की वजह से अमेरिकियों का ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोगों का तनाव बढ़ रहा है. सेहत के लिए महंगाई बेहद खतरनाक साबित हो रही है.
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) ने महंगाई को लेकर एक सर्वे किया था, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई थीं. इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार महंगाई की वजह से करीब 90 फीसदी लोग तनाव और एंजाइटी का शिकार हो रहे हैं. लगातार यह समस्या बढ़ती ही जा रही है. चिंता की बात तो यह है कि लोगों को कोविड-19 को लेकर जितना तनाव था, उससे कहीं ज्यादा इस महामारी के बाद बढ़ती महंगाई से है. संयुक्त राज्य अमेरिका में 90 प्रतिशत लोग महंगाई से संबंधित एंजाइटी से जूझ रहे हैं. आमदनी घटने से भी लोगों का स्ट्रेस लेवल बढ़ने लगता है.
अब तक कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि इनकम और मेंटल हेल्थ का सीधा कनेक्शन होता है. जब किसी व्यक्ति के पास पैसों की कमी होती है, तब वह तनाव में आ जाता है. लंबे समय तक यह समस्या रहे, तो एंजाइटी और डिप्रेशन में बदल सकती है. अमेरिकी सर्वे की मानें तो बढ़ती महंगाई और घटती इनकम मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित कर रही है. आमदनी और खर्च का मेंटल हेल्थ पर सीधा कनेक्शन होता है. लंबे समय तक तनाव और चिंता मेंटल डिजीज की वजह बन सकती है. आर्थिक तंगी निराशा का कारण बन सकती है और कई लोगों के लिए यह मनोवैज्ञानिक संकट पैदा कर सकती है.