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बिना गलती के उम्मीदवारों को दंडित नहीं कर सकते:सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बिना गलती के उम्मीदवारों को दंडित नहीं कर सकते, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला किया रद्द

नई दिल्ली

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को स्वास्थ्य कर्मियों के पद पर महिलाओं के एक समूह की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। समय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहने के कारण उनके आवेदन खारिज कर दिए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नौकरी के लिए किसी उम्मीदवार को दंडित नहीं किया जा सकता है अगर यह पाया जाता है कि आवेदक की ओर से कोई चूक या देरी नहीं हुई थी या निर्धारित समय के भीतर अनापत्ति प्रमाण पत्र पेश नहीं करने में उसकी कोई गलती नहीं थी।

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को स्वास्थ्य कर्मियों के पद पर महिलाओं के एक समूह की नियुक्ति करने का आदेश दिया है क्योंकि समय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहने के कारण उनके आवेदन खारिज कर दिए गए थे। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 13 जुलाई, 2022 के फैसले के खिलाफ वकील अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से कुमारी लक्ष्मी सरोज और अन्य की ओर से दायर अपील को स्वीकार कर लिया।

15 दिसंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार ने महिला स्वास्थ्य कर्मियों के पद पर आवेदन आमंत्रित किए थे। उम्मीदवारों के लिए उत्तर प्रदेश नर्स और मिडवाइफ काउंसिल, लखनऊ के साथ पंजीकृत होना आवश्यक था। मध्य प्रदेश परिषद में पंजीकृत सभी अपीलकर्ताओं ने भी परीक्षा दी थी। दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान ही उम्मीदवार की पात्रता पर विचार किया जाना था।

एक को छोड़कर सभी अपीलकर्ताओं ने यूपी काउंसिल पंजीकरण के लिए आवेदन किया था। मप्र परिषद ने एनओसी दे दी थी। लेकिन यूपी काउंसिल ने पंजीकरण जारी करने में देरी की, इसलिए संबंधित अपीलकर्ता दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान यूपी पंजीकरण प्रस्तुत नहीं कर सकीं। इसलिए उनके आवेदन पर विचार नहीं किया गया। अपीलकर्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यूपी काउंसिल पंजीकरण नहीं पेश करने में अपीलकर्ताओं की कोई गलती नहीं थी। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं है। पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने शीर्ष अदालत के उस आदेश की गलत व्याख्या की है।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार समेत अन्य प्रतिवादियों को छह सप्ताह की अवधि के भीतर अपीलकर्ताओं को स्वास्थ्य कार्यकर्ता (महिला) के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया है, बशर्ते वे अन्य पात्रता मानदंडों को पूरा करती हों। पीठ ने यह स्पष्ट किया कि अपीलकर्ता अपनी वास्तविक नियुक्तियों की तारीख से सभी लाभों की हकदार होंगी।

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