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भाजपा शाशन में हेट स्पीच की बाढ़ समाज में परस्पर नफ़रत और हिंसा का माहौल ?

पिछले कुछ समय में देश में हेट स्पीच की बाढ़ आई हुई है। दिन गुजरने के साथ इनमें वृद्धि ही दर्ज हो रही है। इसके कारण समाज में परस्पर नफ़रत और हिंसा का माहौल है

 

पिछले कुछ समय में देश में हेट स्पीच की बाढ़ आई हुई है। दिन गुजरने के साथ इनमें वृद्धि ही दर्ज हो रही है। इसके कारण समाज में परस्पर नफ़रत और हिंसा का माहौल है। 2014 में भारतीय जनता पार्टी के केन्द्र सरकार पर आरुढ़ होने के बाद से हेट स्पीच उफान पर हैं। वैसे भी यह हमेशा से साफ था कि कड़ुवे बोलों के लिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा में पगे लाखों कार्यकर्ता, उसकी राजनैतिक विंग भाजपा के समर्थक तथा अन्य अनुषांगिक संगठनों के लोग जिम्मेदार हैं। ‘हिन्दुत्व वॉच’ ने इस वर्ष की पहली छमाही की जो रिपोर्ट प्रकाशित की है, उससे इसकी पुष्टि होती है।

‘हिन्दुत्व वॉच’ ने अनेक जहर बुझे भाषणों व वक्तव्यों का अध्ययन कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसका सारांश ही सारी कहानी को बयां कर देता है। उसके अनुसार, 2023 के प्रथम छह महीनों में ऐसे 255 दस्तावेजी वक्तव्य या घटनाएं हुई हैं जिनके निशाने पर मुस्लिम थे। इनमें से 205 (80 फीसदी) घटनाएं भाजपा प्रशासित राज्यों में हुई हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात में सर्वाधिक वाकये हुए। अकेले महाराष्ट्र में ये 29 प्रतिशत रहे। जिन 8 राज्यों में इस तरह की घटनाएं सर्वाधिक हुईं उनमें से 7 में भाजपा की सरकारें हैं।

करीब 52 प्रतिशत मामले भाजपा वाले राज्यों व केन्द्र प्रशासित राज्यों (यूटी) में हुए और इनके लिये आरएसएस के साथ उसके परिवार के विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, सकल हिन्दू समाज और भाजपा की इनमें संलिप्तता है। कुल 17 राज्यों व 2 यूटी, जिन पर भाजपा की केन्द्र सरकार के जरिये हुकूमत चलती है, ऐसे वक्तव्यों व कृत्यों के लिये वही जिम्मेदार पाई गई है। लगभग 64 फीसदी हेट स्पीच मुस्लिम विरोधी बहुप्रचारित अवधारणाओं के प्रभावित पाई गईं। इनमें से 33 प्रतिशत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा करने का आह्वान किया गया तो 11 फीसद में मुस्लिमों के बहिष्कार की और 4 प्रतिशत में मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की अपील की गई। 12 फीसद भाषणों में हथियारबंद होने की बात कही गई है। इन नफरती व हिंसक बयानों का सम्बन्ध सीधे-सीधे चुनावों से भी जुड़ता नज़र आता है। 33 फीसद ऐसे वक्तव्य उन राज्यों में दिये गये जहां 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं तो वहीं 36 प्रतिशत उनमें हुए जहां 2024 में राज्य के चुनाव होंगे।

इस तरह देखें तो यह रिपोर्ट आंखें खोल देने वाली है। यह शीशे की तरह एकदम से साफ है कि पिछले कुछ समय से इस तरह के हेट स्पीच से समाज को रोजाना दो-चार होना पड़ रहा है। निचले स्तर की बात छोड़ दें तो पाया यह गया है कि ऊंचे स्तर पर बैठे लोग इस प्रवृत्ति को आगे बढ़ा रहे हैं। भाजपा से जुड़े लोग संसद हो या चुनावी मंच, धार्मिक समारोह हों या समाचार चैनलों पर होने वाली डिबेट, वे नफरती बयान देने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते। पिछले साल के जून में भाजपा की प्रवक्ता नुपूर शर्मा ने मोहम्मद पैगम्बर के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया था जिसके कारण अनेक अरब देशों में तक उनके खिलाफ रोष फैल गया था।

पार्टी ने उन्हें निकाल दिया था। पश्चिम दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा द्वारा मुस्लिम दुकानदारों से सामान न खरीदने की अपील से भी लोगों में नाराज़गी फैली थी। केन्द्रीय मंत्री और हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर लोकसभा सीट के सांसद अनुराग ठाकुर ने रिठाली में एक भाषण में ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो …को’ कहकर नफरती माहौल पैदा किया था। निर्वाचन आयोग ने उन पर 72 घंटे का प्रतिबन्ध लगाया था और भाजपा ने दिखावे के लिये उन्हें स्टार प्रचारकों की सूची से निकाल दिया था। अलबत्ता, दिल्ली की एक कोर्ट ने उन्हें व प्रवेश वर्मा के खिलाफ हेट स्पीच के मामले यह कहकर खारिज कर दिये थे कि ‘चूंकि यह बात मुस्कुरा कर कही गई थी इसलिये कोई अपराध नहीं बनता।Ó 20 करोड़ मुस्लिमों की हत्या करने की बातें साफ तौर पर और धर्म संसद के खुले मंचों से की गई थीं।

वैसे तो पिछले कुछ वर्षों के ऐसे अनेक उदाहरण हैं लेकिन इनका समग्र असर कितना भयावह है, उसके लिये बहुत हाल की कुछ घटनाओं पर ही दृष्टिपात कर लेना काफी होगा। ऐसे भाषणों का परिणाम मणिपुर में देखा जा रहा है जो पिछले छह महीनों से साम्प्रदायिक हिंसा में लगातार जल रहा है। हिन्दू आदिवासी मैतेई और ईसाई आदिवासी कुकी लोगों के हिंसक टकराव से सैकड़ों लोग मारे गये हैं, लाखों बेघर हुए हैं और कई शिविरों में रह रहे हैं। लगभग पूरा राज्य अशांत घोषित कर दिया गया है। नूंह में हुए हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगों की आग अब भी पूरी तरह से बुझी नहीं है। कुछ अरसा पहले जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस में रेलवे पुलिस के एक जवान द्वारा तीन मुस्लिम यात्रियों की सर्विस राइफल से हत्या भी हेट स्पीच का ही परिणाम है।

ताज़ा मामला संसद का है। नये भवन में हो रहे विशेष सत्र के अंतिम दिन (21 सितम्बर) की शाम को चन्द्रयान की सफलता पर हो रही चर्चा के दौरान दक्षिण दिल्ली के भाजपायी सांसद रमेश बिधूड़ी उस वक्त अपना आपा खो बैठे जब भारत में अंतरिक्ष विज्ञान की प्रगति का श्रेय प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया जाने लगा। नाराज़ बिधूड़ी ने बहुजन समाज पार्टी को कई धर्मसूचक गालियों से नवाज़ दिया। उन्हें पार्टी ने कारण बताओ नोटिस तो थमाया है पर राजस्थान विधानसभा के चुनावों के लिये महत्वपूर्ण टोंक सीट का प्रभारी भी बना दिया है जो बताता है कि भाजपा का हेट स्पीच के मामलों में पूरा समर्थन है।

 

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