महाराष्ट्र

क्या बागी नेताओं पर लागू होगा दल-बदल कानून?, शरद पवार ले रहे कानूनी सलाह

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार के शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने और उनकी (अजित की)ओर से बड़ी संख्या में विधायकों का समर्थन होने का दावा

नेशनल डेस्क

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार के शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने और उनकी (अजित की)ओर से बड़ी संख्या में विधायकों का समर्थन होने का दावा करने के कारण पार्टी में पैदा हुए संकट से निपटने के लिए कानूनी राय ले रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने कहा कि सोमवार रात सतारा से लौटने के बाद शरद पवार मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से निपटने के मद्देनजर कानूनी विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कानूनी राय लेना जरूरी है, क्योंकि यह मुद्दा संविधान की 10वीं अनुसूची से संबंधित है।” संविधान में 10वीं अनुसूची का प्रावधान पद का लालच, भौतिक लाभ या इसी तरह के विचारों से प्रेरित राजनीतिक दलबदल को रोकने के लिए किया गया है। यह दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराए जाने के मुद्दे और सदन के अध्यक्ष की भूमिका से भी संबंधित है।

क्रास्टो ने दावा किया कि अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को 13 से अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त नहीं है और इस पर दल-बदल रोधी कानून के प्रावधान लागू हो सकते हैं। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कल (बुधवार) दोपहर एक बजे शरद पवार द्वारा बुलाई गई बैठक में उन्हें हासिल समर्थन की स्पष्ट तस्वीर सामने आ जाएगी।” अजित पवार खेमे ने एनसीपी के 53 में से कम से कम 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था।

गौरतलब है कि रविवार को अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब पत्रकारों ने शरद पवार से पूछा था कि क्या वह कानून का सहारा लेंगे तो उन्होंने कहा था कि वह इस सबमें नहीं पड़ेंगे, बल्कि लोगों के बीच जाएंगे। एनसीपी ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के समक्ष एक याचिका दायर की है, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले अजित पवार समेत नौ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है।

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