समुद्री नमक है स्किन के लिए जादू, जोड़ों के दर्द में भी राहत देता, आयुर्वेदिक ग्रंथों में है जबरदस्त गुणगान

समुद्री नमक शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद करता है. इसमें मौजूद कैल्शियम दांतों व हड्डियों को कमजोरी से बचाए रखता है. समुद्री नमक का सेवन सीमित मात्रा में करना जरूरी है वरना यह उच्च रक्तचाप का कारक बन सकता है.
दुनिया में छह प्रकार के स्वाद माने जाते हैं, जिनकी जानकारी भारतीय धर्म व आयुर्वेदिक ग्रंथों में डिटेल में दी गई है. इनमें से एक स्वाद है नमकीन, जो नमक से पैदा होता है. नमक के बिना भोजन फीका है या कहें कि नीरस है, इसीलिए नमक को भी स्वाद के लिए बेहद जरूरी माना गया है. विशेष बात यह है कि दुनिया में कई प्रकार के नमक उत्पन्न होते हैं, जिनमें समुद्री नमक भी एक है. समुद्र के पानी से तैयार होने वाला यह नमक शरीर के लिए बेहद गुणकारी है. यह स्किन के लिए बेहद लाभदायक है, साथ ही जोड़ों के दर्द में भी आराम पहुंचाता है. देश के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रुथों में समुद्री नमक के बारे में डिटेल में जानकारी गई है.
आहार में हजारों वर्षों से हो रहा इस्तेमाल
यह तो सर्वविदित है कि जब से इस सृष्टि का निर्माण हुआ, समुद्र का पानी भी उसी वक्त से पृथ्वी पर मौजूद है, लेकिन समुद्र के पानी से नमक बनाकर उसे स्वाद के लिए कब इस्तेमाल किया गया, इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है. हजारों वर्षों से कई प्रकार का नमक मनुष्य के आहार में जुड़ा हुआ है और वह भोजन में स्वाद के साथ उसमें गुण भी पैदा कर रहा है. भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में छह से अधिक नमक का जिक्र है और उनके गुणों के बारे में भी जानकारी दी गई है. इनमें समुद्री नमक (Sea Salt) भी शामिल है. असल में इसे बनाना बेहद आसान भी है.
इसका स्वाद व बनावट कुछ अलग होती है
पूरी दुनिया में वर्षों से समुद्री नमक का उपयोग हो रहा है और इसे स्वास्थ्य के लिए अच्छा विकल्प इसलिए माना गया है, क्योंकि यह कई बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है. समुद्री नमक को समुद्र के पानी को सुखाकर बेहद आसान तरीके से बनाया जा रहा है. फूड हिस्टोरियन्स के अनुसार, समुद्र के तट के आसपास क्यारियां बनाकर उनमें समुद्र का पानी भर लिया जाता है, जो सूरज की गर्मी से वाष्पीकरण होकर नमक में तब्दील हो जाता है. विशेष बात यह भी है कि दुनिया के कई क्षेत्रों में नमक के पहाड़ भी पाए जाते हैं, जिनसे शुद्ध नमक निकाला जाता है.
समुद्री नमक का स्वाद और बनावट अन्य नमक से अलग होती है. अन्य नमक को तैयार करते वक्त उसमें मिनरल्स कम हो जाते हैं, इसलिए उसमें आयोडिन मिलाया जाता है, जबकि समुद्री नमक में मिनरल्स यथावत रहते हैं. चूंकि, समुद्री नमक के दाने मोटे और कुरकुरे होते हैं, इसलिए इसका स्वाद तीव्र माना जाता है, इसलिए यह भोजन के स्वाद में कुछ अलग ही बदलाव पैदा कर देता है.
दांतों व हड्डियों को भी कमजोर होने से बचाता है
भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ के अनुसार, सामुद्रकं (समुद्री नमक) थोड़ा मधुर व तिक्त होता है. यह रुचिकर, अन्न को पचाने वाला व वायुनाशक होता है. जाने-माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. आरपी पराशर के अनुसार, समुद्री नमक को शरीर के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है. यह स्किन को एक्सफोलिएंट (त्वचा की बाहरी परत से डेड कोशिकाओं को हटाने की प्रक्रिया) करता है.
इस प्रक्रिया से स्किन निखरी रहती है. शोध बताता है कि इसका प्रयोग अर्थराइटिस (जोड़ों की सूजन) से राहत दिलाता है. यह लाभ समुद्री पानी से नहाने से भी मिल जाता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में सोडियम भी पाया जाता है, जो शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद करता है. इसमें मौजूद कैल्शियम दांतों व हड्डियों को कमजोरी से बचाए रखता है. समुद्री नमक का सेवन सीमित मात्रा में करना जरूरी है वरना यह उच्च रक्तचाप का कारक बन सकता है.