चमत्कारी पौधा… बवासीर और डायबिटीज से दिलाए छुटकारा! महिलाओं की PCOS के लिए ‘रामबाण’, जानें फायदे

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में लताकरंज जड़ी मिलती है. दमोह के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ अनुराग अहिरवाल के मुताबिक, इस कांटेदार फल में बवासीर, मधुमेह, मलेरिया, महिलाओं से संबंधित पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम समेत कई बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है.
दमोह
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की खान माना जाता है. यहां के जंगलों में आज भी सैकड़ों साल पुरानी आयुर्वेदिक दवाओं वाले पौधे या फिर पेड़ मिल जाते हैं. इन्हीं कटीली झाड़ियों में पाए जाने वाली लताकरंज भी शामिल है, जिसके पत्ते, छाल और जड़ों में कई गम्भीर बीमारियों का इलाज करने की शक्ति है. दमोह जिले के ग्रामीण इलाकों में पाए जाने वाली लताकरंज को बुंदेलखंड में गटारन के नाम से जाना जाता है. इसका सेवन करने से बवासीर, ज्वर, मधुमेह, मलेरिया सहित अन्य बीमारियां झटपट भाग जाती हैं.
दमोह के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ अनुराग अहिरवाल के मुताबिक, इस कांटेदार फल के चूर्ण का प्रतिदिन 1-1 चम्मच दूध के साथ महज 15 दिनों तक सेवन करने से सर्दियों के दिनों में बढ़ते हुए हाइड्रोसील की समस्या ठीक हो जाएगी. जबकि गर्मियों के दिनों में सिर्फ 8 दिनों में ही इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है.
बार-बार पेशाब आने की समस्या हो जाएगी दूर…
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ अनुराग अहिरवाल ने बताया कि आज के दौर में अधिकतर लोग बड़े, बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी मधुमेह से पीड़ित हैं. इस डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित मरीज बार-बार पेशाब आने की समस्या से जूझते हैं. डॉ अनुराग ने बताया कि यदि आप लताकरंज की हरी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीते हैं, तो आप जल्द ही इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं. इसके अलावा इसकी हरी पत्तियों का जूस बवासीर जैसी गम्भीर बीमारी के उपचार में भी लाभकारी होता है.
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ अनुराग अहिरवाल ने बताया कि ये जो कंटीली जड़ी बूटी है. इसे आयुर्वेद में लताकरंज बोला जाता है. जबकि क्षेत्रीय लोग इसे गटारन के नाम से जानते हैं. यह औषधीय हमारे यहां बहुतायत में पाई जाती है. इस औषधि का उपयोग कोकला रक्षक वटी में होता है. इससे महिलाओं से सम्बंधित रोग जैसे गर्भाशय में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है. महिलाओं के लिए यह औषधि रामबाण जैसा काम करती है. जबकि ग्रामीण इलाकों के लोग इसका उपयोग करते समय इसके पके हुए फल को निकाल देते हैं और उसका चूर्ण बना लेते हैं. यह चूर्ण 1-1 चम्मच दूध के साथ सेवन करने से बढ़ते हुए अंडकोश की समस्या ठीक हो जाती है. ठंड के दिनों में 15 दिन, तो गर्मियों के दिनों में महज 8 दिनों में ही इस समस्या से निजात मिल जाती है.
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