विपक्षी एकता सब ठीक नहीं है?जमीन पर नहीं दिख रही विपक्षी एकता, BJP के पास 2024 फतह का फिर मौका!

2024 के लोकसभा चुनाव
नीतीश कुमार के सुझाव से उत्साहित कांग्रेस ने जोर देकर कहा है कि कोई भी विपक्षी मोर्चा तभी सफल हो सकता है जब वह खुद मजबूत हो और मोर्चे का नेतृत्व करे. लेकिन स्पष्ट रूप से विपक्षी एकता के मोर्चे पर सब ठीक नहीं है. जहां तक प्रमुख विपक्षी दलों का संबंध है, उनसे तालमेल बिठाने में कांग्रेस ढीली पड़ रही है.
नई दिल्ली
छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाले कांग्रेस के प्लेनरी सेशन का टैगलाइन है, ‘हाथ से हाथ जोड़ो’. इस प्लेनरी सेशन में कांग्रेस पार्टी मंथन करेगी कि कैसे मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया जाए, इसका एक मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता सुनिश्चित करना भी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद रुक नहीं सकती है, जिसने एक माहौल तैयार किया है. उसे अब भाजपा के खिलाफ एक आक्रामक मोर्चा बनाने की जरूरत है.
नीतीश कुमार के सुझाव से उत्साहित कांग्रेस ने जोर देकर कहा है कि कोई भी विपक्षी मोर्चा तभी सफल हो सकता है जब वह खुद मजबूत हो और मोर्चे का नेतृत्व करे. लेकिन स्पष्ट रूप से विपक्षी एकता के मोर्चे पर सब ठीक नहीं है. जहां तक प्रमुख विपक्षी दलों का संबंध है, उनसे तालमेल बिठाने में कांग्रेस ढीली पड़ रही है. हाल के दिनों में पहली बार कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस पर खुलकर हमला बोला. कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा, ‘टीएमसी के नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई बैठकों आते हैं, लेकिन बाद में कुछ ऐसा करते हैं, जो सत्तारूढ़ भाजपा के साथ तालमेल बिठाती है. जब टीएमसी सहित सभी विपक्ष दल अडानी मुद्दे पर एक संयुक्त संसदीय समिति की जांच के लिए सहमत हुए, बाद में टीएमसी ने अदालत की निगरानी में जांच की बात कही.’
यह शायद पहली बार है जब कांग्रेस ने टीएमसी पर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगाया है, जैसा कि वह आम आदमी पार्टी पर लगाती रही है. सोनिया गांधी और ममता बनर्जी के बीच घनिष्ठ संबंध अब अतीत की बात हो गई है. तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी, जो स्पष्ट रूप से बोलते हैं, वह कांग्रेस के साथ सामंजस्य की बात को खुले तौर पर नकारते हैं, और देश की सबसे पुरानी पार्टी पर अक्षम होने का आरोप लगाते हैं. त्रिपुरा चुनाव के बाद टीएमसी और कांग्रेस के बीच संबंध और खराब हो गए हैं, जहां कांग्रेस ने टीएमसी के कट्टर विरोधी वाम दलों के साथ गठजोड़ किया है. टीएमसी ने कांग्रेस पर त्रिपुरा में बीजेपी विरोधी वोटों को विभाजित करने का आरोप लगाया, ठीक उसी तरह जैसे कांग्रेस ने गोवा चुनावों में टीएमसी पर आरोप लगाया था.
जैसे-जैसे 2024 करीब आ रहा है, और विपक्षी एकता की बहुत चर्चा हो रही है, कांग्रेस और अन्य प्रमुख विपक्षी दलों के संबंधों में खटास बढ़ती दिख रही है. टीएमसी, आम आदमी पार्टी और अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के साथ कांग्रेस का विरोधाभास खुलकर सामने रहा है, जो भाजपा के लिए एकमात्र राष्ट्रीय विकल्प होने का दावा करती है. विपक्ष दलों के एक दूसरे का हाथ मजबूती से नहीं पकड़ने के कारण, यह भाजपा ही है जिसके पास 2024 में मुस्कुराने और विजयी हाथ लहराने का पर्याप्त कारण है. नीतीश कुमार ने हाल ही में एक बार फिर कहा, ‘कांग्रेस को विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिश करनी चाहिए. अगर समय रहते यह नहीं हुआ तो 2024 में क्या होगा यह सबको पता है.’